अच्छा है कि बात हो रही है और बात होनी भी चाहिए... ना हमें किसी #metoo की बात करनी चाहिए औऱ ना ही किसी अन्य तरह के ट्रेंड की। क्योंकि इंडियन सोसायटी में तो ये सारी चीजें बहुत पहले से हो रही हैं। ना कोई दिन होता है, ना कोई समय... ना किसी की उम्र देखी जाती है ना किसी के कपड़े। 6 महीने की बच्ची के साथ भी रेप होता है और नब्बे साल की महिला के साथ भी रेप होता है। तो ऐसे में क्या किसी ट्रेंड का इंतजार करें अपनी आवाज उठाने के लिए? इसलिए हमलोग आज बात करने वाले हैं अमिताभ बच्चन की फिल्म 'पिंक' की जो इस साल की अच्छी फिल्मों में शुमार हुई है। Actually 'पिंक' फिल्म की नहीं इसके dialogues की बात करने वाले हैं जो इंडियन सोसायटी को लड़कियों के लिए सेफ सोसायटी बनाने के लिए अच्छी तरह से गाइड करती है। अगर इन dialogues को फॉलो कर लिया जाए तो महिलाओं की सेफ्टी का सवाल फिर कभी हमारे लिए इतना पेचिदा नहीं बनेगा। और ना फिर किसी ट्रेंडी की जरूरत पड़ेगी। तो चलिए अब हो गई बहुत सी बातें जालते हैं एक नजर इन 9 powerful dialogues पर
रात में अकेली लड़कियां जब भी किसी तरह की दुर्घटना की शिकार होती हैं तो सबसे पहला सवाल लोगों का यही होता है कि इतनी रात को अकेले क्यों बाहर निकली थी?जबकि इस dialogue में दिए गए महान idea को बंद करके रात में होने वाली दुर्घटनाओं को रोका जा सकता है।
इस पर तो हमारे कई बड़ी-बड़ी पर्सेनेलिटी तक ने सवाल खड़ा कर दिए हैं कि पब में क्या करने जाती हैं ये लड़कियां? उन लोगों के लिए ये dialogue मुंह में तमाचे की तरह है।
जहां रात को घड़ी की सुई दस बजकर पार हुई और लड़की घर पर लेट हुई तो सभी पड़ोसी और रिश्तेदार समझने लगते हैं कि फलाना लड़की केरेक्टरलेस है।
खैर शहर में तो कोई लड़की खुद ही अकेला रहना पसंद नहीं करती। लेकिन मजबूरी होती है... काश कोई ये मजबूरी समझता!
आज भी शराब ना पीने वाली लड़की लोगों के लिए शादी मटेरियल होती है और शराब पीने वाली लड़कियां शक की निगाह से देखी जाती है। इसलिए तो लोग शराब पीने वाली लड़कियों के लिए वो पुश्तैनी हक बन जाती हैं।
लड़का शराबी हो सकता है, जुआरी हो सकता है, रेपिस्ट हो सकता है... लेकिन लड़कियां नहीं। लड़कियां केवल सीता होनी चाहिए और अंत में सती होगी।
यार घूमना-फिरना हर किसी को पसंद होता है। आपने पूछा हमने हां कह दिया। लड़के की जगह कोई लड़की भी डिनर के लिए मेरे से पूछेगी तो भी मैं जाऊंगी। वो लड़क तो कभी नहीं सोचती की मैं avaialable हूं। पता नहीं कब खत्म होगी ये दकियानूसी सोच।
क्या करें, हमारी सोसायटी में थोड़े से कम पढ़े-लिखे लोग हैं, इसलिए उन्हें शब्द जल्दी समझ नहीं आते। ना तो बिल्कुल भी नहीं।
और लड़कों को ये बात समझना जरूरी है।