एक प्लेन ने जैसे ही आसमान की ऊंचाई छुई, नीचे ऐसी खबर फैल गई, जिसने सभी के होश उड़ा दिए थे। कभी प्लेन हादसा और कभी प्लेन में धमाका लेकिन इस बार कुछ ऐसा हुआ जिसने एक झटके में सब बदल गया। चंद मिनट पहले तक जहां यात्री खिड़की से बादलों का नजारा देखकर खुश हो रहे थे, अब वही लोग सीट बेल्ट कसकर जान की भीख मांग रहे थे। 7 हथियारबंद लोग अचानक अपनी सीट से उठे और देखते ही देखते फ्लाइट B1600 को कब्जे में ले लिया। बंदूक की नोक पर एयर होस्टेस के हाथ-पैर बांध दिए गए थे। कोई चीखा, किसी ने मदद की गुहार लगाई, लेकिन अब सब बेकार था, यह प्लेन अब हाईजैक हो चुका था।
उधर जमीन पर, टीवी स्क्रीन पर ब्रेकिंग न्यूज दौड़ रही थी- दिल्ली से कनाडा जा रही फ्लाइट को उड़ान के कुछ ही मिनटों बाद हाईजैक कर लिया गया है। लोग टीवी पर नजरें गड़ाए बैठे थे और उन्हीं में से एक थे स्नेहा के पिता भी थे। स्नेहा के पिता के पैरों से तो जैसे जमीन ही खिसक गई थी, आखिर यह सब कैसे हो सकता था। बात 22 जून की थी, स्नेहा पहली बार पढ़ाई के लिए कनाडा जा रही थी। विदेश जाने का मकसद सिर्फ पढ़ाई नहीं था बल्कि वहां जाकर छोटी-मोटी नौकरी करके पैसे भी कमाने थे। जब स्नेहा एयरपोर्ट पर पहली बार अपने पासपोर्ट पर लगी मुहर को देख रही थी, तो उसकी आंखों में सिर्फ एक सपना था और वह कुछ बनकर लौटना चाहती थी। एयरपोर्ट पर उसे छोड़ने के लिए उसके पिता भी साथ गए थे। समय हो चला था और अब वह एयरपोर्ट की तरफ बढ़ रही थी। बेटी को जाता देख पिता की आंखें भर आई थीं क्योंकि वह जानते थे कि वह जल्दी अपनी बेटी को नहीं देख पाएंगे। वहीं दूसरी तरफ बेटी भी पिता को दुखी होता देख मन ही मन रो रही थी लेकिन उनके सामने चेहरे पर मुस्कान लिए बाय-बाय कह रही थी।
स्नेहा के पिता ने अपनी बेटी को विदेश भेजने के लिए अपना सब कुछ बेच दिया था। लाखों का घर, गाड़ी और गहने, सब कुछ बेचने के बाद उन्होंने अपनी बेटी को विदेश भेजने के पैसे जुटाए थे। अब वह अकेले किराए के मकान में रह रहे थे। स्नेहा की मां का देहांत तो कई वर्षों पहले ही बीमारी के चलते हो गया था, इसलिए अब उनकी बेटी ही उनके बुढ़ापे का सहारा थी। बेटी के एयरपोर्ट में अंदर जाने के बाद स्नेहा के पिता भी ऑटो लेकर वापस अपने घर की तरफ चल पड़े। उधर एयरपोर्ट में अंदर घुसते ही स्नेहा अपने आंसुओं को रोक नहीं पाई और अपने पिता को चुपचाप ऑटो में जाता देख रो रही थी। उसे पढ़ाने और विदेश भेजने के लिए उसके पिता ने अपना सब कुछ कुर्बान कर दिया था। स्नेहा ने कसम खाई थी कि चाहे कुछ भी हो जाए, वह अपने पिता को सब कुछ वापस लौटा कर ही रहेगी।
फ्लाइट के उड़ान भरने का समय नजदीक था, स्नेहा ने अपना सामान चेक करवाया और थोड़ी देर इंतजार करने के बाद फ्लाइट में चढ़ने के लिए लाइन में लग गई। वह पहली बार फ्लाइट में बैठने वाली थी, इसलिए वह बहुत ज्यादा खुश थी। फ्लाइट में उसके पिता ने बेटी के लिए खिड़की वाली सीट बुक की थी। स्नेहा खुशी-खुशी अपनी सीट पर बैठ गई और फ्लाइट के टेक ऑफ करने का इंतजार करने लगी। तभी उसके बगल में एक आदमी आकर बैठ गया।
