हिंदू पंचांग के अनुसार आज श्रावण कृष्ण पक्ष प्रतिपदा तिथि है। साथ ही आज वैधृति योग बन रहा है और पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र है। ज्योतिष गणना के हिसाब से इस दिन चंद्रमा मकर राशि में ही मौजूद है। आज शुक्रवार का दिन है। इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा विधिवत रूप से करने का विधान है। साथ ही आज से सावन का महीना भी आरंभ हो चुका है। इस पूरे माह में भगवान शिव की पूजा विधिवत रूप से करने का विधान है। अब ऐसे में आज किस मुहूर्त में शिवलिंग पर जल चढ़ाने से उत्तम परिणाम मिल सकता है। आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।
तिथि | नक्षत्र | दिन/वार | योग | करण |
श्रावण कृष्ण पक्ष प्रतिपदा तिथि | पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र | शुक्रवार | वैधृति योग | कौलव और बालव |
सूर्योदय | सुबह 5 बजकर 52 मिनट से लेकर |
सूर्यास्त | शाम 7 बजकर 12 मिनट तक |
चंद्रोदय | प्रात: 07 बजकर 58 मिनट से लेकर |
चंद्रास्त | सुबह 06 बजकर 55 मिनट तक |
ब्रह्म मुहूर्त | सुबह 04 बजकर 14 मिनट से लेकर सुबह 05 बजकर 02 मिनट तक |
अमृत काल | देर रात 12 बजकर 01 मिनट से लेकर देर रात 01 बजकर 39 मिनट |
अभिजीत मुहूर्त | दोपहर 12 बजकर 05 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 58 मिनट तक |
विजय मुहूर्त | दोपहर 02 बजकर 50 मिनट से लेकर दोपहर 03 बजकर 15 मिनट तक |
गोधूलि मुहूर्त | शाम 07 बजकर 22 मिनट से शाम 07 बजकर 42 मिनट तक |
निशिता मुहूर्त | रात 12 बजकर 05 मिनट से लेकर रात 12 बजकर 46 मिनट तक |
संध्या मुहूर्त | शाम 7 बजकर 30 मिनट से लेकर शाम 9 बजकर 21 मिनट तक |
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राहु काल | सुबह 10 बजकर 52 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 32 मिनट तक |
गुलिक काल | सुबह 07 बजकर 32 मिनट से लेकर सुबह 09 बजकर 12 मिनट तक |
यमगंड | दोपहर 03 बजकर 52 मिनट से लेकर शाम 05 बजकर 32 मिनट तक |
दिशाशूल | उत्तर दिशा, यात्रा करने से पहले दही-चीनी जरूर खाकर निकलें। |
दुर्मुहूर्त | सुबह 08 बजकर 32 मिनट से लेकर सुबह 09 बजकर 26 मिनट तक |
आज श्रावण कृष्ण पक्ष प्रतिपदा तिथि है। आज से ही कांवड़ यात्रा भी निकलेगी। इस पूरे माह में भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने का विधान है। ऐसा कहा जाता है कि इस माह में भगवान शिव की पूजा करने से व्यक्ति की सभी इच्छाएं पूरी हो सकती है।
सावन के प्रत्येक सोमवार को भगवान शिव का जलाभिषेक करें. यदि संभव हो, तो गंगाजल या पवित्र नदियों के जल से अभिषेक करें। अभिषेक के बाद, शिवलिंग पर बेलपत्र अर्पित करें. बेलपत्र के तीन पत्ते भगवान शिव को अत्यंत प्रिय हैं और इन्हें चढ़ाने से आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. बेलपत्र अर्पित करते समय 'ओम नमः शिवाय' मंत्र का जाप करते रहें।
रुद्राक्ष को भगवान शिव का स्वरूप माना जाता है. सावन के महीने में रुद्राक्ष धारण करना बहुत शुभ होता है. आप अपनी राशि और ग्रहों की स्थिति के अनुसार एक मुखी, पंच मुखी या कोई अन्य रुद्राक्ष धारण कर सकते हैं।
महामृत्युंजय मंत्र भगवान शिव को प्रसन्न करने और रोगों से मुक्ति पाने का एक शक्तिशाली मंत्र है. सावन के महीने में प्रतिदिन महामृत्युंजय मंत्र का 108 बार जाप करें।
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
ॐ नमः शिवाय
ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ॥
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥
ॐ नमो भगवते रुद्राय॥
ॐ नमो भगवते रुद्राय नमः॥
जटा टवी गलज्जल प्रवाह पावित स्थले, गलेऽवलम्ब्य लम्बितां भुजङ्ग तुङ्ग मालिकाम्।
डमड्डमड्डमड्डमन्निनाद वड्डमर्वयं, चकार चण्डताण्डवं तनोतु नः शिवः शिवम्॥
पंचांग के हिसाब से आज से ही सावन का महीना आरंभ हो चुका है और इस दौरान भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने से व्यक्ति की सभी परेशानियां दूर हो सकती है और मनोवांछित फलों की प्राप्ति हो सकती है। इस दिन भगवान शिव के मंत्रों का जाप करने का भी विधान है।
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Image Credit- HerZindagi
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