हिन्दू धर्म के अनुसार पूजा पाठ का विशेष महत्त्व है। हर एक त्यौहार और व्रत किसी ईश्वर पर आधारित होता है और उस दिन पूजा अर्चना करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। इसी प्रकार प्रदोष व्रत का भी हिंदू धर्म में विशेष महत्त्व है। प्रदोष व्रत किसी भी माह की त्रयोदशी तिथि को होता है। इस प्रकार साल में 24 प्रदोष व्रत होते हैं और महीने में 2 प्रदोष व्रत होते हैं।
पहला प्रदोष व्रत कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को और दूसरा शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है। कहा जाता है इस दिन श्रद्धा भाव से शिव जी का पूजन करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है और पुण्य की प्राप्ति होती है। आइए प्रख्यात ज्योतिर्विद पं रमेश भोजराज द्विवेदी जी से जानें माघ महीने का शुक्ल पक्ष में पड़ने वाला प्रदोष व्रत कब है और इसका क्या महत्त्व है।
माघ शुक्ल पक्ष प्रदोष व्रत की तिथि
इस बार माघ महीने में शुक्ल पक्ष प्रदोष व्रत 24 फरवरी 2021, दिन बुधवार को मनाया जाएगा। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का पूजन अत्यंत फलदायी होता है। प्रदोष व्रत की पूजा मुख्य रूप से प्रदोष काल में की जाती है। मान्यतानुसार इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का पूजन एक साथ करने से कई जन्मों के पापों से मुक्ति मिलने के साथ व्यक्ति का मन भी पवित्र होता है। हिंदू धर्म में इस व्रत का विशेष महत्त्व है और शिव पुराण में भी इस व्रत की विशेष महिमा बताई गयी है। आइए जानें इस व्रत का शुभ मुहूर्त -
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प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त
- 24 फरवरी 2021, दिन बुधवार
- माघ शुक्ल त्रयोदशी तिथि प्रारंभ -24 फरवरी, बुधवार को शाम 06:05 मिनट पर
- त्रयोदशी तिथि प्रारंभ : 25 फरवरी, बृहस्पतिवार को शाम 05:18 मिनट पर
- इस प्रकार त्रयोदशी तिथि में प्रदोष काल 24 फरवरी की पड़ने की वजह से इसी दिन शिव पूजन और व्रत करना फलदायी होगा।
कैसे करें शिव जी का पूजन
- प्रदोष व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर सर्वप्रथम स्नान करके स्वच्छ कपड़े धारण करें।
- पूजा के स्थान या घर के मंदिर को अच्छी तरह से साफ़ करें और शिव जी की मूर्ति को स्नान कराएं।
- गंगा जल से पूजा स्थान को पवित्र करें।
- एक चौकी में सफ़ेद कपड़ा बिछाकर शिव मूर्ति या शिवलिंग स्थापित करें।
- भगवान शिव को चंदन लगाएं और नए वस्त्रों से सुसज्जित करें।
- शिव प्रदोष व्रत के दिन शिवलिंग पर फूल, धतूरा और भांग चढ़ाएं या ताजे फलों का भोग अर्पित करें।
- प्रातः काल का पूजन करने के पश्चात पूरे दिन व्रत का पालन करें और फलाहर ग्रहण करें।
- प्रदोष काल में शिव पूजन करें, प्रदोष व्रत की कथा सुनें व पढ़ें और सफ़ेद चीज़ों का भोग अर्पित करें।
- पूजन के समय संभव हो तो सफ़ेद वस्त्र धारण करें।
- शिव जी की आरती करने के बाद भोग सभी को वितरित करें और स्वयं भी ग्रहण करें।
- व्रत करने वालों को एक समय ही भोजन करना चाहिए और नमक का सेवन नहीं करना चाहिए।
प्रदोष व्रत का महत्त्व
प्रदोष व्रत का विधि पूर्वक पालन करने और शिव पूजन करने से घर में सुख शांति आती है और पापों से मुक्ति मिलती है। यही नहीं जो स्त्रियां संतान की इच्छा रखती हैं उनके लिए भी यह व्रत अत्यंत फलदायी होता है। यह व्रत संतान प्राप्ति और संतान के स्वास्थ्य के लिए अत्यंत फलदायी होता है। विवाह की इच्छा रखने वाली कन्याओं को यह व्रत करने से अच्छे वर की प्राप्ति होती है और घर में लड़ाई झगड़ों का समापन होता है।
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Image Credit:pintrest