गार्डनिंग करने के ढेरों फायदे हैं और इसलिए पिछले कुछ समय से लोगों के बीच गार्डनिंग करने का चलन काफी बढ़ गया है। हालांकि, शहरी क्षेत्रों में लोगों के पास स्पेस की काफी कमी होती है और इसलिए वह कंटेनर गार्डनिंग करना अधिक पसंद करते हैं। इसमें अलग-अलग साइज के पॉट्स या कंटेनर में पौधों को उगाया जाता है। कंटेनर गार्डनिंग का एक लाभ यह है कि इसमें आपको बहुत अधिक स्पेस की जरूरत नहीं होती। साथ ही साथ आप एक साथ कई अलग-अलग तरह के प्लांट्स को उगा सकते हैं।
यूं तो कंटेनर गार्डनिंग करना काफी सरल लगता है, लेकिन फिर भी प्लांट्स की सही बढ़त के लिए आपको पर्याप्त सावधानी बरतनी होती है। अगर आप कंटेनर गार्डनिंग कर रहे हैं तो आपको हर छोटी से छोटी डिटेल पर ध्यान देने की जरूरत होती है। तो चलिए आज इस लेख में हम आपको कुछ ऐसे टिप्स के बारे में बता रहे हैं, जिन्हें आपको कंटेनर गार्डनिंग के दौरान अवश्य फॉलो करना चाहिए-
गार्डन की मिट्टी को करें अवॉयड
कुछ लोग कंटेनर गार्डनिंग के दौरान बगीचे की मिट्टी ले आते हैं और उसमें ही प्लांट लगा देते हैं। लेकिन आपको वास्तव में ऐसा नहीं करना चाहिए। दरअसल, गार्डन की मिट्टी थोड़ी हैवी होती है, जिसके कारण उसमें से पानी आसानी से नहीं निकल पाता है। जब कंटेनर का ड्रेनेज सिस्टम अच्छा नहीं होता और साथ ही साथ हवा भी इसमें प्रवेश नहीं कर पाती है तो इससे पौधों की जड़ों के सड़ने की संभावना कई गुना बढ़ जाती है। हालांकि, अगर आप बगीचे की मिट्टी का उपयोग करना चाहते हैं, तो आपको इसमें कुछ संशोधन करना होगा। बेहतर होगा कि आप इसमें कम्पोस्ट या पीट आदि को मिक्स करें ताकि यह हल्की हो जाए।
कंटेनर को ऊपर तक न भरें
अधिकतर गार्डनर अपने कंटेनर को मिट्टी से ऊपर तक भर देते हैं। हालांकि यह आपके पौधे को कोई नुकसान नहीं पहुंचाता है, लेकिन इससे पौधों को पानी देने में समस्या हो सकती है। इसलिए कोशिश करें कि आप गमले के किनारे और मिट्टी की ऊपरी परत के बीच एक इंच की जगह छोड़ दें।
समय-समय पर पॉट की मिट्टी बदलें
जब आप कंटेनर में गार्डनिंग करते हैं तो एक लंबे समय के बाद कंटेनर में मिट्टी जमा हो जाती है, जिससे जल निकासी और हवा का आवागमन विफल हो जाता है। इसलिए पौधों की बेहतर वृद्धि के लिए, वर्ष में एक बार अपनी गमले की मिट्टी को अवश् बदलें। हालांकि, अगर आप मिट्टी को बदलना नहीं चाहते हैं, तो स्क्रैप करें और टॉप लेयर के 1/3 भाग को खाद से बदलें।
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ऐसी मिट्टी का भूलकर भी ना करें इस्तेमाल
जब लोग कंटेनर गार्डनिंग करते हैं तो वह अक्सर दूसरे कंटेनर से भी मिट्टी का इस्तेमाल कर लेते हैं। हालांकि, अगर आपका पौधा पहले से ही रोगग्रस्त या क्षतिग्रस्त है तो ऐसे पौधे के कंटेनर से मिट्टी का उपयोग करने से बचें। ऐसा करने से आप पिछले पौधे से रोग या कीट को नए पौधे में स्थानांतरित कर देंगे। कोशिश करें कि जब भी कंटेनर गार्डनिंग करें तो हमेशा एक फ्रेश पॉटिंग मिक्स तैयार करें।
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मिट्टी तैयार करते समय प्लांट और मौसम का दें ध्यान
पौधे एक जैसे नहीं होते और एक ही प्रकार की मिट्टी में नहीं उगाए जा सकते। प्रत्येक पौधे को एक अलग मिट्टी के प्रकार की आवश्यकता होती है। इसलिए, अपने प्लांट्स की जरूरत के अनुसार ही आपको मिट्टी तैयार करनी चाहिए ताकि उनकी बेहतर ग्रोथ हो सके। इसके अलावा, अपनी पॉटिंग मिट्टी के टाइप को चुनते समय मौसम का भी ध्यान दें। उदाहरण के लिए, एक गर्म जलवायु में बाहर रखे गए पौधे को ऐसी मिट्टी की आवश्यकता होती है, जो स्वयं में कुछ नमी को होल्ड कर सके ताकि प्लांट जल्दी सूखकर खराब ना हो जाए।
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Image Credt: Freepik.com
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