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why does my child overreact

बच्चे छोटी बात पर भी ओवर रिएक्ट क्यों करते हैं? पेरेंट्स आज ही जानें ये 2 बड़े कारण

आज के बच्‍चे जरा सी बात पर ओवररिएक्‍ट क्‍यों करते हैं और इमोशनली इतने कमजोर क्‍यों हैं? अगर आपके मन में भी ऐसे ही सवाल हैं, तो आइए इसके 2 आसान कारण पेरेंटिंग कोच अनवी से समझते हैं।
Editorial
Updated:- 2025-12-01, 17:30 IST

आज के बच्चों की भावनाएं पहले की पीढ़ियों से बिल्कुल अलग दिखाई देती हैं। छोटी-सी बात पर रो पड़ना, मामूली टोकने पर परेशान हो जाना या हल्के से तनाव में भी टूट जाना, ये अब लगभग हर घर में देखने को मिलता है।

माता-पिता ही सबसे ज्‍यादा उलझन में हैं। वे अक्‍सर कहते हैं, 'हमारे समय में इतना नहीं सोचते थे… आज के बच्चे तो पलभर में घबरा जाते हैं!'

आखिर ऐसा क्यों हो रहा है? क्या हमारी पीढ़ी बदल गई है या हमारी परवरिश का तरीका?

इन सवालों का जवाब अनवी दे रही हैं, जो पेरेंटिंग कोच, टीन बिहेवियर साइकोलॉजिस्ट, एनएलपी प्रैक्टिशनर और हिंदी के फेमस पॉडकास्ट स्टोरी विद अनवी की फाउंडर हैं। अनवी दो मुख्य कारण बताती हैं, जिनसे आज के बच्चों की इमोशनल कंडीशन पर सबसे ज्‍यादा असर हो रहा है।

why does my child panic over small things

1. हर चीज का तुंरत मिलना

हर चीज तुरंत मिल रही है, इसलिए बच्चों की 'संघर्ष क्षमता' विकसित नहीं हो पाती। आज के बच्चे एक ऐसी दुनिया में जी रहे हैं, जहां सब कुछ पलभर में मिल जाता है-

  • मोबाइल से तुरंत मजा
  • सामान से तुरंत संतुष्टि
  • पढ़ाई और होमवर्क में तुरंत मदद
  • मनचाही चीज तुरंत उपलब्ध

जब जीवन में इंतजार नहीं होता, संघर्ष नहीं होता और मेहनत का महत्व महसूस नहीं होता, तब बच्चा निराशा, असफलता और रोक-टोक को संभालना सीख ही नहीं पाता। संघर्ष करने की शक्ति विकसित नहीं होती, छोटी-सी परेशानी भी पहाड़ जैसी लगती है और थोड़ी-सी रुकावट भी बच्‍चे को बेचैन कर देती है। इसीलिए, बच्चे छोटी घटनाओं पर भी जल्दी टूट जाते हैं, गुस्सा कर देते हैं या घबरा जाते हैं।

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2. सुविधाएं ज्‍यादा, इमोशनल मौजूदगी कम

सुविधाएं ज्‍यादा और इमोशनल मौजूदगी कम होने से बच्चे अंदर ही अंदर अकेले होते जा रहे हैं। पेरेंट्स बच्चों को अच्छी शिक्षा, अच्छा माहौल और हर सुविधा तो दे रहे हैं, लेकिन सबसे जरूरी यानी इमोशनली साथ, धीरे-धीरे कम होता जा रहा है।

पेरेंट्स हर समस्या बच्चों के लिए खुद हल कर देते हैं, बच्चों को अनुभवों से सीखने का मौका कम मिलता है और बातचीत, सुनने और समझने का समय भी घटता जा रहा है। ऐसे में बच्चे के मन में यह भाव पैदा होता है कि मुझे समझा नहीं जाता… मैं अकेला हूं… मेरी भावनाएं किसी को जरूरी नहीं लगतीं।

जब बच्चे को इमोशनल सुरक्षा नहीं मिलती, तब छोटी बात भी बहुत बड़ी लगने लगती है, मामूली परेशानी में भी दुनिया खत्‍म होने जैसी लगती है और छोटे-से असफल प्रयास भी घबराहट होने लगती है।

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असल समस्या क्या है?

आज के बच्चों के जीवन में सुविधा, आराम और स्‍क्रीन टाइम ज्‍यादा है, लेकिन संघर्ष, धैर्य और इमोशनल मजबूती कम है। यही कारण है कि इमोशनल सिस्‍टम पूरी तरह विकसित नहीं हो पाता है।

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सबसे जरूरी टिप्‍स

बच्चों को मजबूत बनाने के लिए सिर्फ अच्छी शिक्षा, अच्छी सुविधाएं या महंगे गैजेट काफी नहीं हैं। उन्हें पेरेंट्स का समय, मन की बात सुनने वाला कोई, समझ और अपनापन, इमोशनल सुरक्षा और बिना जजमेंट का प्‍यार चाहिए, क्‍योंकि इमोशनल मौजूदगी ही वह नींव है, जिस पर बच्चे पूरे जीवन की इमोशनल ताकत और आत्मविश्वास खड़ा करते हैं।

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Image Credit: Shutterstock

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