पंजाबी दुल्हन क्यों पहनती हैं चूड़ा और कलीरे, जानें?
Megha Jain
2023-02-02,08:54 IST
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भारत की शादियां बिना रस्मों के अधूरी होती हैं। रस्मों का दूल्हा-दुल्हन के लिए बेहद महत्व होता है। हर धर्म में कोई न कोई चीज दुल्हन के लिए शुभ मानी जाती है। ऐसे ही पंजाबी दुल्हनों के लिए उनका चूड़ा और कलीरे अहम माने जाते हैं। लेकिन, क्या आपने कभी सोचा है कि ऐसा क्यों हैं? नहीं तो, चलिए हमारे एक्सपर्ट एस्ट्रोलोजर संतोष तिवारी से जी से इसका कारण जानते हैं -
चूड़ा पहनाने की रस्म
दुल्हन के लिए चूड़ा सेरेमनी होती है जिसमें पूजा के दौरान 21 चूड़ियों के सेट को दूध और गुलाब की पंखुड़ियों से साफ किया जाता है। इसके बाद मामा दुल्हन को चूड़ा पहनाते हैं।
चूड़ा की सुंदरता
चूड़ा सेरेमनी के लिए मामा-मामी दुल्हन के लिए मैरून या लाल रंग में 21 चूड़ियों का सेट चुनते हैं। इसे चूड़ा कहा जाता है। ये अक्सर लहंगे के साथ दुल्हन को दिया जाता है।
चूड़ा महत्व
इसे दुल्हन के सोलह श्रृंगार का हिस्सा माना जाता है। ये शादीशुदा महिलाओं के लिए शुभ माना जाता है। चूड़ा दूल्हा-दुल्हन के बीच के संबंध को मजबूत बनाता है।
कलीरे
दुल्हन चूड़ा के साथ कलीरें पहनती हैं। ये पंजाबी दुल्हन के लिए बेहद खास होते हैं। कलीरे अक्सर गोल्डन और सिल्वर कलर के होते हैं। ये सूखे नारियल और मखाने से बनते हैं।
कलीरे का महत्व
कलीरे को दुल्हन की बहनें और दोस्त ही चूड़े के साथ दुल्हन के हाथ पर बांधती हैं। कलीरे में नारियल की शेप दिखती है जिसका मतलब है कि दुल्हन जिस घर जा रही है वहां खाने की कमी नहीं होगी।
कलीरे तोड़ने का मतलब
दुल्हन अविवाहित लड़कियों पर कलीरे तोड़ती है और अगर वह टूट के गिर जाए तो इसका मतलब है कि उसकी शादी भी जल्दी हो जाएगी। इसका एक हिस्सा मंदिर में दिया जाता है।
चूड़े और कलीरे का बदलता
चयन आज दुल्हन चूड़ा लाल के बजाय गुलाबी और नारंगी रंग चुनती हैं। ऐसे ही कस्टमाइज्ड कलीरे, पालकी वाले कलीरे शामिल किए जाते हैं। पहले 21 चूड़ियों का सेट होता था लेकिन, अब ऐसा नहीं है।
अगर आप भी चूड़ा और कलीरे पहनते हैं लेकिन, उसके पीछे का मतलब नहीं जानते तो, यहां जान लें। स्टोरी अच्छी लगी हो तो लाइक और शेयर करें। इससे जुड़ी अन्य जानकारी के लिए यहां क्लिक करें herzindagi.com।