साल 2013 बैच की आईएएस अधिकारी डॉक्टर सैयद सहरीश असगर और पीडी नित्या इन दिनों कश्मीर घाटी में तैनात है। नित्या और असगर ही सिर्फ दो ऐसी महिला अधिकारी हैं जिन्हें फिलहाल में घाटी में तैनात किया गया है। बाकी महिला अधिकारियों को जम्मू या लद्दाख में तैनात किया गया है।
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डॉक्टर सैयद सहरीश असगर साल 2013 बैच की आईएएस अधिकारी है लेकिन शायद उन्होंने कभी यह सोचा नहीं होगा कि उनको एक नई और महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंप दी जाएगी। उनकी नियुक्ति जम्मू-कश्मीर प्रशासन में सूचना निदेशक के पद पर हुई है। लेकिन कश्मीर में धारा 370 हटने और राज्य के विभाजन के बाद अब उनका काम क्राइसिस मैनेजमेंट का हो गया है।
असगर का काम कश्मीर घाटी में अपने प्रियजनों से हजारों किलोमीटर दूर बैठे लोगों की उनसे फोन पर बात कराने या उन्हें डॉक्टरों से मिलवाने है। वैसे तो उनकी मुख्य भूमिका लोगों को सरकारी योजनाओं की सूचना देना है। लेकिन पिछले 8-10 दिनों से वो लोगों की परेशानियों को हल कर रही हैं।
उन्हीं की तरह श्रीनगर में 2016 बैच की आईपीएस अधिकारी पीडी नित्या भी तैनात हैं। वह एक केमिकल इंजीनियर हैं जो धाराप्रवाह कश्मीरी और हिंदी बोल लेती हैं। इसके अलावा वह तेलुगू भी अच्छी तरह से बोल लेती हैं। उनको राम मुंशी बाग और हनव दागजी गांव के क्षेत्रों को देखने की जिम्मेदारी दी गई है। चालीस किलोमीटर के इस संवेदनशील क्षेत्र में डल झील का क्षेत्र और राज्यपाल का आवास आता है। साथ ही यहीं पर स्थित इमारतों में वीआईपी लोगों को भी हिरासत में रखा गया है। शहनाज हुसैन: महिलाओं को अपनी क्षमता और ताकत को समझना होगा।
असगर के बारे में बता दें कि उनका 1 साल बेटा हैं। असगर एबीबीएस डॉक्टर हैं और वह जम्मू में प्रैक्टिस कर चुकी हैं लेकिन अपनी प्रैक्टिस छोड़कर उन्होंने आईएएस की परीक्षा दी थी। एक इंटरव्यू उन्होंने बताया कि, "एक डॉक्टर होने के नाते मैं मरीजों का इलाज कर रही थी। लेकिन आज घाटी की चुनौतियां अलग हैं। इसमें कड़ाई और नरमी एक साथ चाहिए।" उन्होंने आगे कहा, "मुझे खुशी होगी अगर महिलाएं समाज में बदलाव ला पाएंगी।" उनके पति पुलवामा जैसे संवेदनशील क्षेत्र के कमिश्नर हैं। लीजा रे की किताब से सीखिए, कैसे जिएं जिंदगी और खुद से करें प्यार।
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वहीं, छत्तीसगढ़ की रहने वाली 28 साल की नित्या के लिए चुनौतियां ज्यादा बड़ी हैं। इससे पहले उन्होंने एक सीमेंट कंपनी में प्रबंधक के तौर पर काम किया था। नेहरू पार्क के उप-विभागीय पुलिस अधिकारी नित्या ने कहा, "लोगों को सुरक्षित करने के अलावा मुझे वीवीआइपी लोगों की सुरक्षा की देखरेख भी करनी होती है। यह छत्तीसगढ़ की मेरी जिंदगी से काफी अलग है।" उन्होंने बताया कि उन्हें कई बार गुस्साए लोगों का सामना करना पड़ता है। जिसमें रिटेल व्यापारी से लेकर निजी स्कूल के अध्यापक तक शामिल होते हैं। आगे उन्होंने कहा, "मैं छत्तीसगढ़ के दुर्ग से हूं जहां हमेशा शांतिपूर्ण माहौल रहता है। लेकिन मुझे चुनौतियां पसंद हैं।" विंग कमांडर अनुपमा जोशी से जानें बंधनों से आजादी पाने के लिए मेहनत और आगे बढ़ने के तरीके।