सुनैना ने बहुत प्यार से अपने सास-ससुर और राहुल को नाश्ते के लिए बुलाया पर नाश्ते की प्लेट देखते ही राहुल गुस्सा हो गया। 'तुम्हारे घर पर क्या सुबह उठकर अनहेल्दी पराठे खाते हैं?' राहुल ने कहा। 'मुझे ये सब अच्छा नहीं लगता है, इस घर में कुछ भी करने का सोच रही हो, तो पूछ तो लो...' राहुल ने सुनैना को गुस्से से कहा और चला गया। सुनैना की सास उसे देखती रहीं। खाने की टेबल पर उसके साथ ऐसा व्यवहार किया गया जैसे वो इस घर की बहू नहीं कोई नौकरानी हो जिसने किचन में कुछ खराब बना दिया। सुनैना ने जिंदगी में कुछ और नहीं मांगा था, उसे बस एक ऐसा पति चाहिए था जिसके सामने वो अपनी बातें रख सके, उसके साथ हंस-खेल सके।
सुनैना की सास ने बात संभालने की कोशिश करते हुए कहा, 'अरे वो राहुल ऐसा ही है, उसे हेल्दी नाश्ता करने की आदत है। बहुत बार मुझपर भी गुस्सा हो जाता है'। सुनैना को लग रहा था कि ऐसा करना सही नहीं है। उसने तो बस अपने पति के लिए कुछ करना चाहा था, उसे आए हुए एक दिन ही हुआ था कि उसे लोगों ने समझा दिया था कि ये उसका घर नहीं है। शादी से पहले उसके रिश्तेदार आकर कहते थे कि उसकी शादी जिस घर में हुई है, वो घर की मालकिन बनकर रहेगी, लेकिन सुनैना का तो अपना घर कोई था ही नहीं। राहुल उसे अपनी पत्नी नहीं समझ रहा था इसका अंदाजा उसे हो गया था।
थोड़ी देर बाद सुनैना घर के बाग में जाकर बैठ गई। माली के होते हुए भी वो बाग बेजान ही लग रहा था। सुनैना का एक ही शौक था उसे भी छीन लिया गया था। उसके मन में आया कि वो जाकर कम से कम एक पौधे की देखभाल खुद कर ले, लेकिन उसे लगा कि कहीं फिर से 'तुम्हारा घर' वाला ताना उसे ना मिल जाए। सुनैना चाहती थी कि एक बार तो राहुल उससे बात करे। उसके पग फेरे की रस्म का वक्त हो चला था। घर वालों की तरफ से मामा का लड़का मोहित आया था, विदा करवाकर ले गया।
घर पहुंचते ही मां-पापा को देख सुनैना रो पड़ी। ऐसा लग रहा था मानो दो ही दिनों में उसके आंगन के फूलों और उसके चेहरे दोनों की ही रंगत चली गई हो। घर वाले भी परेशान थे कि आखिर सुनैना ऐसा व्यवहार क्यों कर रही है, लेकिन वो समझाए भी क्या? कैसे बताए कि पति को वो अच्छी नहीं लगती, कैसे पूछे माता-पिता से कि राहुल से बात क्यों नहीं करने दी शादी से पहले, क्यों जरूरी था उसकी शादी बिना सोचे समझे कर देना।
सुनैना की हालत देखकर मां को बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा था। सुनैना का भाई भी उसे पूछ रहा था। थोड़ी देर बाद सुनैना बाग में चली गई तो उसके पीछे-पीछे मोहित भी गया। 'दीदी सच बताओ क्या हुआ है?' मोहित ने पूछा। 'खोज रही हूं कि मेरा अपना घर कौन सा है?' सुनैना ने कहा। 'दीदी अगर आपको सही नहीं लग रहा है, तो मुझे बताओ... मैं कुछ ना कुछ करूंगा...' मोहित ने भोलेपन में पूछा। सुनैना से 5 साल छोटा मोहित अभी सरकारी एग्जाम की तैयारी में जुटा था। पर मोहित को लग रहा था कि वो किसी भी तरह से दीदी की मदद कर दे।
