टीवी एक्ट्रेस देबिना बनर्जी ने कुछ दिनों पहले इस बात का खुलासा किया था कि वह इन्फ्लूएंजा-बी का शिकार हो गई हैं और वह अपने परिवार से दूर रह रही हैं। उन्होंने सोशल मीडिया पर इस खबर की घोषणा करते हुए बताया था कि अपने बच्चों लियाना और दिविशा से अलग होना कितना मुश्किल है।
यहां तक कि एक्ट्रेस ने अपनी इंस्टाग्राम स्टोरी पर अपनी रिपोर्ट शेयर करते हुए लिखा था, "मुझे इन्फ्लूएंजा-बी वायरस हुआ है और बुखार और कफ जैसे लक्षण दिखाई दे रहे हैं। अब मुझे अपने बच्चों से दूर रहना पड़ेगा।''
इन्फ्लूएंजा-बी वायरस क्या है और यह एक प्रेग्नेंट महिला और नवजात शिशु को कैसे प्रभावित कर सकता है, यह जानने के लिए हमने डॉ. चेतना जैन से बात की। आइए इस बारे में आर्टिकल के माध्यम से विस्तार से जानकारी लेते हैं।
इन्फ्लूएंजा-बी वायरस क्या है?
इन्फ्लूएंजा एक सामान्य बीमारी है जिसमें शरीर में फ्लू जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। ये चार प्रकार के होते हैं:
इन्फ्लूएंजा-ए वायरस
यह गंभीर बीमारियों H1N1 और H3N2 संक्रमण का कारण बनता है।
इन्फ्लूएंजा-बी वायरस
लोगों में पाया जाने वाला सबसे आम फ्लू है।
इन्फ्लूएंजा-सी वायरस
हालांकि, यह कम पाया जाता है और आमतौर पर हल्के संक्रमण का कारण बनता है।
इन्फ्लूएंजा-डी वायरस
यह मुख्य रूप से पशुओं को प्रभावित करता है।
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इन्फ्लूएंजा-बी वायरस के लक्षण
इस फ्लू के सामान्य लक्षणों में शामिल हैं-
- सिरदर्द
- गले में खराश
- नाक बहना
- बुखार
- मसल्स में दर्द
- कभी-कभी दस्त लगना
- थकान
- ठंड लगना
एम्स के पूर्व चीफ डॉ. रणदीप गुलेरिया की चेतावनी
तेजी से बढ़ते इन्फ्लूएंजा वायरस H3N2 के बारे में बात करते हुए, डॉ. गुलेरिया ने हाल ही में एक इंटरव्यू में शेयर किया, ''लोगों को सावधान रहना चाहिए, विशेष रूप से बुजुर्गों और उन लोगों को सावधान रहना चाहिए, जिन्हें लंबे समय से सांस की बीमारियां हैं। इसके अलावा, जिन लोगों को हार्ट और किडनी की समस्याएं हैं उन्हें भीड़-भाड़ वाली जगहों पर जाने और संपर्क में आने से सावधान रहने की जरूरत है।''
उन्होंने आगे कहा, ''कई साल पहले हमने H1N1 वायरस की महामारी को देखा है। उस वायरस का सर्कुलेटिंग स्ट्रेन अब H3N2 है और इसलिए यह एक सामान्य इन्फ्लूएंजा का ही प्रकार है। लेकिन हम इसके अधिक मामले देख रहे हैं क्योंकि वायरस थोड़ा-सा म्यूटेंट हुआ है, इसी वजह से वायरस के खिलाफ हमारे शरीर में जो इम्यूनिटी थी, वो अब थोड़ी कम है और इसलिए अतिसंवेदनशील लोगों को अधिक आसानी से संक्रमण हो जाता है।''
प्रेग्नेंट महिलाओं के लिए जरूरी टिप्स
ये सभी वायरस प्रेग्नेंट महिलाओं को प्रभावित कर सकते हैं। चूंकि उनकी इम्यूनिटी कमजोर होती है, इसलिए वे इससे तेजी प्रभावित होती हैं और इससे रिकवर बहुत धीमी गति से होती हैं। यह भ्रूण के विकास पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है।
यदि महिला ब्रेस्टफीडिंग करा रही है और वह संक्रमित हो जाती है, तो निकट संपर्क के कारण वायरस सीधे बच्चे में जा सकता है। ऐसे में मां को मास्क पहनना चाहिए, अपना चेहरा दूर रखना चाहिए, अपने हाथों को ठीक से धोना चाहिए और सुनिश्चित करना चाहिए कि कपड़े साफ हों।
मां और बच्चे को यह सोचकर अलग करने का कोई मतलब नहीं है कि इससे संक्रमण को रोका जा सकेगा क्योंकि बच्चा पहले से ही संक्रमण के संपर्क में आ चुका होता है। यह संक्रमण लक्षणों के प्रकट होने के बाद 5 से 8 दिनों तक रहता है। इस प्रकार, नवजात शिशु और मां को दूर रखने का कोई मतलब नहीं है, बस जरूरी हाइजीन टिप्स को फॉलो करना चाहिए।
इससे पीरियड्स प्रभावित नहीं होते हैं। रिप्रोडक्टिव सिस्टम पर वायरस का कोई प्रभाव भी नहीं पड़ता है। ज्यादातर इन्फ्लूएंजा वायरस संक्रमण खत्म होने के तुरंत बाद शरीर से गायब हो जाता है।
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इन्फ्लूएंजा-बी वायरस को कैसे रोकें?
इसे रोकने के लिए वैक्सीनेशन जरूरी है। इस प्रकार के वायरस हर साल विकसित होते हैं इसलिए हर साल नया इन्फ्लूएंजा वैक्सीनेशन आता है। वैक्सीनेशन का सबसे अच्छा समय सितंबर और अक्टूबर है। हालांकि, वैक्सीनेशन बीमारी को 100% नहीं रोकेगा, लेकिन 62% तक मौका कम कर देगा।
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इन्फ्लूएंजा-ए और बी वायरस सभी उम्र के लोगों को प्रभावित कर सकते हैं। यह वायरस किसी को भी हो सकता है। आमतौर पर ट्रांसमिशन का तरीका छींकना और संपर्क में आना है।
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