पितृपक्ष भाद्रपद माह की पूर्णिमा तिथि से शुरू होते हैं और अश्विन माह की अमावस्या तिथि पर इसका समापन होता है। पितृपक्ष के दौरान पितरों का तर्पण किया जाता है।
मोक्ष की प्राप्ति
पितृपक्ष के दौरान पितरों का तर्पण करने से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दौरान पितरों का तर्पण करने से पितृ दोष से भी छुटकारा मिलता है।
अंगूठे से क्यों किया जाता है तर्पण?
पितृपक्ष के दौरान पितरों का तर्पण अंगूठे से ही क्यों किया जाता है। इसके बारे में ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स जी से जानेंगे।
रामायण-महाभारत काल से हुई थी शुरुआत
पितरों को अंगूठे से तर्पण देने की शुरुआत रामायण-महाभारत काल से हुई थी। राम और पांडवों ने अंगूठे से पितरों का तर्पण किया था।
अंगूठे में माना जाता है पितरों का वास
शास्त्रों में भी मनुष्य के शरीर का हर हिस्सा किसी देवी-देवता के अधीन होता है। अंगूठे में पितरों का वास माना जाता है।
अंगूठे को कहते हैं पितृ तीर्थ
यही कारण है कि अंगूठे को पितृ तीर्थ कहा जाता है। अंगूठे से जल अर्पित करने से वह पितृ तीर्थ से होता हुआ पिंडों तक पहुंचता है।
पितरों को मिलता है भोजन
पिंडों पर जल गिरने से पितरों को भोजन प्राप्त होता है। अंगूठे के अलावा किसी और उंगली से जल देने से पितरों तक न तो भोजन पहुंचता है।
नहीं होती मोक्ष की प्राप्ति
अंगूठे के अलावा किसी अन्य उंगली से जल अर्पित करने से मोक्ष की प्राप्ति नहीं होती है और न ही पितृ दोष से मुक्ति मिलती है।
आपको यह स्टोरी कैसी लगी, हमें कमेंट कर जरूर बताएं। ऐसी ही अन्य खबरों के लिए पढ़ते रहें herzindagi.com