अक्सर ऐसा होता है कि महिलाएं घर के किसी फंक्शन में, ऑफिस में काम करते हुए या बाहर कहीं पार्टी में वेजाइनल डिस्चार्च से आने वाली बदबू के कारण असहज महसूस करने लगती हैं। कई बार डिस्चार्च से स्मेल नहीं आती, लेकिन उसके कारण वेजाइना में होने वाली खुजली और जलन से बुरा हाल हो जाता है। जानी-मानी गायनेकोलॉजिस्ट रेनू मलिक से आइए जानें कि वेजाइनल डिस्चार्ज में किन वजहों से बदबू आती है और उनके लिए क्या उपाय किए जाते हैं-
तीन तरह के होते हैं डिस्चार्ज
महिलाओं में मोटे तौर पर तीन तरह के डिस्चार्ज होते हैं। सबसे ज्यादा आम डिस्चार्ज है वल्वो वैजाइनल कैंडिडाइटिस, जो वैजाइना में इन्फेक्शन से होता है। दूसरी तरह का डिस्चार्ज है ट्राइकोमोनल वैजिनाइटिस और तीसरी बैक्टीरियल वैजिनोसिस। वैजाइना में फ्लोरा होते हैं, जो पीएच नॉर्मल रखने में मदद करते हैं। इनमें बदलाव आने पर खराब बैक्टीरिया की संख्या बढ़ने लगती है। ट्राइकोमोनस वेजिनालिस और बैक्टीरियल वैनिनोसिस वैजाइना में इन्फेक्शन की वजह से होते हैं।
ये तीनों डिस्चार्ज अलग-अलग कारणों से होते हैं और इनके इलाज के लिए भी अलग तरीके अपनाए जाते हैं। इस समस्या में परेशानी तो होती है लेकिन इससे घबराने की जरूरत नहीं। इनके इलाज में टैबलेट दी जाती हैं, ट्यूब दिए जाते हैं और पेसरी (वैजाइना में डाली जाती हैं।) के जरिए दवाएं दी जाती हैं।
1. वल्वोवैजाइनल कैंडिडाइटिस
इस तरह के डिस्चार्ज में गाढ़ा और दही जैसा डिस्चार्ज होता है लेकिन उसमें से स्मेल नहीं आती। इसमें वेजाइना में काफी खुजली होती है (प्रूपाइटिस)। इसके इलाज के तौर पर क्लोट्राइमेजॉल दी जाती है (क्रीम और पेसरी दोनों विकल्पों के जरिए यह दवा दी जाती है । माइटनोजॉल भी पेसरी और क्रीम के तौर दी जाती है, वहीं प्लूकनाजॉल खाने की टैबलेट के तौर पर दी जाती है। इसको सेक्शुअली ट्रांसमिटेज डिजीज नहीं माना जाता, लेकिन इसमें सलाह दी जाती है कि महिलाओं को यह डिजीज होने पर उनके पार्टनर को भी इसकी जांच करा लेनी चाहिए।
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2. ट्राइकोमोनल वैजिनोसिस
सेक्स से संक्रमण होने पर ट्राइकोमोनल वैजिनोसिस डिजीज हो जाती है। इसमें डिजीज के होने पर इचिंग और इरिटेशन होती है, इसमें बदबू भी आती है और इसमें डिस्फ्यूरिया यानी पेशाब करने में परेशानी जैसे लक्षण नजर आते हैं। इसमें वेजाइना में रेट स्पॉट्स दिखाई देते हैं। इसमें डिस्चार्ज पतला, क्रीमी, हरे रंग का और झागदार होता है।
ट्राइकोमोनल वैजिनोसिस के इलाज के लिए मेट्रोनिडेजॉल, टिनिडाजोल जैसी दवाएं दी जाती हैं। इसमें ट्रीटमेंट ओरल टेबलेट और पेसरीज के रूप में भी होता हैं। साथ ही क्रीम का विकल्प भी दिया जाता है।
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3. बैक्टीरियल वेजीनोसिस
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ट्राइकोमोनास वैजिनोसिस की तरह यह बीमारी भी संक्रमण से होती है। इसमें भी मेल पार्टनर्स को भी इलाज कराने के लिए सलाह दी जाती है। इसमें डिस्चार्च दूधिया रंग का होता है, पतला होता है और उसमें मछली जैसी बदबू आती है। यह इन्फेक्शन वेजाइना में लेक्टो बेसिलियस बैक्टीरिया की कमी के कारण होता है। दरअसल इस बैक्टीरिया की कमी होने पर वैजाइना में खराब बैक्टीरिया प्रभावी होने से पीएच बदल जाता है। इसमें डायग्नोसिस होने पर क्लू सेल्स दिखते हैं। इसके इलाज के लिए मेट्रोनिडाजोल, ट्रिनिडाजोल, एम्पिसिलीन, टेट्रासाइक्लिन और क्लिंडामाइसिन जैसी दवाएं दी जाती हैं।