हिंदू धर्म में सभी एकादशी तिथियों का विशेष माहात्म्य बताया गया है। पूरे साल में 24 एकादशी तिथियां होती हैं जिनमें एक महीने में दो एकादशी तिथियां पड़ती हैं। सभी एकादशी तिथियों में विष्णु जी का पूजन करने का विशेष महत्व है। इन्हीं एकादशी तिथियों में से एक प्रमुख है आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष में होने वाली देवशयनी एकादशी। इस एकादशी तिथि को सभी तिथियों में श्रेष्ठ बताया गया है और ऐसी मान्यता है कि इस जिन का पूजन विशेष रूप से फलदायी होता है।
ऐसी मान्यता है कि इस एकादशी तिथि के दिन से विष्णु भगवान् पाताल लोक में शयन करने चले जाते हैं। इसी वजह से इस एकादशी को देवशयनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार इस दिन से भगवान विष्णु समेत अन्य देवता भी निद्रा में चले जाते हैं और सृष्टि का संचालन भगवान् शिव के हाथों में आ जाता है। इसलिए ही देवशयनी एकादशी के बाद से सावन के महीने की शुरुआत होती है। आइए ज्योतिर्विद पं रमेश भोजराज द्विवेदी जी से जानें कि इस साल कब है देवशयनी एकादशी, पूजा का शुभ मुहूर्त और महत्त्व।
देवशयनी एकादशी की तिथि और शुभ मुहूर्त
- इस साल आषाढ़ के महीने में देवशयनी एकादशी 10, जुलाई, रविवार के दिन पड़ेगी।
- देवशयनी एकादशी तिथि आरंभ- 9 जुलाई, शनिवार सायं 4 बजकर 39 मिनट से
- देवशयनी एकादशी तिथि का समापन- 10 जुलाई, रविवार दोपहर 2 बजकर 13 मिनट पर
- उदया तिथि के अनुसार देवशयनी एकादशी का व्रत 10 जुलाई को रखा जाएगा।
- देवशयनी एकादशी व्रत का पारण- 11 जुलाई, सोमवार, प्रातः 5 बजकर 56 मिनट से 8 बजकर 36 मिनट तक।
देवशयनी एकादशी का महत्व
हिन्दुओं में ऐसी मान्यता है कि देवशयनी एकादशी से चातुर्मास शुरू होता है। इस एकादशी तिथि में भगवान् विष्णु जी की विशेष पूजा की जाती है जिससे समस्त मनोकामनाओं पूरी हो सके। धर्म शास्त्रों में ऐसा माना जाता है कि इस दिन से भगवान विष्णु देव निद्रा में चले जाते हैं और सृष्टि का सम्पूर्ण भार शिव जी के हाथों में आ जाता है। इस दिन से लगभग 4 महीने तक यानी देव उठानी एकादशी तक मंगल कार्यों को करने की मनाही होती है। ऐसा माना जाता है कि एकादशी के दिन से ही शिव पूजन करना विशेष रूप से फलदायी होता है। चूंकि देवशयनी एकादशी से चातुर्मास का आरम्भ होता है। इसलिए इस दिन विष्णु जी का पूजन विशेष लाभकारी माना जाता है।
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कैसे करें देवशयनी एकादशी में पूजन
- देवशयनी एकादशी के दिन यदि आप व्रत करते हैं तो प्रातः जल्दी उठकर स्नान ध्यान से मुक्त होकर साफ़ वस्त्र धारण करें।
- घर के मंदिर की सफाई करें और सभी भगवानों को स्नान कराएं। एकादशी व्रत का संकल्प करें।
- एक चौकी पर भगवान विष्णु की और माता लक्ष्मी की मूर्तिस्थापित करें और पूजन करें।
- विष्णु जी को प्रसाद अर्पित करें जिसमें तुलसी दल अवश्य रखें।
- भगवान विष्णु को धूप,दीप, नैवेद्य समर्पित करके विष्णु जी और माता लक्ष्मी की आरती करें।
- पूरे दिन फलाहारी व्रत करें और अगले दिन व्रत का पारण करें।
कहा जाता है कि देवशयनी एकादशी के दिन विष्णु पूजन अत्यंत फलदायी होता है और ऐसा करने से विशेष फलों की प्राप्ति होती है। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें व इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ।
Image Credit: freepik and pinterest
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