आपने तस्वीरों या मूर्तियों में भगवान शिव की तीसरी आंख जरूर देखी होगी। पुराने जमाने के लोग यह मानते थे कि इंसान के पास 3 आंखें हुआ करती थीं, जिसे जगाने की आवश्यकता पड़ती थी। हिंदू धर्म में भगवान शिव के पास तीन आंखें दिखाई गई हैं, इसके अलावा यूरोप में भी ऐसी कहानियां प्रचलित हैं, जिनमें मनुष्य की तीसरी आंख का जिक्र किया गया है।
क्या है तीसरी आंख का कॉन्सेप्ट?
इंसान के शरीर में कई सारे ग्लैंड होते हैं, उनमें से कुछ ग्लैंड आपके ब्रेन में भी मौजूद होते हैं। पीनियल ग्लैंड उन ग्लैंड में से एक है, यह ग्लैंड ब्रेन के दोनों हिस्सों के बीच में पाया जाता है। इसे पीनियल इस कारण कहा जाता है क्योंकि यह ग्लैंड आकार में पाइन कोन यानी अन्ननास की तरह दिखता है। इसके अलावा इस ग्रंथि यानी ग्लैंड से ही सेरोटोनिन से निकला हुआ मेलाटोनिन हार्मोन रिलीज होता है। बता दें कि यह हार्मोन हमारे सोने-जागने और एक्टिवनेस को भी प्रभावित करता है।
इंसान कभी नहीं कर पाता इस ग्लैंड का पूरा इस्तेमाल-
माना जाता है कि इंसान इस ग्लैंड का पूरा इस्तेमाल कभी भी नहीं कर सकता है। इसके साथ ही ऐसा माना जाता है कि यह ग्लैंड इंसानी जीवन और स्पिरिचुअल जीवन के दोनों को एक दूसरे से जोड़ने का काम करता है। जब ये ग्लैंड एक्टिव होते हैं, तब इंसान बहुत ज्यादा खुश हो जाता है। इतना ही नहीं उस समय ऐसा महसूस होता है कि इंसान को सारा ज्ञान मिल गया है, ग्लैंड के एक्टिव होने के बाद से ही मनुष्य के दिमाग में एक अलग प्रकार की फुर्ती आ जाती है।
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योग और मेडिटेशन की मदद से एक्टिव होते हैं ये ग्लैंड्स-
इस ग्लैंड को एक्टिव करने के लिए इंसान को योग और मेडिटेशन जैसी चीजें करनी पड़ती हैं। जब लोग इन चीजों को रेगुलर फॉलो करने लगते हैं, तो धीरे-धीरे पीनियल एक्टिव होने लगते हैं, जिससे इंसान को एक्टिव महसूस होता है।
आंखों की तरह ही होता है पीनियल ग्लैंड-
जैसे आंखों में रॉड और कोन्स होते हैं, बिल्कुल उसी तरह इंसान दिमाग में यह ग्लैंड पाया जाता है। बता दें कि आंखों की तरह इस ग्लैंड्स भी रोशनी को आर-पार हो सकती है। इससे निकलने वाला मेलाटोनिन हार्मोन शरीर को रोशनी के प्रति एक्टिव करता है। अगर पीनियल में पाए जाने वाला सेरोटोनिन हार्मोन कम बनता है, तो ऐसे में इंसान शिकार भी हो सकता है।
माइथॉलजी के मुताबिक इंसान के पास होती है तीसरी आंख-
माना जाता है कि इंसानी भ्रूण में ये ग्लैंड 49 दिनों के बाद बनने लगते हैं। तिब्बत के बौद्ध धर्म के लोग यह मानते हैं कि 49 दिनों में इंसान की आत्मा एक शरीर को त्याग कर दूसरे शरीर में जाती है। मॉर्डन वैज्ञानिकों का भी यही मानना है कि पुराना अंग कई बार खत्म होते-होते पीनियल ग्लैंड का रूप बन जाता है।
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जानवरों में भी पाया जाता है ये ग्लैंड-
केवल इंसान ही नहीं बल्कि कई रेंगने वाले जानवरों में भी यह ग्लैंड मौजूद होता है। बता दें कि कुछ जानवरों कें पीनियल ग्लैंड में आंख की तरह कॉर्निया, लेंस और रेटीना भी पाया जाता है। हालांकि यह ग्लैंड आंखों से काफी अलग होता है क्योंकि यह खोपड़ी के नीचे मौजूद होता है, इस ग्लैंड की मदद से जानवर दिन और रात के बीच का अंतर समझ पता कर पाते हैं। इस ग्रंथि की मदद से ही जानवरों को सीजन बदलने का पता चलता है।
माइथोलॉजी में इस ग्रंथि का मिलता है जिक्र-
- साइंटिफिक के अलावा माइथोलॉजी में भी तीसरी आंख का जिक्र मिलता है। हिंदू सभ्यता की मानें तो भगवान शिव की तीसरी आंख देखने को मिलती है।
- इजिप्ट की सभ्यता में दो सांपों को पाइन कोन पर मिलते हुए दिखाया गया है।
- मैक्सिको देश के भगवान चिकोमेकोआती भी हाथ में पाइन कोन लेकर खड़े हैं।
- ऐसा माना जाता है कि पूंछ की तरह ही मनुष्य के पास पहले तीसरी आंख भी हुआ करती थी। मगर मनाव शरीर में आए बदलाव के चलते यह तीसरी आंख लुप्त हो गई, जो कि एक ग्लैंड के रूप में नजर आती है।
तो ये थी मनुष्य के तीसरी आंख से जुड़ी इंटरेस्टिंग बातें, जिनके बारे में आपको जरूर जानना चाहिेए। आपको हमारा यह आर्टिकल अगर पसंद आया हो तो इसे लाइक और शेयर करें, साथ ही ऐसी जानकारियों के लिए जुड़े रहें हर जिंदगी के साथ।
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