वह आदमी जैसे ही सीट पर बैठा, उसने अपना चेहरा कपड़े से ढक लिया। स्नेहा ने उसकी तरफ देखा लेकिन आदमी ने नजरें छिपा लीं। फ्लाइट में स्नेहा को उस आदमी का बर्ताव ठीक नहीं लग रहा था। वह बार-बार अपने बैग में हाथ डाल रहा था। ऐसा लग रहा था जैसे वह कुछ छिपा रहा है। स्नेहा ने उसके बैग में झांकने की कोशिश की, तभी आदमी ने इशारा किया, "क्या दिक्कत है?" वह घबरा गई और फौरन खिड़की की तरफ देखने लगी। उसने बैग में कुछ धारीदार चीज देखी थी, लेकिन उसने ऐसा जताया जैसे उसने कुछ नहीं देखा।
देखते ही देखते फ्लाइट ने उड़ान भर ली। एयर होस्टेस ने लोगों का हाथ जोड़कर स्वागत किया और सीट बेल्ट लगाने के लिए अनुरोध कर रही थीं। तभी वह आदमी अपनी सीट से उठा और बाथरूम की तरफ गया। स्नेहा ने फौरन उसका बैग खोला और चेक करने लगी। बैग में बंदूक और कई धारीदार हथियार थे। वह बहुत ज्यादा घबरा गई और फौरन बैग में से एक चाकू निकालकर अपने पर्स में रख लिया।
एक-दो मिनट में वह आदमी वापस आया और स्नेहा की तरफ देखने लगा। स्नेहा ने फिर से खिड़की की तरफ मुंह घुमा लिया। सीट पर आते ही उस आदमी ने बैग खोला और बंदूक निकालकर एयर होस्टेस के सिर पर लगा दी। यह देखते ही फ्लाइट में हड़कंप मच गया। लोग डरकर शोर मचाने लगे। स्नेहा भी बहुत घबरा गई और अपनी सीट के नीचे बैठ गई। तभी उस आदमी ने कहा, "कोई भी अपनी सीट से नहीं हिलेगा, वरना ये गोली इस लड़की के सिर से तो निकलेगी ही लेकिन और किस-किस पर चलेगी, अंदाजा भी नहीं लगा सकते।" तभी फ्लाइट में और भी अलग-अलग सीटों से 5 से 7 लोग बंदूक लेकर खड़े हो गए।
सबने चिल्लाते हुए कहा, ‘ये फ्लाइट अब हमारे कब्जे में है, अगर किसी ने भी होशियारी दिखाई तो उसे सीधा फ्लाइट से नीचे फेंक दिया जाएगा।’ देखते ही देखते सभी एयर होस्टेस के हाथ और पैर बांध दिए गए थे। फिर उसी आदमी ने स्नेहा की तरफ देखा और कहा, ‘तू क्या मेरे बैग में देख रही थी? तूने मेरे बैग का सामान देख लिया था ना? सच-सच बता वरना गोली से उड़ा दूंगा।’ स्नेहा ने डरते हुए कहा, "हां, मैंने देख लिया था।’ आदमी ने कहा, ‘तो फिर भी तूने किसी को बताया क्यों नहीं? उस वक्त तो फ्लाइट उड़ी भी नहीं थी।’ स्नेहा ने कहा, ‘मैं बहुत डर गई थी।’ आदमी हंसने लगा और बोला, ‘चलो, तेरे डरने की वजह से हमारा काम खराब नहीं हुआ। अब तू डर मत, तुझे मैं कुछ नहीं करूंगा क्योंकि तूने उस वक्त कुछ नहीं कहा।'
