लोग आज भी ब्रा के बारे में खुलकर बात नहीं करते हैं। दुनिया भर में ब्रा को लेकर कई तर्क दिए जाते हैं। कुछ लोग इसे महिलाओं के फिगर के लिए बेहतर बताते हैं, तो कुछ लोग इसे सेहत के लिए नुकसानदायक कहते हैं। आइए आज आपको बताते हैं ब्रा का इतिहास-
ब्रा की शुरुआत
माना जाता है सदियों से मिस्र की महिलाएं ब्रा पहनती आई हैं। महिलाएं चमड़े की ब्रा पहना करती थीं, जिससे पहनने बहुत मुश्किल होता है। महिलाएं चमड़े की बनी यह ब्रा बॉडी को शेप देने का काम करती थी।
समय के साथ बदलाव
करीब 17 से 18 वीं शताब्दी तक आते-आते सफेद रंग का अंडरगारमेंट चलन में आया था। इसे पूरी तरह से ब्रा नहीं कहा जा सकता, देखने में यह सफेद कपड़ा किसी कमीज की तरह दिखती थी।
कोर्सेट
करीब 1890 के दौरान कई देशों की महिलाओं ने कोर्सेट पहनना शुरू कर दिया, जो देखने में किसी जैकेट की तरह दिखता था। इस अंडरगारमेंट में पीछे डोरियां दी जाती थी, जिसे पहनते समय अच्छे से कसा जाता था।
मॉर्डन ब्रा की शुरुआत
साल 1889 तक आते-आते मॉर्डन ब्रा का आविष्कार हुआ। इस ब्रा को फ्रांस की रहने वाली हरमिनी काडोले ने बनाया था। जिसके बाद उन्हें कोर्सेलेट जॉर्ज का नाम दे दिया गया।
नायलॉन ब्रा
1940 के बाद ब्रा को नायलॉन के कपड़ों से तैयार किया जाने लगा, जिस वजह से अंडर गारमेंट हल्के होने लगे। यही वजह थी कि इस समय तक कई महिलाओं नें ब्रा को अपनाकर अपनी जिंदगी के शामिल कर लिया।
ब्रा का विरोध
साल 1907 में मशहूर फैशन मैगजीन ‘वोग’ने Brassiere शब्द को फेमस करने में भूमिका निभाई जिसका मतलब था शरीर के ऊपरी हिस्से पहनने वाला कपड़ा। ब्रा के आने बाद कुछ समय में ही इसका विरोध भी शुरू हो गया।
आज के समय में ब्रा
ब्रा महिलाओं के कपड़ों का जरूरी हिस्सा बन चुकी है। कई महिला संगठन ब्रा का विरोध करते आए हैं।
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