आज के समय में मोबाइल इंसान के लिए बहुत जरूरी हो चुकी है। मोबाइल फोन या स्मार्ट फोन से इंसानों के बीच की दूरियां कम हो गई हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि मोबाइल फोन को सेल फोन भी कहते हैं। जी हां, अगर आप नहीं जानते, तो आइए जानते हैं -
कैसे मिल नाम
सेल फोन्स का नाम सेल्युलर नेटवर्क के नाम पर पड़ा है। पुराने समय में नेटवर्क टावर जमीन पर लगाए जाते थे।
ज्यादा नेटवर्क होते थे पहले
जिस शहर में एक से ज्यादा नेटवर्क होते थे, वहां टावर ज्याद लगाए जाते थे। इसी वजह से शहरों में अच्छा नेटवर्क आता था।
जमीनी क्षेत्र को क्या कहते हैं
उस जमाने में जमीनी क्षेत्रों को सेल कहा जाता था। यानी कि हर इलाका जहां मोबाइल टावर है, उसे सेल माना जाता था। इसी वजह से उसे सेल फोन का नाम मिला।
नेटवर्क की स्थापना
साल 1947 में डगलस रिंग और रे यंग ने सेल्युलर नेटवर्क की स्थापना करने का प्लान बनाया था।
वायरलेस नेटवर्क
वायरलेस नेटवर्क का ले-आउट तैयार कर रहे थे, तो उसकी बनावट इंसान के शरीर में मौजूद सेल यानी कि बायोलॉजिकल सेल की तरह लग रही थी।
वायरलेस नेटवर्क को सेल नाम कैसे मिला
इसी वजह से वायरलेस नेटवर्क पर काम करने वाले सारे फोन्स को सेल्युलर फोन्स या सेल फोन्स कहा जाने लगा।
क्यों कहते हैं सेल फोन
मोबाइल फोन टावरों के आधार पर काम करता है। टावर के बिना मोबाइल फोन काम नहीं कर पाते हैं और इनके पैटर्न के बाद मोबाइल फोन काम करता है, इसलिए भी इसे सेलफोन कहा जाता है।
अगर आप भी जानना चाहते हैं कि आखिर मोबाइल को सेल फोन क्यों कहते हैं, तो यहां जान लें। स्टोरी अच्छी लगी हो तो लाइक और शेयर करें। इससे जुड़ी अन्य जानकारी के लिए यहां क्लिक करें herzindagi.com।