कहानी में अब तक - शिवानी राघव से नाराज थी, लेकिन फिर से मैसेज आने पर वह पिघल गई, शिवानी इस बार राघव से मिलने की उम्मीद में स्कूल के उस हिस्से में जा रही थी, जहां आज तक कोई भी स्टूडेंट नहीं गया था। अब आगे...
शिवानी छिप कर स्कूल के सुनसान एरिया की तरफ जा रही थी। लेकिन वह बहुत ज्यादा घबराई हुई थी, उसे ऐसा लग रहा था जैसे कोई उसे देख रहा है, वह बार बार अपने चारों तरफ देखते हुए, जल्दी जल्दी आगे बढ़ रही थी। तभी उसके पैरों में सारी फंस गई और वह नीचे गई, उसे पैरों में मोच आ गई थी, और वह ढंग से चल भी नहीं पा रही थी, लेकिन फिर भी शिवानी ने वापस स्कूल की तरफ जाने के बारे में नहीं सोचा। उसने अपने कपड़े साफ किए और लंगड़ाते हुए अंदर की तरफ जाने लगी। इस बार वो राघव से मिलकर ही जाएगी, शिवानी ने पूरा फैसला कर लिया था। जैसे जैसे वो अंदर जा रही थी, और ज्यादा अंधेरा होता जा रहा था। शिवानी को ढंग से कुछ दिखाई भी नहीं दे था। तभी उसे सामने एक कमरा दिखा।
कमरे का दरवाजा बंद था, लेकिन उसपर लिखा था, तुम सही जगह पहुंच गई हो, अब धीरे से दरवाजा अंदर की तरफ खोलो और आ जाओ।
शिवानी के चेहरे पर मुस्कान थी, उसने खुशी खुशी दरवाजा खोलो अंदर पैर रखा। तभी शिवानी का पैर किसी गड्ढे में चला गया और किसी गहरी खाई में जाकर वो गिर गई। गिरते हुए शिवानी का सिर किसी पत्थर पर टकराया था, जिसकी वजह से वह नीचे गिरकर बेहोश हो गई थी।
एक तरफ जहां शिवानी किसी बड़ी मुसीबत में फंस चुकी थी, तो वहीं दूसरी तरफ स्कूल में बच्चे जोरो शोरों से डीजे पर नाच रहे थे। शाम के 6 बज गए थे और अब पार्टी खत्म होने को थी। बच्चे एक दूसरे के गले मिलकर बस अपने घर की तरफ बढ़ रहे थे। लेकिन शिवानी की दोस्त को स्नेहा को न तो कहीं शिवानी दिख रही थी और न ही राघव। उसे लगा कि लगता है दोनों फिर से किसी क्लास रूम में मिलने गए हैं।। राघव के दोस्त भी उसे काफी देर से खोज रहे थे। तभी स्टेज के पीछे से राघव को फोन पर बात करते हुए उन्होंने आता देखा।
राघव को देखते है सब एक साथ चिल्लाए, अबे तू इतनी देर से कहां था, हम कबसे तुझे ढूंढ रहे है, राघव की आवाज सुनते ही शिवानी की दोस्त स्नेहा को नजर भी उसपर गई। उसे लगा कि राघव यहां है तो शिवानी भी यहीं कहीं होगी। वो शिवानी को फोन लगा थी, लेकिन उसका फोन बंद आ रहा था। उसने स्कूल में जाकर क्लास रूम में शिवानी को ढूंढा, वो बाथरूम में भी शिवानी को देखने गई, लेकिन उसे कहीं शिवानी नजर नहीं आई। तभी बाथरूम में शीशे के पास स्नेहा को शिवानी का पर्स नजर आया। उसने शिवानी का पर्स उठाया और सीधा राघव के पास गई।
