ज्यादातर भारतीय महारानी लक्ष्मीबाई की वीरता और साहस से तो परिचित हैं लेकिन बहुत कम से लोग है जो रानी नायकी देवी को जानते है। आज के इस आर्टिकल में हम आपको गुजरात की वो रानी के बारे में बताने वाले है जिसकी वीरता ने मोहम्मद गोरी को भागने पर मजबूर कर दिया था।
शादी के बाद हुई पति की मृत्यु
वीरांगना रानी नायकी देवी कदम्ब शासक महामंडलेश्वर परमादी की बेटी थीं। बता दे कि वह रहने वाली गोवा की थीं और उनका विवाह गुजरात के चालुक्य राजा अजय पाल से हुआ था। शादी के कुछ साल के बाद ही अजय पाल की मृत्यु हो गई।
रानी नायकी देवी ही संभालती थी राज्य का कमान
अजय पाल की मृत्यु होने के बाद राज्य की कमान उनके बेटे मूलराज द्वितीय को मिलीं। मगर बेटे की उम्र कम होने के कारण राज्य का सारा काम रानी नायकी देवी ही संभाला करती थी।
मोहम्मद गोरी ने किया था हमला
मोहम्मद गोरी ने पृथ्वीराज चौहान को तराइन के दूसरे युद्ध में हरा कर 1192 ईस्वी में दिल्ली सल्तनत की नींव रखी। बता दे कि दिल्ली में कब्जा करने से पहले उन्होंने भारत पर की बार आक्रमण किया था। ऐसा ही एक हमला उसने 1178 ईस्वी में गुजरात का अन्हिलवाड़ पाटन पर करने की कोशिश की।
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अन्हिलवाड़ पाटन पर करना चाहती थी राज
राजा अजय पाल को मौत के बाद मोहम्मद गोरी को लगा था कि अब अन्हिलवाड़ पाटन पर कब्जा करना बेहद आसाना होगा। क्योंकि, एक औरत और बच्चा उसका कुछ नहीं कर पाएंगे। इसी गलतफहमी को अपने दिमाग में डालकर उन्होने अन्हिलवाड़ पाटन पर हमला किया।राजा की बेटी नायकी देवी तलवारबाजी, घुड़सवारी जैसे अन्य सभी विषयों में अच्छी तरह से प्रशिक्षित थीं। उन्हें जैसे ही मोहम्मद गोरी के मंसूबों के बारे में पता चला वह फौरन तैयार हो गई।
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रानी नायकी देवी की सेना नहीं थी तैयार
रानी नायकी देवी को मालूम था कि उनकी सेनी की तैयारियां काफी नहीं है। इसलिए उन्होंने दुश्मन को कमजोर करने का सोचा। इसके लिए उन्होंने गदरघट्टा को जंग का मैदान चुना। ये माउंट आबू की तलहटी पर स्थित एक उबड़-खाबड़ इलाका था।
जंग का मैदान छोड़कर भागी थी गोरी
खास बात ये थी की रानी नायकी अपने बेटे मूलराज द्वितीय को भी साथ लेकर आईं थी। इस जंग में रानी और गोरी के बीच भयंकर युद्ध हुआ था। चालुक्य सेना ने जिस उबड़-खाबड़ इलाके को चुना, उसका उन्हें फायदा मिला। गोरी को बुरे तरीके से इस जंग में हार मिला और उसे जंग का मैदान छोड़कर भागना पड़ा।
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Image Credit: Freepik
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