21वीं सदी में लड़कों की तरह आजाद होने या लड़कों से आगे निकलने की होड़ किन्हीं-किन्हीं देशों में जिद से आगे बढते हुए... सज़ा के तौर पर बनते जा रही है।
हम काम करना चाहते हैं। पैसे कमाना चाहते हैं। आर्थिक तौर पर independent बनाना चाहते हैं...
क्यों?
क्योंकि हम आजादी से सांस ले सकें। आगे बढ़ सकें। अपने लिए जी सकें।
लेकिन, कुछ देश ऐसे भी हैं जहां ये चलन बहुत पहले से है, किंतु सजा की तरह। यह तस्वीर आपको पहली नजर में पुरुष की तरह लगेगी... लेकिन असल में ये एक महिला की तस्वीर है जो पुरुष की तरह कपड़े भी पहनती है और उनकी तरह जिंदगी भी जीती है। और ये कहानी केवल इस लड़की की नहीं है, बल्कि अल्बानिया के पहाड़ों में रहने वाली अधिकतर लड़कियों की है। लड़कियों के इस तरह रहने के तरीके का तो बकायदा एक नाम भी है, वो है - 'बर्नेशा'।
1अल्बानिया का कानून

'बर्नेशा' अल्बानिया की प्रथा है। अल्बानिया के पहाड़ों का एक कानून है कि परिवार की सत्ता केवल पुरुषों के हाथों में होगी और महिलाएं उनकी निजी संपत्ति या गुलाम बनकर रहेगी। यहां महिलाओं को इंसान नहीं, संपत्ति समझा जाता है जो पूरी तरह से पुरुषों पर निर्भर होती हैं। महिलाओं का इतना भी अधिकार नहीं होता है कि वो अपनी जमीन या फिर कोई अपना खुद का कोई काम कर सके।
2अधिकार पाने के लिए बनना पड़ता है 'बर्नेशा'

ऐसे में अगर किसी महिला को अधिकार चाहिए होते हैं तो उन्हें एक अजीब तरह की परंपरा निभानी होती है। इस परंपरा को 'बर्नेशा' कहते हैं जिसमें महिलाएं पुरुष बनने की शपथ लेती हैं।
यह शपथ लेने के बाद महिलाएं जिंदगी भर के लिए पुरुषों की तरह रहने लगती है। वो भी केवल कपड़ों से ही नहीं बल्कि रहन-सहन और चाल-ढाल में भी पुरुषों की तरह ढल जाती हैं। बर्नेशा की शपथ के बाद महिलाएं पुरुषों की तरह ही काम करती हैं, उनकी तरह ही बोलती, चलती, खाती और घर की जिम्मेदारियां उठाती हैं। इस शपथ के बाद अल्बानिया की महिलाएं पुरुषों की तरह आजाद तो हो जाती हैं लेकिन इस आजादी की एक बहुत बड़ी कीमत भी उन्हें चुकानी पड़ती है।
3स्वॉर्न वरजिन्स

'बर्नेशा' बनने की इस शपथ के बाद उन्हें हमेशा का लिए ब्रह्मचर्य (virginity) का पालन करना होता है। इस कारण इन्हें 'स्वॉर्न वरजिन्स'(sworn virgins) भी कहते हैं।
4नहीं है कोई उम्र

'बर्नेशा' बनने की कोई तय उम्र नहीं है। कोई भी महिला किसी भी उम्र में 'बर्नेशा' बन सकती है और तब से ही उसे 'बर्नेशा' के नियम follow करने होते हैं। 'बर्नेशा' की शपथ के बाद महिला कोई भी पुरुष वाला नाम रख लेती है। इसके बाद वो सिगरेट भी पी सकती हैं और शराब भी। मतलब वो हर काम कर सकती हैं जो पुरुष करते हैं। इसके बाद वो परिवार की मुखिया भी बन जाती हैं।
5परिवार के लिए चुनती हैं ये जीवन

वहां की महिलाओं को मालुम है कि 'बर्नेशा' का जीवन काफी मुश्किल है लेकिन फिर भी महिलाएं ये जीवन पुरुषप्रधान समाज से आजादी और अपने परिवार की सेफ्टी के लिए चुनती हैं। क्योंकि इनके सोसाइटी में महिलाओं की शादी किसी से भी करवा दी जाती है वो भी बिना उनसे पूछे और उन्हें बताए। कई बार तो इन्हें बेच भी दिया जाता है। घर-परिवार और संपत्ति में महिलाओं का किसी तरह का हक नहीं होता। ऐसे में पति के गुजर जाने और संपत्ति बचाने व परिवार को चलाने के लिए वहां की महिला 'बर्नेशा' बन जाती हैं।
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एक वाक्य में कहें तो, 'बर्नेशा' मतलब पुरुषों की तरह रहने के लिए प्रतिबद्ध।
क्या मजाक है।