देखते ही देखते रात हो गई और सुनैना ने एक बार फिर से राहुल को कॉल किया। 'आप मुझे लेने कब आएंगे?' सुनैना ने पूछा... 'मेरे पास वक्त नहीं है, मैंने समीर को भेज दिया है, वो आता ही होगा।' कहकर राहुल ने फोन काट दिया। समीर राहुल का छोटा भाई था। जहां पति को उसे विदा करवाने आना था वहीं देवर आ रहा था।
आखिर वो आया और सुनैना को ले गया। यह बात सुनैना के माता-पिता को भी अच्छी नहीं लगी, लेकिन क्या करें, बेटी को विदा कर चुके वो लोग अभी बेटी की शादीशुदा जिंदगी को बेहतर बनाने की कोशिश में लगे हैं। 'भाभी, क्या आप ठीक हैं?' समीर ने पूछा। इतना पूछते ही सुनैना रो पड़ी, मानो दिन भर का गुबार निकल गया हो। 'मुझे मालूम है राहुल भइया आपके साथ अच्छा व्यवहार नहीं कर रहे हैं, थोड़ा समय दीजिए, वो बुरे नहीं हैं... आपको कोई भी जरूरत हो तो आप मुझसे कह सकती हैं,' समीर ने कहा। 'आप देवर नहीं, दोस्त ही समझिए, अब वो आपका भी तो घर है, आप जैसे चाहें, वैसे रहें' उसने कहा और सुनैना को लगा कि शादी तय होने से लेकर अब तक में, पहली बार उसे कोई समझने वाला मिला है। समीर उम्र में सुनैना से भी बड़ा था, शायद इसीलिए समझदार भी था। समीर इकलौता था जिसने कहा था कि वो सुनैना का भी घर है।
समीर और सुनैना घर आए और सासू मां ने घर के हाल-चाल पूछकर उसे आराम करने को कहा। सुनैना फिर राहुल के कमरे में चली गई। हां, राहुल का कमरा क्योंकि उसका अपना कमरा तो कोई था ही नहीं। सुनैना ने कमरे का दरवाजा बंद किया, चेंज किया और फिर राहुल की तरफ देखकर बोली, 'आज बात करोगे मुझसे या आज भी नहीं?' राहुल ने उसकी तरफ देखा और मानो वो किसी सोच में पड़ गया। राहुल को भी अभी तक यह अहसास नहीं हो रहा था कि सुनैना अब उसकी पत्नी बन गई है। थोड़ा नरमी दिखाते हुए उसने कहा, 'तुम थक गई होगी, सो जाओ... हम कल बात कर लेंगे, मैं कोशिश करूंगा कि तुमसे थोड़ी बात करने का समय निकाल लूं,' उसने कहा और पलट कर सो गया।
सुनैना को लगा जब बात करनी ही है, तो आज ही क्यों ना कर ले। पर राहुल को शायद अभी और वक्त चाहिए था। अगला दिन भी आ गया.. सुनैना को देखकर लग ही नहीं रहा था कि उसके चेहरे पर नई दुल्हन वाली रौनक है। आज राहुल ने उसकी तरफ देखा और कहीं बाहर चला गया, बिना बात किए... कल का वादा भी अधूरा ही रह गया। सुनैना और उसकी सास दोनों ही बाग में आ गए। वहां समीर पहले से ही मौजूद था, अपने साथ ढेर सारी गार्डनिंग सप्लाई लेकर। 'लो, इस घर को अपना घर बना लो... बाग में बाहर ले आओ...' समीर ने कहा और सुनैना हंस दी।
सुनैना की सास एक तरफ तो समीर और उसकी बढ़ती नजदीकी देख रही थीं, दूसरी ओर राहुल और सुनैना का रिश्ता संवारने के सपने भी देख रही थीं, लेकिन उन्होंने सुनैना से राहुल से जुड़ी एक सच्चाई छुपाई थी। आखिर क्या थी वो सच्चाई? क्यों राहुल सुनैना के साथ ऐसा व्यवहार कर रहा था? जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग- घर की मालकिन पार्ट
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