Vijaya Ekadashi Ki Tithi: हिन्दू धर्म में एकादशी तिथि का अत्यंत महत्व बताया गया है। इसी कड़ी में आज हम आपको ज्योतिष एक्सपर्ट डॉ राधाकांत वत्स द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर फाल्गुन माह में पड़ने वाली विजया एकादशी की तिथि, शुभ मुहूर्त, महत्व, पूजा विधि, क्या करें क्या न करें आदि सभी जरूरी बातों के बारे में बताने जा रहे हैं।
विजया एकादशी की तिथि (Vijaya Ekadashi Ki Date)
फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को विजया एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस साल यह एकादशी दो दिन की पड़ रही है जिसके तहत इसे 16 फरवरी, दिन गुरुवार और 17 फरवरी, दिन शुक्रवार (शुक्रवार के उपाय) को मनाया जाएगा।
विजया एकादशी का मुहूर्त (Vijaya Ekadashi Ka Muhurat)
- विजया एकादशी की तिथि का शुभारंभ 16 फरवरी को सुबह 5 बजकर 32 मिनट पर होगा वहीं, इसका समापन 17 फरवरी को रात 2 बजकर 49 मिनट पर होगा। दोनों ही दिन उदया तिथि का योग बन रहा है।
- ऐसे में इस साल विजया एकादशी 16 और 17 फरवरी दोनों ही तिथियों पर मनाई जाएगी। हालांकि जहां एक ओर सामान्य तौर पर एकादशी 16 फरवरी की होगी तो वहीं, वैष्णव संप्रदाय के लोग 17 फरवरी को व्रत रखेंगे।
विजया एकादशी की पूजा (Vijaya Ekadashi Ki Puja)
- फाल्गुन माह में विष्णु भगवान की पूजा का विशेष विधान माना जाता है वहीं, एकादशी के दिन भी भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा का नियम है। इसी कारण से विजया एकादशी के दिन दोनों की साथ में पूजा करें।
- भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के आगे लाल कपड़ा बिछाकर उस पर स्वास्तिक बनाएं और स्वास्तिक पर अक्षत एवं पुष्प छिड़कें। इसके बाद माता और श्री हरि को माला पहनाएं और उसके बाद उनका ध्यान करें।
- भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को ध्यान के बाद भोग लगाएं और उस भोग का प्रसाद ग्रहण करें। ध्यान रहे कि प्रसाद से कभी भी व्रत नहीं टूटता है तो आप प्रसाद का सेवन व्रत में भी कर सकते हैं।
- भगवन विष्णु और माता लक्ष्मी की आरती उतारें और पूरा दिन दिन उनके भजन कीर्तन में खुद को समर्पित कर दें। शाम के समय श्री हरि और माता लक्ष्मी की संध्या आरती कर मनोकामना मांगे।

विजया एकादशी का महत्व (Vijaya Ekadashi Ka Significance)
- विजया एकादशी का शास्त्रों में अत्यंत महत्व बताया गया है। मान्यता है कि जो भी व्यक्ति विजया एकादशी का व्रत रख भगवान विष्णु (भगवान विष्णु को क्यों कहा जाता है नारायण) और माता लक्ष्मी का पूर्ण श्रद्धा से ध्यान करता है और पूजा में लीन हो जाता है उस व्यक्ति को हर काम में विजय अवश्य मिलती है।
- विजय एकादशी का मतलब ही है हर कार्य में विजय यानी की जीत दिलानी वाली एकादशी। इस एकादशी के व्रत से भगवान विष्णु अपने भक्तों को हर पल हर क्षेत्र में जीत हासिल करने का आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
विजया एकादशी पर क्या करें क्या नहीं (Vijaya Ekadashi Par Kya Kare Kya Nahi)
अगर उपवास रखा है तो सात्विक भोजन ही करें। चावल या खीर का सेवन करने से बचें। व्रत तभी रखें जब आपका उसका पूर्ण रूप से पालन कर सकें। क्रोश से बचें और अपनी वाणी पर नियंत्रण रखें। साथ ही, अपना आचरण शुद्ध रखें।
विजया एकादशी का व्रत पारण समय (Vijaya Ekadashi Ka Vrat Paran Samay)
- जो लोग विजया एकादशी का व्रत 16 को रख रहे हैं वह अपने व्रत का पारण अगले दिन 17 को करें और जो 17 को रख रहे हैं वह अपने व्रत का पारण 18 को करें। 17 के दिन व्रत पारण समय है सुबह 8 बजे से 9 बजे तक।
- 18 तारीख को आप सुबह 8 बजकर 35 मिनट से सुबह 8 बजकर 20 मिनट तक के बीच में व्रत का पारण कर सकते हैं। क्योंकि एकादशी का व्रत हमेशा द्वादशी की तिथि पर ही किया जाता है।
तो ये थी विजया एकादशी से जुड़ी सभी जानकारी। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर जरूर शेयर करें और इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ। आपका इस बारे में क्या ख्याल है? हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।
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