उसने राघव से पूछा, शिवानी कहां है? राघव ने कहा, तुम्हे पता होना चाहिए, तुम्हारी दोस्त है, मुझसे क्यों पूछ रही हो। राघव का जवाब सुनकर स्नेहा को बहुत गुस्सा आया, उसने चिल्लाते हुए कहा, पहले तुमने उसे अकेले क्लासरूम में मिलने बुलाया, फिर उसके साथ भद्दा मजाक किया और इतने देर से शिवानी और तुम गायब हो, इसका मतलब इस बार फिर तुमने उसके साथ कुछ मजाक किया होगा, इसलिए वो नाराज होकर गुस्से में कहीं चली गई और अपना फोन भी बंद कर लिया। वो अपना पर्स भी लेकर नहीं गई है, ये मुझे बाथरूम में मिला। स्नेहा की बात सुनकर राघव हैरान रह गया, और बोला, तुम पागल हो क्या, मैने शिवानी को मैसेज नहीं किया, मेरे पास तो उसका नंबर भी नहीं है, और मैने न उसे मिलने को कहीं बुलाया और न मैने कोई मजाक किया उसके साथ। राघव की बात पर स्नेहा को भरोसा नहीं हो रहा था , वो फिर भी राघव को ही दोष दिए जा रही थी।
तभी राघव के एक दोस्त ने कहा, राघव सच कह रहा है, वो तो बहुत देर से स्टेज के पीछे फोन पर बात कर रहा था। राघव ने भी कहा, तुम मेरा फोन चेक कर लो, मैं पिछले 2 घंटे से इस नंबर पर बात कर रहा था। तुम टाइम देख सकती हो। स्नेहा ने राघव का फोन चेक किया, उसे भरोसा हो गया कि राघव सच कह रहा है। लेकिन अब सब चिंता में पड़ गए थे। आखिर कौन था जो शिवानी को राघव बनकर मैसेज कर रहा था, किसने उसे मिलने के लिए बुलाया था, कहीं फिर से तो शिवानी उससे मिलने तो नहीं गई है।
सभी दोस्त बहुत ज्यादा परेशान हो गए थे और उन्होंने मिलकर शिवानी को ढूंढने का प्लान बनाया। राघव ने सभी दोस्तों को अलग अलग ग्रुप बनाकर शिवानी को ढूंढने कहा। कुछ बच्चे स्कूल की बिल्डिंग को तरफ गए और कुछ बच्चे गेमिंग जोन की तरफ गए।
हर क्लास में जाकर बच्चे शिवानी को ढूंढ रहे थे, तभी मैथ टीचर ने राघव और स्नेहा को एक साथ देखा। सर ने गुस्से में कहा, तुम लोग यहां क्या कर रहे हो। सर के सवाल करते ही, स्नेहा रोते हुए कहने लगी, सर शिवानी नहीं मिल रही थी, उसका फोन भी बंद आ रहा है।
स्नेहा को रोता देख सर ने कहा, अरे वो घर चली गई होगी, इतना परेशान क्यों हो रही हो, इस बात पर स्नेहा ने कहा, नहीं सर उसका पर्स हमें बाथरूम मिला, बिना पर्स के वो कहां जाएगी, पैसे तो पर्स में ही है और उसे हमने पिछले 3 घंटों से नहीं देखा है।
स्नेहा की बात सुनकर मैथ टीचर भी परेशान हो गए। वो भी अब बच्चों के साथ शिवानी को ढूंढने लगे थे। उन्होंने प्रिंसिपल को फोन किया और इस बात की जानकारी दी। मैथ टीचर की बात सुनते ही प्रिंसपल बहुत ज्यादा टेंशन में आ गए। उन्होंने मैथ टीचर से कहा, एक बार फिर वहीं हुआ, आखिर हर बार हमारे स्कूल में ऐसा क्यों हो रहा है, इस साल फिर एक लड़की गायब हो गई है, इस बात को फिर से दबाना हमारे लिए मुश्किल होने वाला है। मैथ टीचर ने कहा, सर आप चिंता ना करे , हम इस मामले को संभाल लेंगे, पहले शिवानी को ढूंढते है, क्या पता वो यहीं कहीं हो, गायब ना हुई हो।
मैथ टीचर की बात सुनकर प्रिंसिपल को थोड़ी राहत तो मिली थी, लेकिन उन्होंने सभी टीचर्स और गार्ड को शिवानी को खोजने के लिए कहा। खाली स्कूल में बस बच्चों की आवाज गूंज रही थी, हर कोई बस शिवानी शिवानी चिल्ला रहा था, लेकिन किसी को भी शिवानी नहीं मिल रही थी। तभी शिवानी को गड्ढे में किसी के बुलाने के आवाज सुनाई दी, शिवानी को होश आ रहा था, लेकिन उसके सिर पर चोट लगने की वजह से बहुत ज्यादा खून बह रहा था। शिवानी ने अपने सिर पर हाथ रखा और खून को रोकने की कोशिश की, गड्ढे में बहुत अंधेरा था और उसे कुछ दिखाई नहीं दे रहा था।
