HerZindagi Heroine: खूबसूरती और टैलेंट की मिसाल थीं मधुबाला

खूबसूरती की मिसाल मधुबाला अपने समय की सबसे चर्चित एक्ट्रेस रहीं। पर्सनल लाइफ में ट्रेजेडीज के बावजूद उन्होंने सिल्वर स्क्रीन पर अपने एक्टिंग टैलेंट का ऐसा जादू पेश किया, जिसके लिए उन्हें हमेशा याद किया जाता रहेगा।

Saudamini Pandey

HerZindagi Heroine में हम बात करते हैं कुछ बेमिसाल एक्ट्रेसेस की, जिन्होंने काम के लिए अपने डेडिकेशन से हर किसी को इंस्पायर किया और जिन्हें हम सही मायने में हीरोइन कहना पसंद करेंगे। आज हम बात कर रहे हैं अपने समय की सबसे चर्चित और खूबसूरती की मलिका मधुबाला की। पूरब की वीनस कहलाने वाली मधुबाला ने इंडियन फिल्म इंडस्ट्री में अपनी खूबसूरती की अलग मिसाल कायम की, साथ ही उन्होंने अपने दमदार अभिनय की भी फैन्स पर गहरी छाप छोड़ी। मधुबाला के किरदार हमेशा के लिए हमारे जेहन में रह जाते हैं, फिर चाहें वो मधुबाला की शोखियां हों, उनका रोमांस हो या फिर उनकी ट्रेजेडी।

मधुबाला की एक्टिंग के बारे में चर्चित फिल्म मेकर मधुर भंडारकर ने कहा, 'मधुबाला एक ऐसी कलाकार रहीं, जिन्होंने वर्सेटाइल रोल किए। 1940 के दशक में उन्होंने काम की शुरुआत की और उनकी फिल्में 'मुगले आजम', 'हावड़ा ब्रिज' काफी अलग थीं। उनमें एक किस्म का चुलबुलापन और प्रतिभा ऐसी थी, जो कम कलाकारों में ही नजर आती है। खूबसूरत होने के साथ-साथ उनकी अभिनय क्षमता भी गजब की थी।'

मधुबाला की यादगार मुस्कुराहट के पीछे की दर्दभरी दास्तां

बचपन में एक ज्योतिषी ने मधुबाला के लिए कहा था कि बड़ी होकर ये बच्ची बहुत शोहरत, इज्जत और पैसा कमाएगी, लेकिन इसकी पर्सनल लाइफ में हमेशा दर्द और तकलीफ बनी रहेगी। यह बात हकीकत साबित हुई। 

अताउल्लाह खान की सबसे प्यारी बेटी थीं मधुबाला

11 बच्चों में पांचवें नंबर की संतान थीं मधुबाला और इसका वास्तविक नाम था मुमताज जहां देहलवी। पिता अताउल्लाह खान की जब तंबाकू फैक्ट्री से नौकरी चली गई तो पूरा परिवार मुंबई चला गया। ये दिन पूरे परिवार के लिए मुश्किलों भरे थे। मुंबई में हुए एक हादसे में उनकी बहनें और दो भाई मारे गए थे। मधुबाला का बाकी का परिवार इसलिए बच गया क्योंकि उस वक्त वे एक सिनेमा हॉल में फिल्म देख रहे थे। इस दौरान मधुबाला का घर भी तबाह हो गया और परिवार एक बार फिर भारी मुसीबत में आ गया। इसके बाद अताउल्लाह खान अपने सबसे प्यारी बेटी मुमताज को काम दिलाने के लिए स्टूडियो के चक्कर काटने लगे। और एक दिन बॉम्बे टॉकीज में मधुबाला को पहला ब्रेक मिल गया। फिल्म जर्नलिस्ट पराग छापेकर बताते हैं, 'उन्हें पसंद किया देविका रानी ने। जब उनकी नजर नन्हीं मुमताज पर पड़ी, तो उन्होंने ही नाम दिया 'मधुबाला'। बसंत और इसी तरह की कई फिल्में उन्होंने चाइल्ड आर्टिस्ट के तौर पर कीं। 

100 रुपये महीने के मेहनताने पर किया काम

बेबी मुमताज ने 9 साल की उम्र में फिल्म 'बसंत' में काम किया और इसके लिए उन्हें हर महीने 100 का मेहनताना दिया जाता था। इसके बाद 14 साल की उम्र में मधुबाला की फिल्म आई 'नील कमल', जिसमें उन्होंने लीड एक्ट्रेस के तौर पर काम किया। उनके साथ इस फिल्म में राज कपूर ने काम किया और उनकी भी यह पहली फिल्म थी। इस फिल्म में मधुबाला का नाम मुमताज ही था, लेकिन बाद की सभी फिल्मों में उन्होंने अपना स्क्रीन नेम मधुबाला ही रखा।  

जारी रहा सुपरहिट्स का सिलसिला

बॉम्बे टॉकीज की फिल्म महल से मधुबाला की कामयाबी की कहानी शुरू हुई। दिलचस्प बात ये है कि पहले इस रोल के लिए सुरैया को कास्ट किया जाना था, लेकिन जब डायरेक्टर ने मधुबाला का स्क्रीन टेस्ट देखा, तो उन्हें यह महसूस हुआ कि मधुबाला के अलावा यह रोल कोई और नहीं कर सकता। इसके बाद तो मधुबाला ने हिट फिल्मों की जैसे झड़ी ही लगा दी। उके समय के टॉप एक्टर्स शम्मी कपूर, राज कपूर, किशोर कुमार, देवानंद, अशोक कुमार, उस समय की टॉप एक्ट्रेसेस निम्मी, सुरैया या फिर टॉप डायरेक्टर्स के आसिफ, कमाल अमरोही, गुरुदत्त, सभी मधुबाला के साथ काम करना चाहते थे और उन्होंने किया भी। पराग छापेकर बताते हैं, 'मधुबाला एक परफेक्ट आर्टिस्ट थीं, आप उनकी ट्रेजेडी देख लें, उनका रोमांस देख लें, उनकी कॉमेडी की टाइमिंग देखें, ये वाकई गजब है। आप उनकी फिल्म 'चलती का नाम गाड़ी' देखें, जिसमें उनकी आंखों में एक किस्म की शरारत थी, नटखटपन था, उनकी नटखट मुस्कान थी। जिस तरह की पेयरिंग उनकी किशोर कुमार के साथ थी, कॉमेडी फिल्मों में उनकी जैसी टाइमिंग थी, वैसा दिखना बहुत रेयर है।'

 

 
Disclaimer