‘लेकिन ज्यादा होशियारी दिखाई तो तू भी इस प्लेन से सीधा नीचे जाएगी।’ स्नेहा ने घबराई हुई आवाज में कहा, ‘नहीं-नहीं, प्लीज मुझे कुछ मत करना, मैं कुछ नहीं करूंगी।’ तभी फ्लाइट में पीछे बैठा एक आदमी हाथ में पेपर स्प्रे लिए गुंडों पर हमला करने की कोशिश करने लगा और तभी उसे गोली मार दी गई। आदमी की मौत के बाद फ्लाइट में जैसे सन्नाटा छा गया। हर कोई भगवान से दुआ करने लगा। फ्लाइट में लगभग 250 लोग थे और सभी अब बचने की उम्मीद छोड़ चुके थे, क्योंकि प्लेन को हाईजैक कर लिया गया था। यह बात अब खबरों में भी आने लगी थी। प्लेन नम्बर A1678, दिल्ली से कनाडा जा रही फ्लाइट को हाईजैक कर लिया गया था। रात के 3 बज रहे थे और हर न्यूज चैनल पर बस फ्लाइट के हाईजैक की खबरें ही चल रही थीं। उधर स्नेहा के पिता अपनी बेटी को फोन कर रहे थे क्योंकि रात 9 बजे उनकी बेटी ने फ्लाइट ली थी लेकिन अब फोन नहीं लग रहा था। नींद नहीं आने की वजह से उन्होंने टीवी चलाया और फ्लाइट की खबर सुनकर जैसे उनके होश ही उड़ गए।
फ्लाइट हवा में थी लेकिन उसके वापस आने की उम्मीद कम लग रही थी। खबरों में बस यही दिखाया जा रहा था कि आखिर प्लेन में सवार 250 लोगों का क्या होगा, आखिर उनकी क्या मांग है? यह वही फ्लाइट थी जिसमें स्नेहा भी सवार थी। स्नेहा के पिता को समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करें। उधर, हजारों किलोमीटर ऊपर फ्लाइट में सवार स्नेहा बस सोच रही थी कि ऐसा क्या किया जाए जिससे फ्लाइट में सभी लोगों को बचाया जा सके। स्नेहा के पास चाकू था। उसने चाकू को धीरे से जेब में छिपाया और सबसे पहले बाथरूम के लिए खड़ी हुई। तभी बंदूक लिए आदमी ने कहा, "कहां जा रही है लड़की?" स्नेहा ने घबराते हुए कहा, ‘बाथरूम।’
स्नेहा को जाता देख वही आदमी जो उसके साथ बैठा था, उसने दूसरे आदमी से कहा, ‘उसे जाने दे, वो कुछ नहीं करेगी। उसने तो मेरे बैग में सामान भी देखा था, फिर भी कुछ नहीं कहा।" यह सुनकर उसके सभी साथी हंसने लगे और बोले, "अच्छा है, जा जा, तुझे कुछ नहीं करेंगे।"
सबका ध्यान स्नेहा से हट गया था। तभी स्नेहा छुपकर एक एयर होस्टेस के पास गई और उसके हाथ-पैर खोल दिए और भागकर बाथरूम में घुस गई। स्नेहा ने गहरी सांस ली और चाकू अंदर ही छोड़ दिया और बाहर आते हुए एयर होस्टेस को इशारा किया। एक-दो घंटे बाद एयर होस्टेस छिपकर बाथरूम में गई और वहां से चाकू उठाया और अपने सभी साथियों के हाथ खोल दिए। हाथ खुलने के बाद भी सभी ऐसे बैठे हुए थे जैसे उनके हाथ बंधे हों। तभी एक आदमी उन्हें चेक करने आया। उसे सब ठीक लगा, इसलिए वह वापस चला गया। अब उन्हें कैसे भी करके फ्लाइट के आगे वाले हिस्से में जाना था, जहां से फ्लाइट को ऑपरेट किया जा रहा था। वहां पहुंचकर वे फ्लाइट को कहीं लैंड करवा सकते थे। एयर होस्टेस ने दूर से स्नेहा की तरफ इशारा किया। स्नेहा फिर बाथरूम की तरफ जा रही थी।
