भजन-कीर्तन में क्यों बजाई जाती है ताली?


Gaveshna Sharma
18-05-2023, 08:44 IST
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    भजन-कीर्तन में ताली बजाने की परंपरा है। ताली बजाकर ही भजन-कीर्तन का आनंद उठाया जाता है। भगवान की आरती के समय भी ताली बजाई जाती है। ज्योतिष एक्सपर्ट डॉ राधाकांत वत्स से जानते हैं भजन-कीर्तन में ताली बजाने के पीछे का कारण और इसकी शुरुआत के बारे में।

किसने की ताली बजाने की शुरुआत

    एक पौराणिक कथा के अनुसार, ताली बजाने की शुरुआत सर्वप्रथम हिरण्यकश्यप के पुत्र और भगवान विष्णु के परम भक्त प्रहलाद ने की थी।

कैसे हुई ताली बजाने की शुरुआत

    हिरण्यकश्यप ने भगवान विष्णु की भक्ति रोकने के लिए सभी वाद्यों को नष्ट कर दिया था। तब प्रहलाद ने पहली बार ताली बजाकर श्री हरि के भजनों को गाया था।

कैसे पड़ा ताली नाम

    दोनों हथेलियों को निरंतर पीटने से एक अलग ही ताल का निर्माण हुआ और वह ताल की धुन सभी तक पहुंचने लगी इसी कारण से उसे ताली कहा गया।

भजन में ताली बजाने का कारण

    ऐसा माना जाता है कि भजन, कीर्तन या आरती के दौरान ताली बजाने से हम इश्वर को पुकारते हैं। समस्त सृष्टि का भार होने के कारण भगवान का ध्यान अपनी ओर खींचने के लिए ताली बजाई जाती है।

भजन में ताली बजाने के लाभ

    माना जाता है कि भजन-कीर्तन या आरती के दौरान ताली बजाने से पापों का नाश होता है।

नकारात्मकता होती है दूर

    भजन-कीर्तन या आरती के दौरान ताली बजाने से आसपास विचरण कर रही नकारात्मकता दूर हो जाती है।

बढ़ता है आध्यात्म

    भजन-कीर्तन या आरती के दौरान ताली बजाने से व्यक्ति की आत्मा चेतना में रहती है और उसका ध्यान भगवान की ओर लगा रहता है।

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