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कौसानी जाएं तो इन 10 जगहों को एक्सप्लोर करना न भूलें

उत्तराखंड के बागेश्वर जिले में एक प्यारा सा हिल स्टेशन है कौसानी, जो अपनी खासियत के लिए जाना जाता है। यह त्रिशूल, नंदा देवा और पंचकुली जैसी हिमालय की चोटियों के शानदार और मनोरम दृश्य के लिए प्रसिद्ध है। यह जगह चीड़ के घने पेड़ों से घिरी एक पहाड़ी की चोटी पर है। यहां से बैजनाथ कत्यूरी, सोमेश्वर और गरुड़ की सुंदर घाटियों का अद्भुत नजारा देखने को मिलता है। सुंदर और मनोहर पहाड़ियों के अलावा यह मंदिरों, आश्रम और चाय के बागानों के लिए जाना जाता है। तो अगर कभी आपका प्लान कौसानी जानें का बनें तो आप यहां कहां-कहां घूमने जा सकते हैं, इसके बारे में जानिए इस आर्टिकल में। <div>&nbsp;</div>

Ankita Bangwal

Editorial

Updated:- 27 May 2021, 11:05 IST

कौसानी टी एस्टेट

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कौसानी का यह चाय बागान 200 हेक्टेयर में फैला है। आप इसकी सैर कर सकती हैं और दुकानों से ऑथेंटिक कौसानी चाय खरीद सकती हैं। कौसानी में कई फलों के बाग भी हैं जहां खुबानी और नाशपाती की खेती की जाती है। आप चाहें तो सड़क किनारे लगे स्टॉल से स्थानीय लोगों द्वारा तैयार किए गए ताजे फलों का जैम, जेली और अचार खरीद सकती हैं।

स्टारगेट observatory

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स्टारगेट observatory कौसानी में खगोलीय पिंडों की एक प्राइवेट observatory है। यह एस्ट्रोफोटोग्राफी के लिए एक रोमांचक जगह है और यहां पर स्कूलों, शौकिया खगोलविदों, फोटोग्राफरों के लिए वर्काशॉप का आयोजन होता है। इसके अलावा भी यहां कई सारी एक्टिविटीज होती हैं।

ऐसे ही अन्य रोचक जगहों के बारे में जानने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी के साथ।

Image Credit : @euttaranchal & @uttarakhandtourism

अनासक्ति आश्रम

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साल 1929 में गांधी जी कौसानी ठहरे थे और इस गांव की सुंदरता से प्रभावित होकर उन्होंने इसे 'भारत का स्विट्जरलैंड' कहा था। माना जाता है कि इस जगह ने उन्हे 'अनाशक्ति योग' लिखने के लिए प्रेरित किया। तभी से अनासक्ति आश्रम लोगों के आकर्षण केंद्र है। इस आश्रम में एक छोटा प्रेयर रूम है, एक संग्रहालय, एक लाइब्रेरी और रहने के लिए कुछ कमरे हैं।

 

सुमित्रानंदन पंत आश्रम

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आधुनिक भारत के सबसे प्रसिद्ध कवियों में से एक सुमित्रानंदन पंत का जन्म कौसानी में ही हुआ था। उनकी याद में कौसानी स्थित उनके पुश्तैनी घर को सरकारी संग्रहालय में तब्दील कर दिया गया है। संग्रहालय में उनकी कविताओं की मैनुस्क्रिप्ट्स, उनके साहित्यिक कार्यों के ड्राफ्ट कॉपी, उनके दैनिक उपयोग की वस्तुओं, उनके पत्रों, तस्वीरों और पुरस्कारों को रखा गया है।

शॉल फैक्टरी

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पारंपरिक कुमाऊंनी कलाकृति को बढ़ावा देने और स्थानीय लोगों के लिए रोजगार का स्रोत प्रदान करने के लिए, 2002 में कौसानी शॉल फैक्ट्री शुरू की गई थी। तब से, कौसानी शॉल पर्यटकों के लिए एक तरह की आकर्षण का केंद्र बनी है। स्थानीय बुनकरों के डिजाइन किए गए, कई रंगों और अलग-अलग सुंदर डिजाइन में आपको यहां मिलेंगे।

सोमेश्वर वैली

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सोमेश्वर घाटी कौसानी से सिर्फ 10 किमी दूर है और यह दो नदियों कोसी और साईं के तट पर एक हिडन जेम है। यह घाटी सीढ़ीदार चावल के खेतों और देवदार से ढके पहाड़ों के लुभावने दृश्य दिखाती है। आप यहां लॉन्लोग वॉक्दस, कैंपिंग और साइकलिंग का आनंद ले सकती हैं। इसके साथ ही यहां सोमेश्वर मंदर भी बहुत लोकप्रिय है।

बैजनाथ

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बैजनाथ कुमाऊं में 'शिव हेरिटेज सर्किट' से जुड़े चार स्थानों में से एक है। हरे-भरे जंगलों और फलों के बागों से घिरा, पक्षियों, तितलियों और फूलों की दुर्लभ प्रजातियों को देखने के लिए बैजनाथ जा सकती हैं। यहां बैजनाथ मंदिर भी है जो 12वीं शताब्दी का भगवान शिव मंदिर है, और इस शहर का सबसे लोकप्रिय आकर्षण है।

रानीखेत

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रानीखेत सदियों पुरानी शाही और औपनिवेशिक विरासत को समेटे हुए है । यहां सैन्य अस्पताल, कुमाऊं रेजिमेंट (केआरसी) और नागा रेजिमेंट है, जिसकी देखभाल भारतीय सेना करती है। इसके अलावा यहां 9-hole गोल्फ कोर्स है, जो एशिया का Highest गोल्फ कोर्स है।

रूद्राधारी फॉल

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कसौनी में रुद्रधारी फॉल और गुफाएं सीढ़ीदार खेतों, हरे-भरे धान के खेतों और घने हरे देवदार के जंगलों पर स्थित है। कसौनी के हिल स्टेशन में आदि कैलाश एरिय की ट्रेकिंग के दौरान इस शानदार झरने को देखा जा सकता है। 

लक्ष्मी आश्रम

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1964 में महात्मा गांधी की एक स्टूडेंट कैथरीन हिलमैन ने इसे बनाया था। यह आश्रम कौसानी में स्थानीय महिलाओं के लिए समर्पित प्रसिद्ध स्थानों में से एक है। आश्रम में, महिलाओं को खाना पकाने, सिलाई करने, सब्जियां उगाने और जानवरों की देखभाल करने जैसे कई सामुदायिक कौशलों की शिक्षा दी जाती है।