हिंदू धर्म में धनतेरस का पर्व दिवाली के त्यौहार की शुरुआत के रूप में जाना जाता है। हर साल कई लोग धनतेरस पर लोग पूजा को विधि-विधान के साथ करते हैं। इस दिन माता लक्ष्मी का पूजन विशेष होता है। इस साल धनतेरस का पर्व कार्तिक मास में 22 अक्टूबर को मनाया जाएगा।
आपको बता दें कि कई लोग धनतेरस पर व्रत भी रखते हैं। इस व्रत को पूर्ण रूप से संपन्न धनतेरस की व्रत कथा से किया जाता है। इस लेख में हम आपको धनतेरस व्रत कथा बताएंगे और इसका महत्व भी बताएंगे।
धनतेरस पर क्यों रखते हैं व्रत?
धनतेरस पर व्रत रखने का महत्व बहुत अधिक होता है। ज्यादातर लोग लक्ष्मी माता के साथ-साथ धनतेरस पर कुबेर जी, धन्वंतरि देव व यमराज जी का पूजन भी करते हैं। कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन हर वर्ष धनतेरस पर व्रत रखा जाता है।
आपको बता दें कि इस तिथि को धनत्रयोदशी के नाम से जाना जाता है। धनतेरस पर व्रत रखने से घर में धन की कमी नहीं होती है। आपको बता दें कि इस दिन खरीदारी करने को बहुत शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन सोना, चांदी या बर्तन आदि खरीदने से घर में सुख और सौभाग्य का आगमन होता है। इस व्रत को रखने से संपत्ति में वृद्धि भी होती हैं।
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धनतेरस की व्रत कथा
एक बार भगवान विष्णु जी और लक्ष्मी माता पृथ्वी लोक पर घूम रहे थे। विष्णु जी किसी काम से दक्षिण दिशा की ओर चले गए और लक्ष्मी माता को वहीं पर रूकने के लिए कहा। इसके बाद बहुत समय जब बीत गया तब माता लक्ष्मी भी उनके पीछे जाने लगी। कुछ दूर पर उन्हें गन्ने का खेत दिखा।
माता लक्ष्मी ने एक गन्ना तोड़ा और उसे चूसने लगी। जब भगवान विष्णु जी ने माता को गन्ना चूसते हुए देखा तो बहुत क्रोधित हुए और माता को श्राप देते हुए कहा कि 'तुम जिस किसान के खेत में से गन्ना तोड़कर चूस रही हो। उसका भार उतारने के लिए तुम्हें उस किसान के घर 12 सालों तक सेवा करनी होगी।'
इसके बाद माता लक्ष्मी को उस किसान के घर पर 12 सालों तक सेवा करनी पड़ी और इन 12 सालों में किसान धन और समृद्धि से पूर्ण हो गया। 12 सालों के बाद विष्णु जी जब लक्ष्मी जी को लेने आए तो उसने विष्णु जी को रोक दिया।
इसपर विष्णु जी ने उसके परिवार को गंगा स्नान करके आने को कहा और कौड़ियां को गंगा को अर्पित करने के लिए बताया। उन्होंने कहा कि तुम यह कार्य करके जब आओगे तब भी हम यहीं होंगे। फिर जब किसान ने गंगा में कौड़ियां डाली तो गंगा माता बाहर निकल आयी और उसे बताया कि तुम जल्दी वापस जाओ वरना लक्ष्मी तुम्हारे घर से वापस चली जाएगी।
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जब किसान वापस आया तो उसने विष्णु जी से जाने के लिए माना किया। तभी लक्ष्मी माता ने बताया कि उन्हें श्राप के कारण 12 सालों के लिए उसके घर पर रहने पड़ा था। अगर वह हमेशा के लिए उन्हें अपने घर पर चाहता है तो धनतेरस पर उनकी पूजा और व्रत को करें। किसान ने पूरी निष्ठा के साथ धनतेरस पर व्रत किया और फिर लक्ष्मी से उसका घर संपन्न हो गया।
लक्ष्मी माता की जय!
धनतेरस की ये कथा आपके जीवन में धन और समृद्धि का वरदान और जीवन में खुशियां प्रदान करेगी। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें। इसी तरह के अन्य रोचक लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ।
Image credit- amazon/herzindagi
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