मुगल-ए-आजम: सिनेमा के पर्दे से मंच तक का सफर

‘मुगल-ए-आजम’ जनाब हम मूवी की नहीं प्‍ले की बात कर रहे हैं। जो उतना ही भव्‍य है जितनी की मूवी थी। चलिए हरजिंदगी आपको इस म्‍यूजिकल ब्रॉडवे के बैकस्‍टेज ले चलता है। 

Anuradha Gupta

‘जब प्‍यार किया तो डरना क्‍या’ यह गाना आपने कई बार सुना होगा। यह गाना फिल्‍म मुगल-ए-आजम का है। इस फिल्‍म को 1960 में आई यह फिल्‍म ब्‍लॉकबस्‍टर साबित हुई थी। आज भी इस फिल्‍म को लोग उतनी ही तल्‍लीनता से देखते हैं जैसे किसी नई फिल्‍म के लिए लोगों में क्रेज होता है। हो भी क्‍यों न आखिर इस फिल्‍म को 10 साल तक बेहद तसल्‍ली के साथ जो बनाया गया था। इस मास्‍टरपीस फिल्‍म को अब डायरेक्‍टर प्रोड्यूसर फिरोज अब्‍बास खान ने सिनेमा की स्‍क्रीन से रंगमंच पर उतारा है। 10 महीने की कड़ी महनत के बाद फिरोज अब्‍बास खान ने ‘मुगल-ए-आजम’ नाटक बनाया है।

इस नाटक की बड़ी खूबियां है। इस नाटक के जरिए आपको विशाल सेट्स, डिजाइनर कॉस्‍ट्यूम्‍स और खूबसूरत अदाकारी सभी कुछ लाइव देखने का मौका मिलेगा। आपने न तो ऐसा नाटक देखा होगा और न ही ऐसे नाटक की कभी कल्‍पना की होगी। 3 घंटे के इस नाटक में फिल्‍म ‘मुगल-ए-आजम’ के हर सीन और सदाबहार गीतों पर लाइव परफॉर्मेंस दिखाई गई है। यह नाटक कुछ उसी अंदाज में जैसे 1960 में के. आसिफ लेकर आए थे, आंखों के सामने मंच पर इन कलाकारों को देख पाना एक अद्भुद अनुभूति है। 

आपको जानकर हैरानी होगी कि इस नाटक के लिए स्‍टेज पर ही विशाल सेट बनाए गए है। एलईडी लाइट्स और लेजर तकनीक के साथ इस प्‍ले का तैयार किया गया है। इस प्‍ले में 40 कथक डांसर्स का लाइव परफॉर्मेंस आपका मन मोह लेगी। 150 कलाकारों के इस प्ले में कॉस्टयूम का बड़ा रोल है। इस प्‍ले के लिए 550 कॉस्टयूम से अधिक कॉस्‍ट्यूम फैशनडिजाइन मनीष मल्होत्रा ने डिजाइन किए हैं। 

 
Disclaimer