10 सितंबर 2025 को अश्विन महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि है जिसे संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। आज के दिन भगवान गणेश की पूजा की जाती है। आज का दिन इसलिए खास है क्योंकि इस दिन व्रत रखने और चंद्रमा को अर्घ्य देने से सभी कष्ट दूर होते हैं और मनोकामनाएं पूरी होती हैं। आज के दिन सुबह से ही गणेश जी की पूजा-अर्चना शुरू हो जाती है और रात में चंद्र दर्शन के बाद व्रत खोला जाता है। आज के दिन चतुर्थी तिथि दोपहर 12:47 बजे तक रहेगी जिसके बाद पंचमी तिथि शुरू हो जाएगी। साथ ही, रेवती नक्षत्र का प्रभाव भी रहेगा जो शुभ कार्यों के लिए अच्छा माना जाता है। ऐसे में आज के दिन कोई भी धार्मिक कार्य करने से पहले एमपी, छिंदवाड़ा के पंडित सौरभ त्रिपाठी द्वारा बताया गया आज का पंचांग देख लें।
तिथि | नक्षत्र | दिन/वार | योग | करण |
अश्विन कृष्ण तृतीया/चतुर्थी | रेवती | बुधवार | वृद्धि | विष्टि |
प्रहर | समय |
सूर्योदय | सुबह 6:04 बजे |
सूर्यास्त | शाम 6:32 बजे |
चंद्रोदय | रात 8:06 बजे |
चंद्रास्त | सुबह 8:33 बजे |
मुहूर्त नाम | मुहूर्त समय |
ब्रह्म मुहूर्त | सुबह 04:31 बजे से 05:18 बजे तक |
अभिजीत मुहूर्त | नहीं है |
अमृत काल | दोपहर 01:51 बजे से 03:19 बजे तक |
विजय मुहूर्त | दोपहर 02:23 बजे से 03:12 बजे तक |
निशिता मुहूर्त | रात 11:55 बजे से 12:41 बजे तक |
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मुहूर्त नाम | मुहूर्त समय |
राहु काल | दोपहर 12:18 बजे से 1:51 बजे तक |
गुलिक काल | सुबह 10:44 बजे से 12:18 बजे तक |
यमगंड | सुबह 7:37 बजे से 9:11 बजे तक |
10 सितंबर 2025 को अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी का व्रत और त्योहार मनाया जाएगा। यह दिन विशेष रूप से भगवान गणेश को समर्पित है।
इस दिन गणेश भक्त सूर्योदय से चंद्रोदय तक व्रत रखते हैं। इस व्रत में दिन भर निराहार रहा जाता है और रात में चंद्रमा के दर्शन और पूजा के बाद ही व्रत खोला जाता है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा-अर्चना करने से जीवन के सभी संकट दूर होते हैं और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
यह तिथि पितृ पक्ष में भी आती है, इसलिए इस दिन उन पितरों का श्राद्ध भी किया जाता है जिनका देहांत चतुर्थी तिथि को हुआ हो। इस दिन लोग पितरों को तर्पण, पिंडदान और ब्राह्मणों को भोजन कराकर उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
10 सितंबर 2025 को अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन ज्योतिष उपाय करने से विशेष लाभ मिल सकता है। यह दिन संकष्टी चतुर्थी होने के कारण भगवान गणेश को समर्पित है, इसलिए सभी उपाय उन्हीं से जुड़े होंगे।
सबसे पहला और महत्वपूर्ण उपाय है भगवान गणेश की पूजा करना। इस दिन सुबह और शाम, दोनों समय गणेश जी की प्रतिमा के सामने दीया जलाएं। उन्हें 21 दूर्वा (हरी घास) और मोदक या लड्डू का भोग लगाएं। मान्यता है कि ऐसा करने से गणेश जी प्रसन्न होते हैं और जीवन की सभी बाधाएं दूर होती हैं। अगर आपके किसी काम में लगातार रुकावट आ रही है, तो इस दिन गणेश अथर्वशीर्ष का पाठ करने से भी बहुत लाभ होता है।
दूसरा उपाय चंद्रमा से संबंधित है, क्योंकि संकष्टी चतुर्थी का व्रत चंद्रमा को अर्घ्य देकर ही खोला जाता है। रात में चंद्रमा निकलने पर उन्हें जल में थोड़ा दूध और चावल मिलाकर अर्घ्य दें। यह उपाय मन की शांति के लिए बहुत प्रभावशाली माना जाता है। साथ ही, यह व्रत और चंद्रमा की पूजा करने से कुंडली में चंद्र ग्रह की स्थिति मजबूत होती है, जिससे मानसिक तनाव कम होता है।
इस दिन पितृ पक्ष भी चल रहा है, इसलिए यह दिन पितरों से जुड़े उपाय करने के लिए भी शुभ है। यदि आपके किसी पूर्वज का श्राद्ध चतुर्थी तिथि को आता है, तो आप उनका श्राद्ध और तर्पण इस दिन कर सकते हैं। इसके अलावा, पितरों की आत्मा की शांति के लिए किसी गरीब या जरूरतमंद को भोजन कराना या दान देना बहुत ही पुण्य का काम माना जाता है। इससे पितृ दोष दूर होता है और घर-परिवार में सुख-समृद्धि आती है।
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image credit: herzindagi
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