
सुनने में ये शायद आपको थोड़ा अजीब लगे, लेकिन अधिकतर महिलाएं बैंकिंग के कामकाज से बहुत हिचकिचाती हैं। महिलाओं के मन में ये डर रहता है कि कहीं कोई गलती न हो जाए। सेविंग्स बैंक अकाउंट ही उनके लिए बहुत बड़ा सहारा होता है जहां बिना खतरे के वो अपना पैसा सुरक्षित रख सकती हैं और कुछ हद तक फाइनेंशियल इंडिपेंडेंस महसूस कर सकती हैं। पर क्या आपको पता है कि इसी सेविंग्स बैंक अकाउंट से जुड़े कुछ खास टिप्स आपको कितना फायदा पहुंचा सकते हैं? आज हम बात कर रहे हैं हाउसवाइफ और सेविंग्स बैंक अकाउंट्स की। बैंकिंग से जुड़े ये 9 नियम अगर आपको पता होंगे तो आपके लिए बहुत ही सुविधाजनक स्थिति बनेगी। <strong>नोट: ये सारी जानकारी RBI, SBI और अन्य बैंक्स की वेबसाइट के हिसाब से है।</strong> <div> </div>


अधिकतर लोगों को लगता है कि सेविंग्स अकाउंट पर ज्यादा इंटरेस्ट नहीं मिल सकता। ये कुछ हद तक सही भी है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि नया अकाउंट खोलते समय या अपना अकाउंट अपडेट करते समय आप ज्यादा इंटरेस्ट वाले सेविंग्स अकाउंट के बारे में पता कर सकते हैं। आपको 2% से लेकर 6% प्रति साल तक का इंटरेस्ट मिल सकता है। आपको बस अपने बैंक से इसके बारे पता करना चाहिए।
उदाहरण के तौर पर सेविंग्स अकाउंट में 25000 से ज्यादा रकम रखने पर कुछ बैंक्स 6% तक का इंटरेस्ट देते हैं और कुछ बैंक्स जीरो बैलेंस सेविंग्स अकाउंट में ज्यादा इंटरेस्ट देते हैं।

अधिकतर महिलाओं के पास कुछ जमा पूंजी होती है जो घर के किसी कोने में रखी होती है। इसपर आपको इंटरेस्ट मिलता रहे और सेविंग्स अकाउंट में मिनिमम बैलेंस रखने का झंझट न हो उसके लिए कुछ बैंक्स जीरो बैलेंस सेविंग्स अकाउंट भी बनाते हैं। ऐसे में आप 10 रुपए से भी अकाउंट शुरू कर सकती हैं, लेकिन ध्यान इस बात का रहे कि जीरो बैलेंस सेविंग्स अकाउंट का पैसा एफडी वगैरह में ऑनलाइन ट्रांसफर नहीं किया जा सकता और महीने में कितनी बार पैसा निकाला जा सकता है उसका भी हिसाब होता है। इसलिए जीरो बैलेंस सेविंग्स अकाउंट के नियम अपने बैंक से जरूर जान लें।

कई लोगों को लगता है कि सिर्फ 18 साल के होने पर ही बैंक अकाउंट खोले जा सकते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है। 10 साल के बच्चे का बैंक अकाउंट भी खोला जा सकता है जिसमें माता-पिता या गार्जियन का ज्वाइंट अकाउंट होता है। ऐसे अकाउंट्स में फाइनेंशियल लिमिट होती है और 18 साल के होने पर ये पूरी तरह से बच्चे के नाम चला जाता है।

नया क्रेडिट कार्ड या डेबिट कार्ड लेते समय आपको कुछ चीज़ों का ध्यान रखना चाहिए-
- क्रेडिट या डेबिट कार्ड में किन चीज़ों में प्वाइंट्स मिलते हैं (एयर माइल्स, रेस्त्रां, शॉपिंग, स्पा आदि)
- क्रेडिट या डेबिट कार्ड में एक्स्ट्रा चार्ज कौन से हैं
- किस कार्ड में घरेलू शॉपिंग में ज्यादा फायदा होगा
इन सारी चीज़ों पर अगर आप ध्यान देंगे तो क्रेडिट और डेबिट कार्ड से भी फायदा मिल सकता है।

- इमरजेंसी फंड के लिए अलग से अकाउंट रहता है।
- अलग-अलग बैंकों में RD और FD का इंटरेस्ट रेट अलग है।
- अगर किसी एक बैंक में नॉर्मल सेविंग्स अकाउंट है तो दूसरे बैंक में RD खोलने से साल के अंत में ज्यादा इंटरेस्ट मिल सकता है।
- किसी वजह से एक अकाउंट ब्लॉक हो गया या फिर एक अकाउंट का क्रेडिट या डेबिट कार्ड खो गया तो दूसरे अकाउंट में सुरक्षित पैसा रह सकता है।

सेविंग्स अकाउंट को स्वीप इन/आउट (Sweep In/ Out, SBI के लिए 'सेविंग्स प्लस अकाउंट ') अकाउंट में तब्दील किया जा सकता है। ऐसे में सेविंग्स अकाउंट का पैसा टेम्परेरी एफडी में तब्दील किया जा सकता है। इसे आप कभी भी तोड़ सकते हैं और एक लिमिट के ऊपर पैसे पर आपको सेविंग्स अकाउंट का नहीं बल्कि एफडी का इंटरेस्ट रेट मिलेगा। यानि सीधे 3% से 7% तक ये इंटरेस्ट रेट हो सकता है।
हर बैंक के नियम अलग होते हैं और इसके लिए सेविंग्स अकाउंट और एफडी में एक ब्रेक थ्रू अमाउंट भी जमा करना होता है। उसके बारे में अपने बैंक से डिटेल्स जरूर लें।

क्रेडिट कार्ड का बिल चुकाते समय आपको कुछ बातों का ध्यान अवश्य रखना चाहिए और वो ये हैं-
Minimum Amount due (MAD) के चक्कर में न पड़ें। जितना अमाउंट दे सकते हैं उतना दें, क्योंकि एक्स्ट्रा बचे अमाउंट पर बैंक इंटरेस्ट लगाएगा जो 18% तक हो सकता है। मिनिमम अमाउंट बिल का 5% हिस्सा होता है।
ऐसे में अगर 1 लाख रुपए बिल है तो 5 हज़ार ही मिनिमम अमाउंट होगा और 95000 कैरी फॉर्वर्ड हो जाएगा। इसे देने के लिए एक ग्रेस पीरियड होता है जिसमें अगर पैसा नहीं चुकाया तो उसी पैसे पर इंटरेस्ट लगेगा। उदाहरण के तौर पर 95000 को पूरे दो महीने और मिनिमम अमाउंट कर चुकाएंगे तो 4% के तौर पर इंटरेस्ट लग जाएगा। यानि आपका अमाउंट 95000 का 4% लगभग 3800 हुआ और आपका टोटल बिल 98,800 हो गया। ऐसे ही मिनिमम अमाउंट चुकाते-चुकाते बैंक आपके ही पैसे से अपनी कमाई कर लेंगे।

अगर आप पर्सनल लोन ले रहे हैं तो आप पहले अलग-अलग बैंक्स का इंटरेस्ट रेट पता करें। दरअसल, बैंक कम इंटरेस्ट रेट दिखाते हैं और ज्यादा लेते हैं। उसके पीछे की एक ट्रिक है जैसे-
आप किसी बैंक से लोन लेते हैं और वो आपको 14% इंटरेस्ट रेट कहता है। इसपर एक क्लॉज दिया जाता है कि मान लीजिए 1 लाख का लोन है और 10000 EMI देनी है तो आपको 2 EMI की एडवांस पेमेंट करनी होगी। यूजर को लगता है कि इसमें हर्ज ही क्या है। पर असल में ऐसे केस में आपका लोन अमाउंट खाली 80 हज़ार हो गया और इस हिसाब से आपका इंटरेस्ट रेट 14% से बढ़कर 16% हो गया क्योंकि आपको उन दो EMI का पैसा मिला ही नहीं। ये बहुत कॉमन ट्रिक है जिसे आपको हमेशा लोन लेते समय ध्यान रखना चाहिए। ये नॉन बैंकिंग फाइनेंशियल सर्विसेज में सबसे ज्यादा देखी जाती है।

- अगर बैंक के किसी कर्मचारी ने गलती की हो
- अगर पूरी तरह से बैंक (किसी भी तरह से) दोषी हो
- ऐसा केस जहां पर बैंक या कस्टमर दोनों की ही गलती न हो
- ऐसा केस जहां फ्रॉड होने के 72 घंटे के अंदर बैंक के पास शिकायत पहुंच गई हो
इनके अलावा, फ्रॉड का पैसा वापस पाने की गुंजाइश थोड़ी कम हो जाती है।
अगर आपको ये सारे नियम पता हैं तो आपकी बैंकिंग बहुत आसान हो जाएगी और पर्सनल फाइनेंस के सिलसिले में आप थोड़ी और जानकारी इकट्ठा कर पाएंगी। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से।