शिवानी रो रही थी और मदद के लिए चिल्ला रही थी, लेकिन कोई उसे सुन नहीं पा रहा था, तभी वह अपना फोन खोजने लगी, उसने हर तरह हाथ घुमाया, और उसके हाथ एक फोन लगा, फोन की स्क्रीन टूट गई थी, इसलिए फोन का टच काम नहीं कर रहा था, तभी उसे उसके पैर के पास कुछ फील हुआ, उसने हाथ लगाया तो वहां भी एक फोन था, उसने फोन उठाया और उसे ऑन करने की कोशिश की, उसने देखा कि ये उसका ही फोन था, लेकिन जो पहले उसे फोन मिला, वो किसी और का था।
उसके भी फोन की स्क्रीन टूट गई थी इसलिए काम नहीं कर पा रही थी, लेकिन जैसे तैसे वो फोन की टॉर्च ऑन करने में सफल हो गई, उसने फोन को चारों तरफ घुमाया, तो उसे गड्ढे में ढेर सारे फोन दिखे, अंदर कम से कम 15 से 20 फोन थे। फोन देख कर शिवानी बहुत ज्यादा घबरा गई और चिल्ला कर हेल्प हेल्प चिलाने लगी। लेकिन गड्ढा इतना गहरा था कि किसी को उसकी आवाज सुनाई नहीं दे रही थी।
उसने गड्ढे में अपने चारों तरफ चलकर देखा, तभी उसे राघव और स्नेहा की आवाज सुनाई दी, वो लोग उसे ढूंढ रहे थे। शिवानी ने भी उनकी आवाज सुनते, चिल्लाना शुरू कर दिया। शिवानी बार बार चिल्ला रही थी कि मैं यहीं हूं, प्लीज मुझे बचा लो, लेकिन किसी को भी शिवानी की आवाज सुनाई नहीं दे रही थी, राघव और स्नेहा अब वहां से जा चुके थे और, शिवानी बस बैठकर गड्ढे में रोने को मजबूर हो गई थी। उसने अपने फोन से कॉल करने की कोशिश की, लेकिन फोन में नेटवर्क नहीं आ रहा था, इसलिए वो किसी को फोन b नहीं कर पा रही थी। तभी गड्ढे में ऊपर से कोई मिट्टी गिराने लगा। शिवानी बहुत घबरा गई, उसे समझ आ गया कि किसी ने उसके साथ ये जानबूझकर किया है। शिवानी बिना कोई आवाज किए अपना मुंह बंद करके गड्ढे में बैठ गई।
तभी ऊपर से मिट्टी गिरना बंद हो गई। रात के 10 बज गए थे और शिवानी किसी को नहीं मिली थी, अब प्रिंसिपल ने भी सभी बच्चों को हॉस्टल की तरफ जाने के लिए कह दिया था। स्नेहा के फोन पर शिवानी की मां का फोन आ रहा था, लेकिन वह उसकी मां को क्या जवाब देती, इसलिए उसने फोन नहीं उठाया।
सभी बच्चे परेशान होकर वापस हॉस्टल चले गए थे। प्रिंसिपल ने भी सभी टीचर्स को घर जाने के लिए कह दिया था।
रात के 12 बज गए थे, स्कूल एकदम सुनसान हो गया था, बस गड्ढे में शिवानी के सिसकने की आवाज थी। तभी शिवानी को गड्ढे में से कोई आवाज आई। ऐसा लग रहा था जैसे कोई दरवाजा है, जिसे खोलने की कोशिश हो रही है। दरवाजे की आवाज सुनते ही शिवानी जमीन पर लेट गई। उसने फोन अपनी साड़ी के नीचे छिपा लिया। गड्ढे में एक दरवाजा था जो किसी ने खोला, शिवानी जमीन पर पड़ी बेहोशी का नाटक कर रही थी। तभी किसी ने शिवानी के चेहरे पर टॉर्च मारा, शिवानी ने अपनी आँखें बंद कर रखी थी।
आखिर अब शिवानी के साथ क्या होने वाला था, कौन था जिसने शिवानी को बंधक बना लिया था, जानने के लिए पढ़ें अगला एपिसोड
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों