23 years old girl travelling alone in train turned into a nightmare terrifying women story in hindi

    23 साल की लड़की अकेले गांव से पहली बार नौकरी की तलाश में दिल्ली आ रही थी, लेकिन ट्रेन में जब वह सो रही थी तो किसी ने चेहरे पर कपड़ा रखा और...

    Priya Singh

    Shocking Train Journey: तान्या ट्रेन में सफर करने के लिए अकेले अपने गांव से निकली थी। उसने सोचा भी नहीं था कि उसके साथ कुछ ऐसा हो सकता है। उसके मां-बाप उसे शहर जाने से मना कर रहे थे। क्योंकि, वह कभी अकेले किसी शहर में नहीं रही थी। लेकिन इस बार उसने फैसला कर लिया था कि वह अकेले ही घर से दूर रहेगी। दरअसल, तान्या नौकरी की तलाश में पहली बार अपने गांव से बाहर निकली थी। गांव में उसने जैसे-तैसे ग्रेजुएशन पूरी तो कर ली थी, लेकिन किसी बड़े शहर में जाकर नौकरी करना उसके जीवन का अब तक का सबसे बड़ा कदम था। उसने कभी सोचा भी नहीं था कि वह एक दिन दिल्ली जैसे शहर में काम करने जाएगी। गांव से बाहर निकलना आसान नहीं था। इसके लिए उसे अपने घर वालों से कई बार बहस करनी पड़ी थी। पिछले कुछ वर्षों से वह लगातार समझा रही थी कि उसे नौकरी करनी है और इसके लिए शहर जाना जरूरी है। आखिरकार वह दिन आ ही गया, जब वह उम्मीदों और डर के साथ नौकरी की तलाश में शहर के लिए निकल पड़ी।

    हालांकि उसके माता-पिता नाराज थे और उसका भाई तो उसकी शक्ल तक देखना नहीं चाहता था, फिर भी सभी लोग उसे स्टेशन तक छोड़ने आए थे। ट्रेन के चलने से पहले तान्या के पापा पानी लेने चले गए। उसी समय, उसकी मां ने अपनी साड़ी का कोना खोला और उसमें से कुछ पैसे निकालकर तान्या के हाथ में रख दिए। मां ने हल्के गीले स्वर में कहा, 'तू किसी की सुनती तो है नहीं, लेकिन ये पैसे रख ले बेटा।' तान्या ने मुस्कुराकर कहा, 'अरे मां, पापा ने मुझे पैसे दे दिए हैं। आप इन्हें अपने पास ही रखो, आपको ज़रूरत पड़ी तो आप उन्हीं से झगड़ा करोगी।' मां ने नम आंखों से कहा, 'बेटा, इन पैसों को तब निकालना जब सब पैसे खत्म हो जाएं। ये तेरे मजबूरी के लिए हैं। इतनी दूर जा रही है, अकेली, शहर में... पता नहीं कब क्या ज़रूरत पड़ जाए।' तान्या ने मां का प्यार समझते हुए वह पैसे ले लिए और उन्हें अपने बैग की एक किताब के अंदर छिपा दिया।

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    Girl Train Horror Experience: ट्रेन चलने वाली थी। सब लोग बाहर आ गए। तान्या को विदा करते हुए सबकी आँखें भर आई थीं। तान्या खिड़की से अपने माता-पिता को देख हाथ हिला रही थी। मां ने भी आंसू रोकते हुए बाय कहने के लिए हाथ उठाया। धीरे-धीरे ट्रेन स्टेशन छोड़ चुकी थी... और तान्या की नई जिंदगी की शुरुआत हो चुकी थी।

    तान्या ट्रेन में बैठी अपने माता-पिता को उदास देखकर खुद भी दुखी हो रही थी। वह खिड़की से बाहर देखती रही, जब तक स्टेशन पूरी तरह पीछे नहीं छूट गया। तभी सामने वाली सीट पर बैठी एक महिला ने मुस्कुराते हुए कहा, 'अरे बिटिया, पहली बार शहर जा रही हो क्या? तुम्हारे घरवाले तो बहुत परेशान लग रहे थे तुम्हें छोड़ते वक्त।' तान्या ने चुपचाप सिर हिलाया और दूसरी तरफ मुंह फेरकर लेट गई। धीरे-धीरे रात होने लगी थी। तान्या ने अब तक कुछ भी नहीं खाया था। तभी वही महिला फिर बोली,'बिटिया, खाना खा लो। खाना लायी हो या नहीं?' फिर खुद ही कहने लगी, 'अगर नहीं लाई हो तो चलो मेरे साथ खा लो। मैं ज्यादा खाना लेकर आई हूं। और इतना परेशान मत हो... देखो, मैं भी तो अकेले शहर जा रही हूं। चिंता करने की जरूरत नहीं है।'

    तान्या का दिल थोड़ा हल्का हो गया था। उसने मुस्कुराते हुए कहा, 'अरे नहीं माताजी, मैं परेशान नहीं हो रही... बस मां-पापा को उदास देखकर मन भर आया।' तभी उसके बैग में रखा फोन बज उठा। महिला हंसते हुए बोली, 'लो देखो, तुम्हारी मां का ही फोन होगा!'' तान्या ने बैग से फोन निकाला और हंसते हुए कहा, 'हां, मां ही हैं।' वह बात करने लगी। उधर महिला ने खाना निकाला और खुद भी खाने की तैयारी करने लगी।

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    बात खत्म करके तान्या ने भी खाना शुरू किया। तभी महिला ने फिर सवाल किया, तो, नौकरी के लिए शहर जा रही हो? तान्या ने जवाब दिया, हां जी माताजी, नौकरी की तलाश में दिल्ली जा रही हूं। एक पीजी में रहूंगी।' महिला लगातार उससे सवाल किए जा रही थी। डिब्बे में बैठे बाकी यात्री भी उसकी तेज आवाज सुन रहे थे। शरीर से भारी, चेहरे पर मुस्कान और हर बात पर जोर से हंसने वाली वह महिला तान्या को थोड़ी अजीब लग रही थी। तान्या का मन ज्यादा बात करने का नहीं था, लेकिन वह मना भी नहीं कर पा रही थी। जब उसने कहा, 'मेरे पास नौकरी नहीं है, बस तलाश में जा रही हूं,' तो महिला ठहाका लगाकर बोली, 'अरे तो मेरे यहां काम कर लो! मेरी बहुत बड़ी कंपनी है!'

    तान्या को अब बहुत ज्यादा गुस्सा आ रहा था, उसने महिला से कहा, मुझे नींद आ रही है माता जी, आप भी सो जाइए और मुझे भी सोने दीजिए। तान्या की इस बात से महिला को बहुत ज्यादा बुरा लग गया था। वह तो बस तान्या को अकेला फील नहीं होने देना चाहती थी, इसलिए उससे बातचीत कर रही थी। लेकिन तान्या की नाराजगी देखकर वह भी चुपचाप सो गई। रात हो गई थी, लेकिन तान्या को नींद नहीं आ रही थी। तान्या ने बैग में से अपनी एक किताब निकाली और पढ़ने लगी। किताब पढ़ते-पढ़ते उसको नींद आ गई और वह सो गई।

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    Girl Emotional Travel Story-ट्रेन सुबह 6 बजे दिल्ली पहुंचने वाली थी। दिल्ली ही उसका लास्ट स्टॉप था। 6 बजने से पहले ही तान्या की मां ने उसे फोन करके जगा दिया। नींद खुलने के बाद तान्या ब्रश करने के लिए सीट के नीचे से बैग निकालने लगी। लेकिन सीट के नीचे उसे बैग नहीं मिला। वह घबरा गई। उसने हर जगह अपना बैग ढूंढा लेकिन उसका बैग नहीं मिला। तभी महिला की नींद खुली। उसने तान्या से पूछा, क्या हुआ बेटा इतना परेशान क्यों हो। तान्या ने रोते हुए कहा, माजी मेरा बैग चोरी हो गया। मेरा बैग नहीं मिल रहा। उसमें मेरा सारा सामान था मेरे डॉक्यूमेंट भी थे। मैं अब क्या करूंगी।

    महिला, भी तान्या को देखकर परेशान हो रही थी। वह सही से चल भी नहीं पाती थी, लेकिन उसने भी ट्रेन में लोगों से तान्या के बैग के बारे में पूछा। कहीं तान्या का बैग नहीं मिला। हैरानी वाली बात यह थी कि ट्रेन में और किसी का सामान चोरी नहीं हुआ था, लेकिन केवल तान्या का सामान गायब था।

    तभी तान्या ने अपनी किताब उठाई। उसे याद आया कि उसकी मां के दिए हुए पैसे तो उसने इसी किताब में रखे थे। उसकी मां ने उसे कुल 5 हजार रुपये दिए थे। उसने बिना गिने पैसों को किताब में रख लिया था। पैसे देखकर तान्या को थोड़ी हिम्मत आई कि वह कमसेकस इन पैसों से पीजी तक तो जा सकती है। उसने पीजा का रेंट पहले ही भर दिया था, इसलिए उसे रहने की चिंता नहीं थी।

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    महिला ने कहा, बेटा तुम अब क्या करोगी। तान्या ने कहा, माजी भगवान तो अभी से मेरी परीक्षा लेने लगे। लेकिन कोई बात नहीं मैं हार नहीं मानूंगी। पहने अपने माता-पिता से झगड़ा करके यहां आने का फैसला किया था। वह मुझे मजबूत समझते हैं, अगर मैं यहां से ही पीछे हट गई तो कभी आगे नहीं बढ़ पाऊंगी। तान्या की बात सुनकर महिला उससे बहुत ज्यादा प्रेरित हुई थी। लेकिन उसने उसे और कुछ नहीं कहा, क्योंकि बीच रात की बात उसे याद थी। अगर वह कुछ बोलती तो तान्या फिर उसे गुस्से में कुछ कह देती, इसलिए उसने उसे कुछ नहीं कहा।

    देखते ही देखते दिल्ली रेलवे स्टेशन आ गया। सब अपने सामान के साथ ट्रेन से उतर रहे थे, लेकिन तान्या के पास केवल एक किताब थी। तान्या उस किताब के साथ ही खुद को बहुत ज्यादा अमीर समझ रही थी। उसने ओटो बुक किया और यहां-वहां पता करके आखिर अपने पीजी पहुंच गई।

    पीजी वाला भी तान्या को देखकर हैरान था कि गांव से आई लड़की के पास एक सामान भी नहीं है। लेकिन उसे क्या, उसे तो बस अपने पैसों से मतलब था। तान्या ने पीजी में आराम किया और अपने भाई को फोन करके कहा, मैं अपने डॉक्यूमेंट भूल गई हूं, प्लीज मुझे ऑनलाइन सेंड कर दे। भाई ने गुस्से में कहा, वाह नौकरी के लिए इतना चौड़ में तुम शहर निकली और डॉक्यूमेंट ही नहीं लेकर गई। इस तरह तुम क्या नौकरी करोगी। भाई ने गुस्सा किया लेकिन ऑनलाइन डॉक्यूमेंट सेंड कर दिया।

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    तान्या को कैसे भी करके नौकरी चाहिए थी, क्योंकि अगले महीने उसे फिर से पीजी का रेंट देना था। सबसे पहले उसने अपने डॉक्यूमेंट प्रिंट करवाए और उसके पास 2 से 3जोड़ी कपड़े खरीदें। अब मां के दिए हुए पैसे भी खत्म होने वाले थे। उसके पास केवल 3 हजार रुपये बचे थे और उसे नौकरी के लिए यहां-वहां चक्कर भी उन्हीं पैसों से लगाना था। सुबह हो गई और वह नौकरी की तलाश में निकल पड़ी। तान्या हर कंपनी में जाकर इंटरव्यू दे रही थी। लगातार 10 दिन हो गए थे लेकिन कहीं से उसे जॉब के लिए कॉल नहीं आई थी।

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    अब तान्या का मन भी हारने लगा था, क्योंकि जेब में हम अब बस 1 हजार रुपये ही बचे थे। वह अपने घर में फोन करके न ही पैसे मांग सकती थी और न ही सामान चोरी होने की बात बता सकती थी। रोज उसके मां-बाप फोन करते, तो वह कहती की उसकी नौकरी लग चुकी है। वह दिल्ली आने के 5 दिन बाद ही अपने परिवार वालों को ये बता चुकी थी कि उसकी नौकरी लग चुकी है। अगले दिन सुबह फिर तान्या नौकरी की तलाश में निकल पड़ी। अब उसने सोचा था कि चाहे उसे छोटी ही नौकरी करनी पड़े, लेकिन वह करेगी, ताकि पीजी का खर्च तो निकाल सके। इसके बाद वह अच्छी नौकरी की तलाश करती रहेगी।

    तभी रास्ते में तान्या एक बोर्ड देखा। ये रिसेप्शन की जॉब का पोस्टर था। एक बड़ी कंपनी थी, जहां रिसेप्शन की नौकरी की जरूरत थी। तान्या पोस्टर देखकर खुश हो गई। उसे लगा कि यहां तो उसे नौकरी मिल ही जाएगी। वह कंपनी का पता लगाकर इंटरव्यू देने पहुंच गई। वहां पहुंचते ही उसने देखा कि नौकरी के लिए वहां 30 से 40 लोग इंटरव्यू देने आए थे। ऐसे में उसे तो यहां बिलकुल भी नौकरी नहीं मिल सकती। मन में उसके कई कई तरह के सवाल चल रहे थे। लेकिन उसने सोचा , जब इतनी जगह से रिजेक्शन मिला है, तो यहां से भी ले लेते हैं। आई हूं पैसा लगाकर तो इंटरव्यू देकर ही जाऊंगी। तान्या लाइन में इंटरव्यू का फॉर्म भरने के लिए खड़ी थी। तभी एक महिला के हाथ से पैन गिर गया। तान्या ने महिला का चेहरा नहीं देखा और नीचे पेन उठाकर, हाथ में पकड़ाया और आगे चल पड़ी।

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    तभी उसे पीछे से आवाज, अरे तान्या बिटिया.. तान्या ने मुड़कर देखा, ये वही महिला तो उसे ट्रेन में मिली थी। महिला को देखकर तान्या अचानक रोने लग गई। तान्या दिल्ली में उस महिला को देखकर भावुक हो गई, क्योंकि वह बहुत परेशान थी। एक वही महिला थी जिसने उसे अनजान शहर में उसे पहचाना था। तान्या को रोता देख महिला ने उसे अपने गले से लगा लिया और आंसू पोछते हुए कहां,, तुम यहां इंटरव्यू देने आई हो क्या। तान्या ने कहा, अब तक में 10 से ज्यादा जगहों पर नौकरी के लिए जा चुकी हूं, मुझे कहीं से कोई कॉल नहीं आई और आज यहां देखो 30 लोग है। मुझे कैसे नौकरी मिलेगी।

    महिला ने हंसते हुए कहा, तुम हमारे गांव की शेर बेटो हो, कैसे नौकरी नहीं मिलेगी तुम्हें। तुम तो मेरी समझदार और हिम्मत वाली बेटी हो। मेरी बेटी भी तुम्हारे ही उम्र की है आओ मैं तुम्हें उससे मिलवाती हूं। महिला ने अपनी बेटी को बुलाया। तान्या उसे देखकर हैरान हो गई, क्योंकि महिला की बेटी ही कंपनी की मालकिन थी।

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    महिला ने हंसते हुए कहा, तुम्हें नौकरी की चिंता करने की जरूरत नहीं है। आज से तुम इस कंपनी की इंप्लॉय हो, काम पर लग जाओ। महिला की बेटी ने भी हंसते हुए कहा। तान्या, मुझे तुम्हारे बारे में मां ने बताया था। तुम्हें पहले ही मां से नौकरी की बात कर लेनी चाहिए थी, तुम्हें इतने धक्के खाने ही नहीं पड़ते। हमें तो वैसे भी एंप्लॉयर की जरूरत है। इस तरह आखिर तान्या को नौकरी मिल गई और वह खुशी खुशी दिल्ली में नौकरी करने लगी।यह कहानी पूरी तरह से कल्पना पर आधारित है और इसका वास्तविक जीवन से कोई संबंध नहीं है। यह केवल कहानी के उद्देश्य से लिखी गई है। हमारा उद्देश्य किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं है। ऐसी ही कहानी को पढ़ने के लिए जुड़े रहें हर जिंदगी के साथ।

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