बच्चे हर बात पर अपने पैरेंट्स के साथ सहमत हों, यह जरूरी नहीं है। हालांकि, अधिकतर बच्चे अपनी असहमति एक बहस के जरिए व्यक्त करते हैं। हो सकता है कि आपके घर में भी बच्चे अपनी बात सामने रखने के लिए बहस का तरीका अपनाते हों। यकीनन यह स्थिति ठीक नहीं है। एक बार जब बच्चों को बहस करने की आदत पड़ जाती है तो ऐसे में वे किसी की बात सुनना या समझना पसंद नहीं करते हैं।
इसलिए, यह बेहद आवश्यक है कि आप बच्चे को अपनी असहमति को प्रभावी लेकिन सही ढंग से व्यक्त करने का तरीका समझाएं। जब बच्चे एक रिस्पेक्टफुली तरीके से अपनी बात सबके सामने रखते हैं तो इससे ना केवल स्थिति को बेहतर तरीके से हैंडल करने में मदद मिलती है। बल्कि इससे रिश्तों में भी तनातनी का माहौल पैदा नहीं होता है। तो चलिए आज इस लेख में हम आपको ऐसे ही कुछ आसान तरीकों के बारे में बता रहे हैं, जिन्हें अपनाकर आप बच्चे के साथ बातचीत को बहस में बदलने से रोक सकती हैं-
ट्रिगर्स को पहचानें
बच्चे के साथ इस पैटर्न को बदलने का पहला कदम है खुद को जानना और अपने ट्रिगर्स को जानना। हो सकता है कि सुबह घर से निकलते हुए या फिर शाम को बुरी थक जाने के बाद आप किसी भी बात को सुनने की इच्छा ना रखती हों। इस स्थिति में आप बच्चे पर बेवजह चिल्ला दें और फिर बच्चा भी एग्रेसिव हो जाए। ऐसे में आपकी बातचीत बेहद ही आसानी से बहस में बदल जाएगी।
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इस सिचुएशन में आप बच्चे पर गुस्सा करने या उससे बहस करने के स्थान पर बेहद प्यार से कहें कि आप अभी-अभी काम से लौटी हैं। ऐसे में आप डिनर के बाद उसकी बात सुनेंगी और उसके बाद ही किसी नतीजे पर पहुंचेंगी।
हर वक्त फैसले ना थोपें
यह भारतीय पैरेंट्स की एक आम प्रवृत्ति होती है। वे सोचते हैं कि अगर वे बच्चे के लिए कोई फैसला लेते हैं, तो वह एकदम सही है। यकीनन आप अधिक अनुभवी हैं, लेकिन बच्चे के सामने सिर्फ अपना फैसला सुना देना किसी भी लिहाज से सही नहीं है। इससे बच्चे के मन में एक विद्रोह की भावना जन्म लेती है। (बच्चों पर सख्ती दिखाने की जगह करें ये काम)
ऐसे में वह आपकी रिस्पेक्ट नहीं करता है और फिर आपके बीच बातचीत नहीं, बल्कि बहस ही होती है। इसलिए, जब भी आप बच्चे के लिए कोई डिसिजन लेती हैं तो ऐसे में आप पहले उसकी इच्छाओं को भी जानने का प्रयास करें। साथ ही, अपनी राय उसके सामने रखें और उससे पूछें कि वह इसके बारे में क्या सोचता है। इस तरह जब बच्चे को किसी चर्चा का हिस्सा बनाया जाता है तो ऐसे में वह भी बेहद समझदारी से पेश आता है।
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तुरंत रिएक्ट करने से बचें
यह भी एक आसान तरीका है बहस को रोकने का। बहस वास्तव में आपके इम्पल्सिव बिहेवियर का परिणाम ही है। इसलिए जब आप बच्चे को किसी चीज के लिए ना कहती हैं और वह गुस्सा होता है। तो ऐसे में आप तुरंत रिएक्ट करने या फिर उस पर गुस्सा करने की जगह उसकी पूरी बात सुनें। जब बच्चा अपना पक्ष अपने पैरेंट्स के सामने रख देता है, तो वह खुद ब खुद काफी हद तक शांत हो जाता है। इसके बाद ही आप उसे अपना पक्ष समझाने की कोशिश करें। इस तरह के व्यवहार से सिचुएशन को बेहद स्मूथली हैंडल किया जा सकता है। (बच्चों की इन आदतों पर हमेशा रखें ध्यान)
तो अब आप भी इन टिप्स को अपनाएं और बच्चे के साथ बहस को एक बातचीत में तब्दील करें।
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