एक औरत का जीवन कभी रुकता नहीं है। वह निरंतर चलता रहता है, जैसे पानी नहीं रुकता। हम किसी भी आकार में ढल जाती हैं और अपना सारा जीवन जल की तरह ही दूसरों के प्रति समर्पित कर देती हैं। यही कहानी मेरी भी रही। मैंने और मेरे पति ने हर मा-बाप की तरह अपने बच्चों की जिम्मेदारी संभाली। अब नाती-पोतों के साथ जिंदगी के मजे ले रहे हैं।
अब जब सारी चीज़ें सेटल हो गई हैं तो मैं कुछ अलग करना चाहती हूं। मैंने हमेशा अपने घर में समय बिताया। बच्चों और घर वालों की जिम्मेदारी संभालने में कभी बाहर घूमने का ख्याल रहा ही नहीं। जो ख्याल था भी वो घर के कामों में कहीं दब सा गया...लेकिन अब पति के रिटायर होने के बाद, हमारे पास समय ही समय है। इस दौरान मेरे मन के कई उस दबे हुए ख्यालों ने फिर एक बार उड़ान भरने की सोची।
मैंने कभी सोचा नहीं था कि अपने इस सपने को पूरा करने का सोच भी पाऊंगी। घूमने फिरने का शौक तो लेकिन कभी वक्त नहीं मिल पाया और अब जब वक्त है तो मैं इसे पूरी तरह से जीना चाहती हूं।
एक मिडिल क्लास फैमिली से ताल्लुक रखने वाली मैं सरोज रावत आज आपके साथ अपने जीवन के कुछ सबसे अच्छे पलों को शेयर करना चाहती हूं। मुझे उम्मीद है कि मेरा यह सपना आपके सपनों में भी आग फूंकने का काम करेगा।
मुझे यात्रा करने का है सबसे बड़ा शौक
बच्चों को पढ़ाने-लिखाने के बाद और उनकी शादी के बाद, जब पति रिटायर हुए तो हमारे पास अच्छा खासा समय बचा। इस समय को मैं सबसे ज्यादा यूटिलाइज़ करना चाहती थी। मैं अक्सर अपनी बेटी के साथ घूमने निकलने लगती हूं। कई बार उसके दोस्तों के साथ घूमने जाती हूं और कई बार अपने दोस्तों के साथ।
अभी हाल ही में, मैं अपनी सहेलियों और पति के साथ हरिद्वार की ट्रिप पर गई थी, जहां हमने खूब घूमा और मौज मस्ती की।
जब आपके पास एक अच्छा साथी हो तो आपकी यात्रा और भी सुखद हो जाती है। फिर मेरे पास तो ऐसे कई सारे अच्छे साथी हैं, मेरे ट्रैवल बडीज़!
कई जगहों को किया एक्सप्लोर
मैं अब तक कई सारी जगहों को घूम चुकी हूं और आगे भी इसी तरह घूमना चाहती हूं। कभी अपने पति के साथ, कभी अपने बच्चों के साथ और कभी अपने दोस्तों के साथ, देहरादून की आसपास की कई जगहों को घूमा है। मैं समझती हूं कि अगर आपको खुद को जानना है तो देश और दुनिया की सैर जरूर करनी चाहिए। घूमना-फिरना न सिर्फ आपको स्वतंत्र बनाता है बल्कि आपको समझ भी प्रदान करता है। मैं हरिद्वार, ऋषिकेश, मसूरी, टिहरी आदि जैसी कई जगहों को घूम चुकी हूं।
ऊंचे पहाड़ों को देखना है पसंद
मैं खुद गढ़वाल से हूं और रहती भी पहाड़ों के पास तो शायद इसलिए ये मेरे जीवन का अभिन्न हिस्सा बन चुके हैं। मुझे अच्छा लगता है इन ऊंचे और विशाल पहाड़ों को देखना जो मुझे स्थिर रहना सिखाते हैं। ये पहाड़ मुझे सिखाते हैं कैसे किसी भी कठिनाई का सामना डटकर करना है। इन पहाड़ों से निकलने वाली नदियां मुझे हमेशा बहते रहने की प्रेरणा देती हैं और खुली हवा में सांस लेना मुझे इस बात का सुकून देता है कि मैं अब अपने बारे में सोच रही हूं।
मुझे लगता है कि एक वक्त के बाद हर मां-बाप को अपने ऊपर ध्यान देना चाहिए। मैं जीवन के इस पड़ाव पर खुलकर जी रही हूं और दूसरों को भी इसी तरह से जीवन देने की सलाह देती हूं। मेरे लिए तो 50s ही नया 20 है!
लेखिका- सरोज रावत
(देहरादून से ताल्लुक रखने वाली सरोज रावत एक जिंदादिल इंसान हैं। दोस्तों के साथ गेट-टुगेदर और ट्रैवलिंग का उन्हें बहुत शौक है।)
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