हिंदू धर्म में अमरनाथ यात्रा का बहुत महत्व है। यह यात्रा हर वर्ष ज्येष्ठ पूर्णिमा केदिन शुरू होती है और श्रवण पूर्णिमा के दिन इस यात्रा का अंत होता है। इस साल भी यह यात्रा 27 जून से आरंभ हो चुकी है।
धर्मिक ग्रंथों में मौजूद कथाओं के अनुसर अमरनाथ वह जगह है जहां पर भगवान शिव माता पारवती जी को अमर हो जाने वाली कथा सुनाते हैं मगर वह यह कथा सुन नहीं पातीं मगर माता पार्वती की जगह यह कथा दो सफेद कबूतर सुन लेते हैं और हमेशा के लिए अमर हो जाते हैं। सफेद कबूतरों का यह जोड़ा आज भी इस गुफा के अंदर मौजूद है।
इसके साथ ही अमरनाथ की गुफा में भगवान शिव बर्फ की शिवलिंग के रूप में मौजूद हैं। हर साल लाखों के संख्या में भगवान शिव के भक्त इस गुफा में शिवलिंग के दर्शन करने आते हैं। इस बार भी भक्तों की पहली टोली अमरनाथ यात्रा के लिए निकल चुकी है। अगर आप भी इस बार अमरनाथ यात्रा पर जा रही हैं या आगे जाने का प्लान है तो आज हम आपको बताएंगे कि बर्फ के शिवलिंग के अलावा अमरनाथ के आसपास कई रोचक जगह मौजूद हैं।
1यहां किया था चंद्रमा का त्याग

अमरनाथ यात्रा के दौरान बीच में पहलगाम पड़ता है, इसके बाद अगला पड़ाव चंदनबाड़ी है। धार्मिक कथाओं के अनुसार यह वह स्थान है जहां पर भगवान शिव ने चंद्रमा का त्याग किया था। दरअसल जब भगवान शिव माता पार्वती को अमर कथा सुनाने के लिए गुफ में ले जा रहे थे तब उनहोंने हर उस चीज का त्याग कर दिया था जो कथा सुनने के बाद अमर हो सकती थी। भगवान शिव ने चंद्रमा को अपनी जटाओं में स्थान दिया है इसलिए जब वह गुफा में प्रवेश करने जा रहे थे तो उन्होनें चंद्रमा का त्याग कर दिया था। इसके बाद चंद्रमा ने शिव जी के वापिस लौटने का यही पर इंतजार किया था।
2राक्षसों के शव से बना पर्वत

कहा जाता है कि जब भगवान शिव माता पार्वती को लेकर गुफा की ओर आगे बढ़े तो अमर होने वाली कथा सुनने के लिए राक्षसों का झुंड भी वहां पहुंच गया। तब देवताओं और राक्षसों के बीच जम कर लड़ाई हुई और देवताओं ने राक्षसों को मार कर उनका पहाड़ा बना दिया। तब से इस जगह को पिस्सू टॉप के नाम से जाना जाता है।
3शेषनाग

गुफा के नजदीक पहुंचने पर भगवान शिव ने अपने सबसे प्रीय शेषनाग का भी त्याग किया था। यात्रा के दौरान एक स्थान शेषनाग भी पड़ता है जहां पर एक पर्वत बिलकुल शेषनाग के रूप में प्रतीत होता है। यहां पर एक नीले पानी की झील भी है, जो बेहद खूबसूरत दिखती है।
4महागुन माउंटेन

माता पार्वती को जब भगवान शिव गुफा की ओर ले जा रहे थे तब उनके साथ पुत्र गणेश भी थे। पुत्र गणेश अपनी मां का साथ कभी नहीं छोड़ते थे। मगर जब भगवान शिव गुफा के नजदीक पहुंचे तो उन्होंने पुत्र गणेश को भी छोड़ दिया। तब से इस स्थान का नाम महागुन पर्वत पड़ गया।
5पंचतरणी

यह महागुन माउंट से कुछ ही दूर है। ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव ने इस स्थान पर पृथ्वी, जल, वायु, अकाश और अग्नि का त्याग किया था। इसके साथ ही अपनी जटा से बहने वाली पांच नदियों का त्याग भी किया था। इन पांच नदियों के संगम को आप यहां पर देख सकती हैं।