स्नेहा को थोड़ी देर में दोबारा जाते देख, बंदूक ताने आदमी ने स्नेहा से कहा, ‘तुझे कितनी बार बाथरूम जाना है, अभी तो गई थी।’ स्नेहा ने डरते हुए कहा, ‘घबराहट में बार-बार जाना पड़ रहा है।’ आदमी ने परेशान होते हुए इशारा किया और जाने दिया। स्नेहा तुरंत एयर होस्टेस के पास पहुंच गई। सभी ने मौका देखकर फ्लाइट ऑपरेटिंग रूम में हमला कर दिया। वहां केवल एक ही आदमी था, जो पायलट के सिर पर बंदूक ताने खड़ा था। इधर स्नेहा और पांच अटेंडेंट ने उसे पकड़ लिया और उसकी बंदूक छीन ली। इसके बाद उसके हाथ-पैर बांध दिए और वहीं बिठा दिया। स्नेहा ने कहा, "इसके सिर पर बंदूक लगाओ और अगर बाहर से आवाज आए तो ये बोलेगा कि अंदर सब ठीक है। अगर इसने कुछ भी गलत बोला तो गोली मार देना, क्योंकि हम तो मरेंगे ही, तो इसे भी लेकर ही मरेंगे।"
इसके बाद पायलट ने कंट्रोल रूम से संपर्क किया और पास ही कहीं लैंड करने की इजाजत मांगी। उधर कंट्रोल रूम से भी जवाब आ गया और फ्लाइट आधे घंटे में लैंड करने वाली थी। स्नेहा ने एयर होस्टेस से कहा, ‘ यहां बस एक ही लोग रुके जो इसके सिर पर बंदूक रखेगा, बाकी लोग अब वापस बाहर जाकर हाथ बंधे होने का नाटक करें। सभी ने उस आदमी के बैग से हथियार ले लिए और वापस बाहर जाकर अपने हाथ पीछे करके बंधे होने का नाटक करने लगे। स्नेहा भी वापस अपनी सीट पर जाकर बैठ गई। सब कुछ ठीक चल रहा था, तभी फ्लाइट नीचे की तरफ जाने लगी। फ्लाइट को नीचे जाते देख बंदूकधारी आदमी पायलट की तरफ बढ़ने लगा। वह दरवाजा खोलने ही वाला था, तभी अंदर से आवाज आई, 'भाईजान, हम लोकेशन पर पहुंच गए हैं। फ्लाइट नीचे उतरने वाली है, सबको तैयार रहने को बोल दो।' यह सुनकर वह यह जानकारी देने के लिए वापस मुड़ा, तभी जमीन पर हाथ बंधे होने का नाटक कर रही एयर होस्टेस ने उसे पकड़ लिया और बंदूक छीन ली। जोर-जबरदस्ती के बाद आखिर उसे भी रस्सी से बांधकर बाथरूम में बंद कर दिया गया।
कुछ देर बाद जब वह वापस नहीं आया तो अन्य साथियों के मन में शक हुआ। फिर दूसरा साथी उसकी खबर लेने गया। जैसे ही दूसरा साथी आया, उसके साथ भी यही हुआ। इस तरह धीरे-धीरे सभी के हाथ-पैर बांध दिए गए। अब सभी दुश्मनों को बांध दिया गया था और उन्हें यात्रियों के बीच बिठा दिया गया। उन्हें बंधा हुआ देख कई यात्रियों ने उन पर लात-घूंसे भी बरसाए। लेकिन एयर होस्टेस ने लोगों से अपील की कि इन्हें जिंदा पुलिस के हवाले किया जाएगा।
आखिरकार स्नेहा की बहादुरी की वजह से प्लेन में बैठे सभी यात्रियों की जान बच गई थी। स्नेहा को इसके लिए कई पुरस्कार भी मिले और लाखों की इनाम राशि के साथ पुलिस की सरकारी नौकरी भी मिल गई। अब स्नेहा को विदेश जाने की जरूरत नहीं थी क्योंकि वह अपने देश में रहकर ही अच्छी कमाई करने लगी थी।
यह कहानी पूरी तरह से कल्पना पर आधारित है और इसका वास्तविक जीवन से कोई संबंध नहीं है। यह केवल कहानी के उद्देश्य से लिखी गई है। हमारा उद्देश्य किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं है। ऐसी ही कहानी को पढ़ने के लिए जुड़े रहें हर जिंदगी के साथ।
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