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    सास-ननद विलेन, लेकिन पति के रोल को क्यों भूल जाते हैं हम?

    जब भी नई बहू के ससुराल में परेशान होने की बात होती है तो हमेशा सास और ननंद को ही विलेन बनाया जाता है, लेकिन ऐसा क्यों?   
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    Updated at - 2023-01-31,15:07 IST
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    Why always mother in law is blamed

    'औरत ही औरत की दुश्मन होती है', ये कहावत पता नहीं कितनी बार बोली जाती है। फिल्मों में, टीवी सीरियल में ही नहीं बल्कि कहावतों में भी इसी तरह की बातें सुनने को मिलती हैं। 80 और 90 के दशक की फिल्में देखी जाएं तो हमेशा प्रताड़ित होती बहू के सामने सास और ननद खड़ी होती हैं। बेचारा पति या तो इस अपमान का साथ देता है या फिर घर के मामलों में दखल नहीं दे पाता है। ये सिर्फ टीवी सीरियल की बात नहीं बल्कि वाकई घरों की असलियत भी है। 

    यहां पर बस एक ही सवाल मन में आता है कि भला ससुराल पक्ष के अच्छा और बुरा होने की सारी जिम्मेदारी सास और ननद के कंधों पर होती है। पर भला वो पति जिससे शादी करके लड़की ने अपना घर छोड़ा है उसका रोल क्या होता है? आज की चर्चा हम इसी मुद्दे पर करते हैं। 

    शादी के बाद क्या होता है पति का रोल?

    शादी दो लोगों का नहीं बल्कि दो परिवारों का मिलन होता है ये तो हम सभी ने सुना है, लेकिन क्या शादी के बाद पति का कोई भी रोल नहीं होता है? अगर मौजूदा मैट्रिमोनियल वेबसाइट्स में मिलने वाले रिश्तों की बात करें तो अधिकतर रिश्ते ऐसे ही होते हैं जहां लड़के और लड़की की बॉन्डिंग से ज्यादा सास की बॉन्डिंग देखी जाती है। एक किस्सा बताती हूं। हाल ही में मेरी एक सहेली की शादी की बात चल रही है और एक रिश्ता जहां सब कुछ सही लग रहा था वहां बात इसलिए नहीं बनी क्योंकि लड़के के अनुसार उसकी पत्नी को वही करना पड़ेगा जो उसकी मां कहेगी। 

    mother in law relationship

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    ये अच्छी बात है कि बड़ों का आदर करना चाहिए और मां की बात सुननी चाहिए, लेकिन मां की हर सही और गलत बात पर आंख बंद करके अमल भी नहीं किया जा सकता ना। 

    नौकरीपेशा लड़कियों की पूछ-परख अब बढ़ गई है और लोग अपने घरों में करियर ओरिएंटेड लड़की चाहते हैं, लेकिन शादी के बाद फिर ये क्यों उम्मीद की जाती है कि वो बिल्कुल मां की तरह ही काम करेगी? देखिए जीवनसाथी की उम्मीदें और अपेक्षाएं होना सही है, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि उसकी आइडेंटिटी शादी के बाद पूरी तरह से खत्म कर दी जाए। 

    sister in law relations

    ससुराल में एडजस्टमेंट के लिए क्या पति को मदद नहीं करनी चाहिए?

    अगर कोई लड़की अपना घर छोड़कर पति के साथ आई है तो क्या उसकी मदद करने की ड्यूटी पति की नहीं होती है? कुछ सवाल जो हमेशा मेरे जहन में आते हैं वो हैं...

    husband and wife relationship

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    • अगर सास या ननद से पत्नी को दिक्कत हो रही है तो क्या पति को बाल सुलझाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए?
    • अगर पत्नी को नए घर में एडजस्ट करने में दिक्कत हो रही है तो क्या पति को उसकी बात समझने की कोशिश नहीं करनी चाहिए?
    • घर की औरतों के झगड़े में नहीं पड़ेंगे ये कहने वाले पति को क्या कभी एक बार इस बारे में नहीं सोचना चाहिए कि उनकी पत्नी की उनसे भी कुछ अपेक्षाएं हैं।  

    देखिए हो सकता है कि मेरी राय कई लोगों को एक तरफा लगे, लेकिन एक बार इस नजर से सोचकर देखिए कि ससुराल में सिर्फ सास और ननद को ताना देना सही नहीं है। अगर पति का सपोर्ट हो तो घर के सभी सदस्यों की बॉन्डिंग अच्छी बन सकती है। ये जरूरी नहीं कि हम ससुराल को सिर्फ महिलाओं से ही आंकें। नए घर के पुरुष भी उतने ही मायने रखते हैं।  

    'औरत ही औरत की दुश्मन होती है' वाली थिंकिंग को थोड़ा बदलने की जरूरत है। इस मामले में आपका क्या ख्याल है? इसके बारे में हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से। 

     
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