एक चूहा कैसे बना प्रथम पूजनीय गणपति की सवारी? इसके पीछे की रोचक कथा नहीं जानती होंगी आप

गणपति उत्सव में भगवान गणेश का पूजन श्रद्धा के साथ किया जाता है और उनके साथ ही उनके वाहन मूषक राज को भी पूजा जाता है। वहीं हम सभी के मन में एक सवाल यह भी आता है कि आखिर कैसे एक छोटा सा चूहा गणपति की सवारी बना? आइए जानें इस सवाल के जवाब के बारे में यहां।
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हिंदू धर्म में गणपति बप्पा को प्रथम पूजनीय माना गया है। किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत उनके नाम से होती है और उन्हें विघ्नहर्ता के रूप में भी पूजा जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इतना शक्तिशाली होने के बाद भी गणपति का वाहन एक छोटा सा जीव छुहा है। गणेश जी का स्वरूप जितना अद्भुत है, उतना ही रोचक है उनकी सवारी चूहे का रहस्य। जहां अधिकांश देवी-देवताओं की सवारी शेर, गरुड़, बैल या हाथी जैसे शक्तिशाली प्राणी हैं, वहीं गणेश जी की सवारी एक छोटा-सा चूहा होने के पीछे कुछ पौराणिक मान्यताएं और कथाएं प्रचलित हैं। आइए जानें इससे जुड़े रोचक तथ्यों और गणपति के वाहन की प्रचलित कथा के बारे में यहां।

गंदर्भ क्रोच की मूषक बनने की कथा

भगवान गणेश की सवारी मूषक की मनमोहक कथा मत्स्य पुराण में अत्यंत सुंदर ढंग से वर्णित की गई है। इस कथा को विशेष रूप से गणेश चतुर्थी के अवसर पर पढ़ना शुभ माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि प्राचीन काल में स्वर्ग में, देवताओं के राजा इंद्र, दरबार लगा रहे थे। उस सभा में ऋषि, गंधर्व और अन्य देवतागण भी शामिल थे। उस समय इंद्र के दरबार में गंधर्व क्रौंच ने इंद्र का अपमान किया और उससे क्रोधित होकर इंद्र ने क्रौंच को मूषक बनने का श्राप दिया। लेकिन श्राप का असर इतना प्रबल था कि क्रौंच साधारण चूहा न बनकर पर्वत के समान विशालकाय चूहा बन गया। उसने खेतों, पशुओं और जो कुछ भी उसके सामने आया, सबको नष्ट करना शुरू कर दिया।

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इस विनाशकारी यात्रा के दौरान वह महर्षि पराशर के आश्रम में जा पहुंचा जहां भगवान गणेश भी उपस्थित थे। उस विशाल चूहे को वश में करने के लिए गणेश जी ने अपना पाश फेंका और उसे पकड़कर अपने चरणों में ला खड़ा किया। गणेश जी ने कहा कि निर्दोष लोगों को सताने के कारण उसे दंड मिलना जरूरी है। चूहा क्षमा मांगने लगा और बोला कि उसके विशालकाय शरीर की वजह से वह कुछ कर नहीं सकता है। तब गणेश जी ने एक अनोखा निर्णय लिया उन्होंने उसे अपना वाहन बना लिया और गणेश जी उस पर सवार हुए, परंतु वह विशाल चूहा उनका भार सहन न कर पाया और छोटा हो गया। तब चूहे ने गणपति से अपना भर कम करने की प्रार्थना की और गणपति ने अपना भार कम कर लिया। उसी समय से तभी से वह चूहा, जो वास्तव में गंधर्व क्रौंच था, गणेश जी का वाहन बन गया।

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गजमुख असुर की कथा

एक अन्य कथा के अनुसार एक दैत्य था जिसने भगवान शिव से अतिशय बलशाली होने का वरदान प्राप्त कर लिया था उसका नाम गजमुख या गजमुखा सुर था। ऐसे मान्यता है कि उस राक्षस का एक बार गणपति के साथ युद्ध हुआ और उस युद्ध में भगवान का जो टूटा हुआ दांत था जो भगवान परशुराम जी के परसे से टूटा था उसको ही हथियार बनाकर उन्होंने गजमुखा सुर को शांत करा था उसको हरा दिया था तब वह गणेश जी से प्राणों की रक्षा के लिए उसने वरदान मांगा कि और भगवान गणेश ने उसको अपना वाहन बनने के लिए लिए कहा और मूषक का रूप दिया। उसी समय दैत्य ने अपने उद्धार के लिए मूषक बनना स्वीकार किया। गणेश जी को हमेशा से ही बुद्धि और तीव्र समझ वाला देवता माना जाता है और चूहा भी ऐसा ही तीव्र बुद्धि वाला जीव माना जाता है और यह बहुत चंचल भी होता है। गणेश जी हमेशा बुद्धि और चंचल मन को नियंत्रित करते हैं और ऐसी मान्यता है कि गजमुख सुर को गणेश जी ने चूहे के रूप में आज भी अपना वाहन बना रखा है।
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Images: freepik. com

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