दक्षिण भारतीय हिंदुओं का पोंगल प्रमुख त्यौहार है। इस त्यौहार मकर संक्रांति और लोहड़ी की तरह ही मनाया जाता है। यह फसलों से जुड़ा त्योहार है। सूर्य का मकर राशि में प्रवेश होने पर पोंगल का त्योहार मनाया जाता है। यह पूर्व पूरे 4 दिनों तक मनाया जाता है। आज के इस आर्टिकल में हम आपको इस त्यौहार से जुड़ी 10 रोचक तथ्य बताने वाले हैं।
1कब मनाते हैं यह त्यौहार

हर साल इस त्यौहार को मंकर संक्राति के आस-पास ही मनाते है। यह त्यौहार पौष माह के प्रतिपदा में ही मनाया जाता है। पोंगल तथा खिंचड़ी का त्यौहार हम सूर्य के पुण्यकाल में मनाया जाता है।
2पोंगल का अर्थ जानते है आप

पोंगल का त्यौहार पर हम बुरी चीजों को त्यागकर अच्छी चीजों को ग्रहण करने का प्रण लेते हैं। ऐसे में इस त्यौहार को काफी धूमधाम से मनाया जाता है।
3चार दिन तक चलता है यह उत्सव

पोंगल का त्यौहार काफी धूमधाम से पूरे 4 दिनों तक मनाया जाता है। इस चार दिनों में पहले दिन भोगी पोंगल, दूसरे दिन थाई पोंगल, तीसरे दिन कानुम पोंगल, चौथे दिन कानुम पोंगल मनाया जाता है।
4फसल के लिए करते हैं वर्षा

भोगी पोंगल भगवान इंद्र को समर्पित है। इंद्र को यह दिन इसलिए समर्पित है क्योंकि वह फसल अच्छी रहे इसके वर्षा करते हैं।
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5विशेष पूजा होती है

दूसरा दिन सूर्य पोंगल को समर्पित है। इस दिन नए चावल से विशेष प्रकार की खीर बनाई जाती है और भगवान सूर्य को अर्पित की जाती है।
6मवेशियों को करवाते है स्नान

इस दिन किसान अपने मवेशियों को स्नान कराते हैं और उनके सिंगों में तेल लगाकर पूजा करते हैं। उनके लिए विशेष तरीके के पकवान भी बनवाते है।
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7नववर्ष की होती है शुरुआत

इस दिन किसान अपने मवेशियों को स्नान कराते हैं और उनके सिंगों में तेल लगाकर पूजा करते हैं। उनके लिए विशेष तरीके के पकवान भी बनवाते है।
8प्रकृति से जुड़ा त्यौहार है

पोंगल धार्मिक त्यौहार से अधिक प्रकृति और कृषि से जुड़ा हुआ पर्व है। इस त्यौहार को काफी खास तरीके से मनाया जाता है। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर जरूर शेयर करें और इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ। इस आर्टिकल के बारे में अपनी राय आप हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।
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