हिंदू धर्म में नवरात्रि के पर्व का विशेष महत्व है। इस पर्व के नौ दिनों में माता दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों का पूजन किया जाता है। मुख्य रूप से साल में दो बार नवरात्रि मनाई जाती है जिसमें से चैत्र महीने की और अश्विन महीने की शारदीय नवरात्रि प्रमुख होती हैं।
इनमें से चैत्र नवरात्रि का अपना अलग महत्व है। चैत्र नवरात्रि को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक कहा जाता है और यह राक्षस महिषासुर पर माता दुर्गा की जीत का प्रतीक मानी जाती है। इस दौरान मुख्य रूप से कलश स्थापना करने का विधान है और इस कलश में नौ दिनों तक अखंड ज्योति प्रज्वलित की जाती है।
ऐसा माना जाता है कि कलश यदि विधि -विधान से स्थापित किया जाता है तो पूरे साल घर में समृद्धि बनी रहती है। इस कलश में मुख्य रूप से अक्षत, नारियल और सिक्का रखा जाता है। हममें से कई लोग कलश स्थापना की विधि तो जानते हैं, लेकिन ये नहीं जानते हैं कि नवरात्रि के पूजन के बाद कलश में रखे हुए नारियल और चावल का क्या करना चाहिए। आइए ज्योतिषाचार्य एवं वास्तु विशेषज्ञ डॉ आरती दहिया जी से इसके बारे में विस्तार से जानें।
नवरात्रि में क्यों की जाती है कलश स्थापना
नवरात्रि पूजन के समय कलश स्थापना पूजा का ही एक हिस्सा माना जाता है। कलश के माध्यम से भक्त माता दुर्गा का आह्वान करते हैं और उनके घर में विराजने की प्रार्थना करते हैं। ऐसा माना जाता है कि कलश स्थापना पूजा शुरू करने का संकल्प है और काम को सफलतापूर्वक पूरा करने का संकेत है। कलश स्थापना में मुख्य रूप से नारियल रखा जाता है और यदि ऐसा नहीं कलश स्थान को अधूरा माना जाता है।
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नवरात्रि में कलश स्थापना कैसे की जाती है
नवरात्रि में कलश स्थापना के लिए सबसे पहले एक मिट्टी का साफ़ प्याला लिया जाता है और इसके भीतर अक्षत समेत सात अनाज डाले जाते हैं। कलश के नीचे रखे बर्तन में मिट्टी डालकर उसमें जौ बोया जाता है और कलश में कलावा बांधा जाता है। कलश के ऊपर हमेशा नारियल रखा जाता है। नारियल को बहुत ही शुभ माना जाता है और इसे शास्त्रों में श्रीफल कहा जाता है जो माता लक्ष्मी का प्रिय फल है।
नवरात्रि के नौ दिनों का पारण जरूरी है
ज्योतिषाचार्य डॉ आरती दहिया जी बताती हैं कि माता दुर्गा की आराधना का पर्व चैत्र नवरात्रि से शुरू होता है। ऐसे में सभी के मन में ये सवाल आता है कि नौ दिनों की पूजा के बाद कलश पर रखे नारियल और चावल का क्या करना चाहिए। नवरात्रि का समापन महाष्टमी और नवमी तिथि के दिन होता है। ऐसी मान्यता है कि नवरात्रि का सही तरह से पारण करना बहुत ज़रूरी होता है। तभी उसका सही फल मिलता है।
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कलश के नीचे रखे चावल का क्या करें
जब हम माता का कलश रखते हैं तब उसके नीचे चावल रखना जरूरी माना जाता है और पूजन के बाद इस चावल के कुछ दानों को पूरे घर में छिड़क देना चाहिए। दरअसल ये चावल आपकी समृद्धि का प्रतीक माने जाते हैं और घर की आर्थिक स्थिति ठीक रखते हैं।
घर के हर एक कोने में चावल छिड़कने से नकारात्मक ऊर्जा दूर भागती है और खुशहाली बनी रहती है। चावल के कुछ दाने अपने पर्स में रखें और कुछ को अनाज के साथ मिल दें, इससे कभी भी अन्न-धन की कमी नहीं होती है। बचे हुए चावल को माता दुर्गा की मूर्ति के साथ विसर्जित कर दें।
कलश में रखे नारियल का क्या करें
कलश पर हम जिस नारियल की स्थापना करते है उसे अष्टमी या नवमी तिथि पर कन्या पूजन पर प्रसाद के रूप में बांट देना चाहिए और इसका प्रसाद पूरे घर के सदस्यों में वितरित कर दें।
कलश में रखे हुए नारियल और चावल का विशेष महत्व है इसलिए पूजन के बाद इसका इस्तेमाल यहां बताए नियमों के अनुसार ही करें। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर शेयर और लाइक जरूर करें। इसी तरह और भी आर्टिकल पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से। अपने विचार हमें कमेंट बॉक्स में जरूर भेजें।
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