संडे सुबह होते ही घर का माहौल कुछ अलग था। वरुण को सुबह से ही लग रहा था कि ये तूफान के पहले की शांति है। सुबह उठते से ही उसने कहा कि एक कप चाय मिल जाए वही बहुत है। मालती जी का मुंह तो फूला ही हुआ था, हंसिका भी आज थोड़ी ज्यादा गुस्से में लग रही थी। दरअसल, एक रात पहले दोनों अपने पड़ोस वाली के घर पर गई थीं। हमेशा जो मालती जी के साथ होता था, वह अब हंसिका के साथ होने लगा। मालती जी जैसे सज कर आईं, उन्होंने देखा कि हंसिका और ज्यादा सजी हुई बिल्कुल कैटरीना कैफ बनकर आई है। मालती जी को जो भाव मिलता था, वह अब धीरे-धीरे हंसिका की तरफ शिफ्ट होने लगा था।
मालती जी के लिए यह नया था क्योंकि अभी तक लोग उन्हें ही कॉलोनी की जीनत अमान मानते थे। अब जीनत अमान को टक्कर देने कैटरीना कैफ आ गई थी। 'चाय बनेगी या वो आज बाहर से मंगवा लें...' मालती जी ने हंसिका पर ताना कसते हुए कहा। हंसिका ने भी वापस ऑफिस ज्वाइन कर लिया था और उसके लिए भी अब सिर्फ एक संडे ही बचा था। उसे भी झुंझलाहट हो रही थी और मालती जी का गुस्सा उसे समझ आ गया था कि ऐसा क्यों हो रहा है।
'ठीक है मैं चाय बना देती हूं, फिर कपड़े धोने जा रही हूं। दाल चढ़ा दी है.. आप लोग देख लेना', इतना कहकर हंसिका ने चाय चढ़ा दी और किसी का जवाब सुने बिना ही कपड़े धोने चली गई। मालती जी और वरुण बात कर रहे थे और कमरे में गाना चल रहा था, 'सासू जी तूने मेरी... कदर ना जानी...' इतने में दोनों ने ही सुना नहीं कि दाल चढ़ी है या फिर चाय उबल रही है। जलने की बदबू आते ही मालती जी किचन में गईं और देखा, दाल और चाय दोनों ही जल गए, चाय का बर्तन तो इतना काला हो गया कि उसकी शक्ल ही बदल गई।
मालती जी और हंसिका दोनों ही आग बबूला, मालती जी ने कहा, 'कैटरीना कैफ अपना काला चश्मा उतार लिया हो, तो किचन को देख लो, कैसी हालत कर दी है किचन की। सब कुछ जला दिया।' हंसिका भागकर आई और किचन की हालत देखी, 'मैं कैटरीना कैफ ही सही, लेकिन जया बच्चन को भी गाने सुनने के अलावा कुछ तो करना चाहिए। बोलकर गई थी कि दाल और चाय चढ़ी हुई है। क्या कर रहे थे दोनों?' हंसिका ने गुस्से में कहा। 'ये लो एक बात ज्यादा बोल दो, तो आजकल जवाब तपाक से मिलता है। बहू ही फिल्मी हो गई है यहां।' मालती जी ने कहा, 'हां, सास फिल्मी हो, तो बहू को भी फिल्मी होना पड़ता है। आखिर दिन भर में कुछ तो करना चाहिए, लेकिन नहीं बस दिन भर ऑफिस का काम करो और रात में घर का काम करते रहो,' हंसिका ने कहा।
वरुण ने समझ लिया कि आज तो वर्ल्ड वॉर थ्री हो गई है शुरू, अब कुछ तो किया जाए जिससे यह वॉर खत्म हो। पर नहीं हंसिका और मालती जी चुप होने का नाम नहीं ले रही थीं। वरुण ने बीच-बचाव में बोला कि बस करो, लेकिन कुछ भी नहीं हुआ। आज सास बहू की तू-तू, मैं-मैं शुरू हो ही गई।
'तुमने तो एक आवाज लगाई, ये भी देख लेती कि हमने सुना या नहीं। क्या लगता है तुमको हर रोज ऑफिस से आओगी और हम पूछेंगे, how is the josh?', मालती जी ने कहा। 'हां, और यहां शादी करने से पहले उड़ गए थे मेरे होश..' हंसिका ने कहा, 'मैंने सुना था, किसी चीज को शिद्दत से चाहो तो सारी कायनात उससे मिलाने में लग जाती है, मुझे क्या पता था कि कायनात ने यही सोच रखा है। किसी और को ही शिद्दत से चाह लेती, तो इस घर से पाला छूट जाता।' हंसिका ने अपना गुस्सा जारी रखा।
'हां, तुम तो ड्रीम गर्ल हो, जिसके लिए सारे लोग तैयार बैठे हैं। मेरा बेचारा बेटा फंस गया।' मालती जी ने गुस्सा किया। 'ड्रीम गर्ल नहीं, देसी गर्ल हूं, तभी तो इतने दिनों से सह रही हूं सब कुछ।' हंसिका ने फिर जवाब दिया। इतनी देर में पड़ोस के एक दो लोग भी आ गए थे। दोनों ही बातें सुनकर समझ नहीं आ रहा था कि गुस्सा करते हुए उन्हें रोका जाए या फिर उनके डायलॉग सुनकर हंसा जाए। तानों का सिलसिला जारी था। ऐसा होते-होते लगा कि आज तो यह खत्म नहीं होगा। 'मैं अपनी फेवरेट हूं, तुझे क्या मैं फिल्में देखूं या नाचूं...' मालती जी ने कहा।
उनकी यह बात सुनकर बेचारे वरुण को हंसी आ गई, लेकिन अपनी हंसी को कंट्रोल करते ही उसने मां और वीबी की तरफ देखा, जो गुस्से से वरुण को ही देखे जा रही थीं।
क्या हुआ इसके आगे बेचारे वरुण का? क्या मालती जी और हंसिका की बातें रुक पाईं, क्या घर में चाय बन पाई? क्या वाकई उन्हें शांति मिल पाई? जानने के लिए पढ़िए, मेरी फिल्मी सास का अंतिम पार्ट, कल।
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