दिवाली के बाद पूरे देश में छठ पर्व की धूम रहती है। पूर्वी भारत में इस त्योहार का विशेष महत्व है। इसकी शुरुआत बिहार में हुई थी लेकिन अब यह देश ही नहीं, बल्कि दुनियाभर में फेमस हो गया है। छठ पर घर-परिवार के लोग एक-साथ इकट्ठा होते हैं और एक-साथ मिलकर भगवान सूर्य की पूजा करते हैं। पूरे विधि-विधान के साथ सूर्य देवता को अर्घ्य दिया जाता है। हिंदी कैलेंडर के अनुसार कार्तिक मास की चतुर्थी से सप्तमी तिथि तक यह पर्व चलता है। चार दिन तक चलने वाले इस त्योहार के लिए अच्छी-खासी तैयारियां होती है।
शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से शुरू होने वाले इस पर्व को छठी माई, सूर्य षष्ठी और छठी माई पूजा जैसे नामों से भी जाना जाता है। तन-मन की शुद्धि के साथ यह व्रत किया जाता है। इसकी शुरुआत नहाय खाय से होती है। इस दिन व्रत करने वाले नए कपड़े पहने जाने का विधान है। इस दिन शुद्ध सात्विक भोजन किया जाता है। इस दिन चने की दाल और लौकी की सब्जी खाए जाने का विधान है। नहाय खाय के बाद दूसरे दिन खरना होता है। इस दिन दिनभर व्रत रखने के बाद शाम में व्रती गुड़ वाली खीर खाते हैं और परिवार के सदस्यों में भी यह प्रसाद दिया जाता है। तीसरे दिन डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है और छठ पर्व में इसका विशेष महत्व है। चौथा दिन इस पर्व के समापन का दिन होता है और इस दिन उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। हर दिन किस तरह से पूजा संपन्न होती है, यह जानने में महिलाओं की विशेष उत्सुकता होती है। अगर आप इस पर्व पर विधि-विधान के बारे में विस्तार से जानना चाहते हैं तो देखिए हमारा ये विशेष वीडियो।