छठ पूजा का त्यौहार हमारे देश में मुख्य त्यौहारों में से एक है। इस त्यौहार को हर साल कई सारे लोग विधि-विधान के साथ करते हैं। कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को छठ का त्यौहार मनाया जाता है। छठ का पर्व चार दिनों तक चलता है और इस पर्व को धूमधाम के साथ मनाया जाता है।
वैसे तो हर त्यौहार के पीछे पौराणिक कथाएं भी होती हैं। छठ का त्यौहार महाभारत में भी मनाया गया था। इस लेख में हम आपको बताएंगे कि कैसे द्रौपदी ने छठ का त्यौहार मनाया था और छठ मनाने के पीछे क्या कारण था।
क्यों मनाते है छठ का त्योहार?
सबसे पहले आपको बता दें कि छठ का त्यौहार सूर्य देव की उपासना और छठी मईया की पूजा के लिए होता है। मान्यताओं के अनुसार परिवार की सुख-समृद्धि और मनोवांछित फल प्राप्ति के लिए छठ पर्व मनाया जाता है। इसका एक अलग ऐतिहासिक महत्व भी है।
माना जाता है कि सूर्य देव और छठी मईया का संबंध भाई-बहन का है। इसलिए छठ के मौके पर सूर्य की आराधना फलदायी मानी जाती है। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार छठ पर महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं और इससे यश, समृद्धि और पुत्र के दीर्घायु की कामना करती हैं।
इस दिन छठ माता की पूजा से शुभ फल की प्राप्ति होती है और परिवार में कार्य सिद्धि भी होती है। आपको बता दें कि कई महिलाएं छठ पर इस वजह से भी व्रत रखती हैं ताकि उन्हें संतान प्राप्ति हो और परिवार को प्रसिद्धि मिलें।
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क्यों किया था द्रौपदी ने महाभारत में व्रत?
आपको बता दें कि महाभारत के अनुसार इस पर्व को सबसे पहले सूर्यपुत्र कर्ण ने सूर्य की पूजा करके शुरू किया था। जिसके बाद सूर्य की कृपा और आशीर्वाद से ही वह महान योद्धा बने थे। सूर्यपुत्र कर्ण ने सूर्य की पूजा को पूर्ण रूप से शुरू से किया था।
ऐसा माना जाता है कि कर्ण भगवान सूर्य के परम भक्त थे और वो रोज घंटों तक पानी में खड़े होकर उन्हें अर्घ्य देते थे। इसके अलावा यह व्रत द्रौपदी ने तब किया था जब पांडव अपना सारा राजपाट महाभारत में चल रहे जुए में हार गए थे। तब द्रौपदी ने यह व्रत किया था और द्रौपदी ने यह मनोकामना मांगी थी कि सारा राजपाट पांडवों को वापस मिल सकें।
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इसके व्रत के बाद उनकी मनोकामनाएं पूर्ण हुई थी। माना जाता है कि कुंती ने भी छठ पर पूजा की थी और छठी मइया और सूर्य देव की पूजा की थी।
तो यह थी छठ पूजा से जुड़ी हुई जानकारी।
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image credit- flickr/flipkart
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