इंडिया एक ऐसा देश है जहां पर रहने वाले लागों के अंदर आज भी लड़के और लड़कियों को लेकर भेदभाव की भावना पूरी तरह खत्म नहीं हुई है। आज भी बड़े से बड़े परिवार और पढ़े लिखे लोगों के बीच लड़का और लड़की को लेकर अलग मानसिकता है। जहां परिवार में लड़कों को हर काम के लिए आजादी दी गई वहीं लड़कियां आजाद हो कर भी परपंराओं और समाज की छोटी सोच के चलते सिमाओं में बंधी हुई हैं।
हैरानी की बात तो यह है कि महिलाओं के कपड़ों से लेकर उनकी आवाज के वॉल्यूम तक सब कुछ आज भी दूसरों के द्वारा कंट्रोल किया जाता है। वहीं जब बात लड़कों पर आती है तो उन्हें किसी भी तरह की बंदिशों में बांधने की जगह परिवार वाले यह कह कर आजादी दे देते हैं कि 'वो तो लड़का है। उसका कुछ नहीं बिगड़ेगा।' यह कहने वालों में भी पुरुषों की जमात ज्यादा होती है। मगर कभी आपने यह सोचा है कि जिन चीजों के लिए लड़कियों को अक्सर टोका जाता है उन चीजों के लिए लड़कों को टोका जाना शुरू कर दिया जाए तो क्या होगा। आइए जानते हैं वो स्टीरियोटाइप बातें जिन पर लड़कियों को आज भी खुद से डिसीजन लेने की आजादी नहीं है।
शादी के बाद सर नेम बदलने की आजादी
भारतीय कानून के तहत लड़की शादी के बाद अगर अपना सर नेम बदलना नहीं चाहती तो ऐसा करने में कुछ भी गलत नहीं है मगर इसके बावजूद लड़की की शादी होते ही लोगों के रिएक्शन इतने बदल जात हैं कि उन्हें अपना सर नेम न चाहते हुए भी बदलना ही पड़ता है। मगर यही रिएक्शन अगर लड़कों को मिले तो। अगर उनसे कहा जाए कि शादी के बाद वे अपना सरनेम बदल लें, तो शायद उस दिन भारत सही मायनों में काफी आगे बढ़ जाएगा।
इतना पढ़ लिख कर क्या करोगी
बेटी पढ़ने में कितनी भी अच्छी हो मगर उसे ज्यादा आज भी लोगों कि मानसिकता है कि लड़कियां ज्यादा पढ़लिख कर क्या करेंगी क्योंकि आखिर में तो शादी हो कर उन्हें विदा ही हो जाना है। ऐसे में पढ़ाई लिखाई जगह घर के काम ही सीख लें तो अच्छा है। वहीं लड़का पढ़ने में कितना भी निकम्मा हो मगर उसे पढ़ाने के लिए घर वाले भारी भरकम लोन तक लेने तक को तैयार हो जाते हैं। यह डायलॉग लड़की की जगह एक बार लड़के को मार कर देखिए कि 'घर के काम सीख लो' उसके रिएक्शन देखने लायक होंगे।
थोड़ा धीमे बोलो
लड़का तेज आवाज में बोले तो लोग कहते हैं कि आदमी की आवाज तो भारी ही होती है। मगर लड़की घर पर भी थोड़ा तेज बोले तो घरवाले उसे धीमें बोलने की हिदायत देने लगते हैं। मगर लड़के को कभी धीमी आवाज में बात करने से नहीं रोका जाता । तो क्यों न एक बार लड़कों को भी धीमी आवाज में बात करने के लिए कह कर देखिए।
शादी के बाद काम मत करना
लड़की भले ही लड़के से ज्यादा कमा रही हो मगर शादी के बाद लोगों की एक्सपेक्टेशन होती है कि लड़कियां या तो नौकरी छोड़ दें और घर की जिम्मदारी निभाएं या फिर ऐसी नौकरी करें जिसमें घर पर पूरा ध्यान दे सकें। अगर कुछ ऐसा ही लड़कों पर थोपा जाए तो। क्या वो ऐसा नहीं कर सकते कि बीवी कमाए और पति घर के काम करें।
बाहर जाने से पहले कपड़े चेंज करो
जब भी बाहर जाना होता है तो मम्मियां अपनी बेटियों को अच्छे से ड्रेसअप हो कर जाने के लिए कहती हैं मगर एक बार अपने बेटे को भी टोक देखिए। आखिर केवल लड़कियों के ड्रेसअप को सुधार कर क्या फायदा।
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Producer: Rohit Chavan
Editor: Anand Sarpate