अर्चना देवी- यह नाम सुना-सुना सा जरूर लग रहा होगा आपको। बता दें कि यह वही नाम है जिसने आईसीसी महिला अंडर-19 टी20 वर्ल्ड कप में भारत को चैंपियन बनाने में अहम भूमिका निभाई है। इस मैच के बाद से ही अर्चना को लोग अब पहचानने लगे हैं। हर भारतीय की जुबान पर आज उनका नाम है।
इस मुकाम तक पहुंचने के लिए जितना संघर्ष अर्चना ने किया है उससे कही ज्यादा संघर्ष का सामना उनकी मां सावित्री देवी ने किया था। आज हम आपको अर्चना देवी की मां सावित्री देवी के संघर्ष और काटों भरे उसी जीवन के बारे में बताने जा रहे हैं जब उन्हें बेटी को बेचने और डायन जैसे कड़वे शब्दों और बेबुनियाद आरोपों का सामना करना पड़ा था।
ये बात तो जग ज़ाहिर है कि संतान की सफलता के पीछे माता-पिता की कड़ी तपस्या होती है। ऐसी ही तपस्या अर्चना देवी की मां सावित्री देवी ने भी की और साथ ही, समाज के बुरे रूप को भी न सिर्फ देखा बल्कि सहा।
इसे जरूर पढ़ें: भारतीय महिला टीम ने रचा इतिहास, इंग्लैंड को हराकर जीता पहला अंडर-19 टी-20 विश्व कप
अर्चना के पिता और सावित्री देवी के पति का निधन कैंसर के कारण हुआ था। वही, अर्चना के भाई और सावित्री देवी के बेटे ने भी सांप के काटने के बाद दम तोड़ दिया। घर में थोड़े-थोड़े समय के अंतराल पर मिर्त्यु होने के कारण लोगों ने सावित्री देवी को डायन कहना शुरू कर दिया था।
बेटी के सपनों को उड़ान देने के लिए जब मां सावित्री देवी ने अर्चना का स्तूरबा गांधी अवासीय बालिका विद्यालय में दाखिला कराया तब पड़ोसियों ने, रिश्तेदारों ने और समाज के लोगों ने उनपर बहुत ही घिनौना इल्जाम लगाया। किसी ने उन्हें बेटी को बेचने वाली कहा तो किसी ने उनके व्यक्तित्व को अपशब्दों से तोला।
यहां तक कि लोग उन्हें ये तक कहते थे कि उन्होंने अपनी बेटी को गलत रास्ते पर जाने के लिए मजबूर किया है। एक मीडिया संस्थान से बातचीत के दौरान सावित्री देवी ने बताया कि जिस दिन अंडर-19 टी20 वर्ल्ड कप फाइनल चल रहा था उस दिन अर्चना को टीवी पर देखने के लिए मेहमानों का तांता लग गया था।
ये वही चेहरे थे जिन्होंने कभी अर्चना की मां सावित्री देवी को घृणा की नजरों से देखा था। ये वही चेहरे थे जो कभी रास्ते में सावित्री देवी को देख रास्ता बदल लिया करते थे। अर्चना के बड़े भाई ने बताया कि किस तरह उनकी मां से तमाम मुश्किलों से लड़ते हुए उन्हें ग्रेजुएशन कम्पलीट करवाई और अब वह चाहती हैं कि उनका बड़ा बेटा सरकारी नौकरी करे।
अर्चना के बड़े भाई ने बताया कि छोटे भाई बुद्धिमान के कहने पर ही मां सावित्री देवी ने अर्चना को क्रिकेट में आगे बढ़ाया और उसके अंदर के टैलेंट को निखरने दिया। अर्चना के छोटे भाई बुद्धिमान ने मरते समय मां के सामने यही इच्छा रखी थी कि अर्चना को क्रिकेट में आगे बढ़ाया जाये। भाई के अंतिम शब्दों को अर्चना ने गुरु वाणी मान क्रिकेट को गंभीरता से लेना शुरू किया।
इसे जरूर पढ़ें: देर आए दुरुस्त आए BCCI, पर अभी भी महिला क्रिकेट टीम की लंबी जंग है बाकी
अर्चना के इस सफर में उनके बड़े भाई और मां के साथ-साथ कुलदीप यादव का योगदान भी सराहनीय है। कुलदीप को अर्चना भैया मानती थीं और उन्हीं से उन्होंने सब सीखा। आज अर्चना की मां सावित्री देवी की तपस्या रंग लाई है।
बता दें कि अर्चना ने अंडर 19 वर्ल्ड कप मैच के दरान इंग्लैंड के खिलाफ फाइनल में ग्रेस स्क्रीवंस और नियाम हौलेंड के विकेट लिए थे और एक मैक्डोनाल्ड गे का शॉर्ट कवर्स में दर्शनीय कैच भी लपका था। इसी के बाद से अर्चना ने भारत में अपने नाम का परचम लहरा दिया है। अब अर्चना अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में धमाल मचाने के लिए जोरों-शोरों से तैयार हैं।
तो ये थी अर्चना देवी की मां सावित्री देवी के संघर्ष की कहानी। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर जरूर शेयर करें और इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ। आपका इस बारे में क्या ख्याल है? हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।
Image Credit: Twitter, Social Media