अब बच्चे हैं तो गलती करेंगे ही। आखिर में गलतियों से ही तो बच्चे सीखते हैं। गलतियों को सुधारना और गलतियों के लिए टोकना दो अलग चीजें हैं। लेकिन इनका फर्क कई अभिभावक नहीं समझते हैं और अपने बच्चों की गलतियों के लिए उन्हें टोकते वक्त कुछ ऐसा बोल देते हैं जो उन्हें नहीं बोलना चाहिए। अगर आपके भी बच्चे हैं और आप उन्हें टोकते वक्त ये सारी चीजें बोल देती हैं तो आज ही इन बातों को कहना बंद कर दें।
आपके बातें और टोक का बच्चे पर गलत प्रभाव पड़ता है। खासकर पढ़ाई के लिए डांटी गई बातों का बच्चों पर बहुत नकरात्मक प्रभाव पड़ता है। आज हम ऐसी ही कुछ बातों पर चर्चा करेंगे जो बच्चों से नहीं कहनी चाहिए।
अधिकतर मां बाप बच्चों को डांटते वक्त यह ताना जरूर मारते हैं कि जब मैं तुम्हारी उम्र की थी...तो दिन भर काम करते रहती थी।
ऐसी बातें अपने बच्चों को बिल्कुल भी ना कहें। आपका समय अलग था और आपके बच्चे का समय अलग है। कुछ बच्चे ऐसी बातों को सुनकर सोचते है कि शायद आप उन्हें ताना दे रहें हो और वो इस बात को नैगिटिव तरीके से ले लेते है। धीरे-धीरे ऐसी बातें सुनते हुए वे आपके खिलाफ भी हो जाते हैं।
कई बार वर्किंग महिलाओं के पास वक्त नहीं होता है। ऐसे में जब उन्हें उनका बच्चा तंग करता है तो वे परेशान होकर हमेशा ये बोल देती हैं कि तुम्हारी बातों के लिए मेरे पास वक्त नहीं...।
अगर आप अपने बच्चे को बार-बार ऐसा कहती हैं तो इस आदत में सुधार लाएं। वह बच्चा है। उसे अभी सबसे ज्यादा आपकी जरूरत है। उनकी बातें आपको भले ही फिजूल लगती हों लेकिन उनके लिए अभी यही सब बातें बहुत जरूरी होती है। इसलिए उन्हें समय दें। उनकी बातों को सुनें।
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अधिकतर मां-बाप अपने बच्चों की तुलना बगल वाले बच्चे से करते हैं। जब बच्चों के मार्क्स बहुत कम आते हैं या जब बच्चे बहुत अधिक खेलते हैं तो मां-बाप उन्हें यही बोलते हैं... देखो शर्माजी के बच्चे को, उससे कुछ सीखो...।
आप दूसरे बच्चे की दुहाई कछ सीखने के लिए तो दे देते हैं। लेकिन बच्चे सीखते नहीं बल्कि उस शर्माजी के बच्चे के भी खिलाफ हो जाते हैं। जिससे वे शायद देखकर सीख सकते थे। इसलिए कभी भी किसी और से अपनी बच्चों की तुलना ना करें। हर बच्चा अपने आप में स्पेशल होता है। उन्हें उनकी स्पेशलिटी पर विश्वास करायें। अगर उन्हें कुछ बताना है तो उन्हें प्यार से समझायें।
अधिकतर अभिभावक अपने बच्चों की अवहेलना करते हुए उन्हें कहते हैं, एक दिन तुम पछताओगे...।
बाद का तो पता नहीं लेकिन ये शब्द सुनकर बच्चा उसी समय पछताने लगेगा औऱ खुद को कोसने लगेगा। अगर आप बार-बार उसे ऐसा बोलेंगी तो वो कुछ समय बाद आपको भी कोसने लगेगा। क्योंकि बच्चे को तो पछताने का मतलब भी नहीं पता होता है। ऐसे में आप उन्हें भविष्य पर पछताने की बात कह देंगी तो वह खुद से और अपने आप से नफरत करने लगेगा और आपको कुछ भी बताने से हिचकेगा।
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कई बार कुछ बच्चे बहुत शरारत करते हैं जिसके कारण स्कूल से अभिभावकों को बुलाया जाता है। ऐसे में अभिभावक घर जाकर बच्चों से कहते हैं, तुम्हारी वजह से मुझे शर्मिंदा होना पड़ता है...। या फिर किसी पार्टी में बच्चे गलती से कुछ कर देते हैं तो अभिभावक डांटते हुए बोलते हैं, अब कितना शर्मिंदा करोगे...।
बार-बार ये शर्मिंदा शब्द अपने बच्चों को डांटने के लिए यूज़ ना करें। ऐस में बच्चों को खुद से घृणा होने लगेगी और वे डिप्रेशन में चले जाएंगे।
तो ये कुछ जरूरी चीजें हैं जो अपने बच्चों को बिल्कुल भी नहीं बोलनी चाहिए।
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