जनजातीय आभूषण भारत में आभूषणों के सबसे अनोखे और आकर्षक रूपों में से एक है। भारत के कोने-कोने के लोग अपनी संस्कृति को इन आभूषणों में उकेरते हैं और इसे एक खूबसूरत रूप देते हैं। उनकी द्वारा ये ज्वेलरी साधारण मिट्टी की सामग्रियों जैसे हड्डी, लकड़ी, मिट्टी, शेल और क्रूड मेटल से बनाई जाती है।
आकर्षक दिखने के साथ-साथ इनका एक खास देहाती आकर्षण अपनी ओर खींचता है। इसी कारण यह भारत में ही नहीं, बल्कि बाहर के लोगों को भी बहुत आकर्षित करती है। चूंकि भारतीय जनजातियों की प्रमुख आबादी छत्तीसगढ़, ओडिशा, झारखंड, मध्य प्रदेश और उत्तर पूर्व भारत में पाई जाती है, इसी कारण आपको इन आभूषणों में यहां की झलक भी ज्यादा दिखती है। लेकिन ट्राइबल ज्वेलरी का सफर कैसा रहा है, आइए जानें।
ट्राइबल ज्वेलरी का इतिहास
प्राचीन काल से, दुनिया भर के आदिवासी समुदायों ने आभूषणों का उपयोग किया है। दुनिया के विभिन्न हिस्सों जैसे मिस्र, भारत, अफ्रीका और अन्य क्षेत्रों की विभिन्न जनजातियों ने आभूषण बनाने के लिए विभिन्न सामग्रियों जैसे जानवरों की हड्डियों, दांतों, हाथीदांत, पत्थरों, शेल, लकड़ी और अन्य ऐसी प्राकृतिक सामग्री जैसे प्रचुर मात्रा में पाए जाने वाले पदार्थों से बने होते थे।
आदिवासी कारीगर बहुत ध्यान से, उपलब्धता, परंपरा और प्रतीकात्मक अर्थ के आधार पर अपनी सामग्री का चयन करते हैं। रंगों की प्रकृति भी फिरोजा और लैपिस लाजुली जैसे रिच ब्लू, कारेलियन और कोरल रेड, मोती और हड्डी के मलाईदार सफेद, और एम्बर और हॉर्न के वॉर्म टोन्स जैसे तत्व जो गहनों में उपयोग किए जाते हैं। अधिकांश जनजातीय संस्कृतियों में, चांदी ज्यादा पंसद की जाती है और सोने का काम बहुत कम होता है।
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कितने तरह की होती हैं ट्राइबल ज्वेलरी?
भारत में ऐसी कई ट्राइब्स हैं, जिनका अपना अलग अंदाज है। आइए आपको ऐसी ही कुछ ट्राइबल ज्वेलरी के बारे में बताएं-
बस्तर
मध्य प्रदेश के एक जिले बस्तर की जनजातियां घास और मोतियों से आभूषण बनाती हैं। चांदी, लकड़ी, कांच, मोर पंख, तांबे और जंगली फूलों से बने जटिल आभूषण और वस्तुएं भी प्रसिद्ध हैं। वे सिक्के के आभूषणों में भी लिप्त हैं।
खासी, जयंतिया और गारो
खासी, जयंतिया और गारो क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासी लोग आभूषण कला की अच्छी और परिष्कृत समझ रखते हैं। गारो जनजाति के खासी और जयंतिया के मोटे रेड कोरल बीड्स के हार और ग्लास, महीन धागे से बंधे, आदि काफी सुंदर नमूने पेश करते हैं। खासी आदिवासी समुदाय के लोगों के बारे में सबसे अलग बात यह है कि उन्हें अन्य समाजों की तरह पिता से नहीं, बल्कि मां से पहचाना जाता है (नेकपीस पहनने से ध्यान रखें ये टिप्स)।
भूटिया
सिक्किम से संबंधित भूटिया जनजाति को आभूषणों के आकर्षक और जटिल, सुंदर डिजाइन बनाने के लिए भी जाना जाता है। वे आमतौर पर अपने आभूषणों के लिए सोने, चांदी, मूंगा और फ़िरोज़ा का उपयोग करते हैं। भूटिया पुरुष और महिला दोनों, सांस्कृतिक रूप से सोना पसंद करते हैं और केवल 24 कैरेट सोने का उपयोग विशेष रूप से भूटिया आभूषण बनाने में किया जाता है।
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बंजारा
बंजारा राजस्थान की एक खानाबदोश जनजाति है जो अपने रंगीन और भारी गहनों के लिए लोकप्रिय है। इस जनजाति द्वारा किए गए बनाए गए आभूषणों में शेल, मेटल-मेश,, सिक्के, मोतियों और चेन्स जैसी चीजों से सुंदर ज्वेलरी और बेल्ट बनाए जाते हैं। यह जनजाति झुमके, कंगन, चूड़ियां, ताबीज, पायल जैसे शानदार कलेक्शन को प्रदान करती है।
कब और किस तरह के आदिवासी आभूषण पहनें?
जनजातीय आभूषण अब करीबी जनजातीय समुदायों तक सीमित नहीं रह गए हैं। पूरी दुनिया में लोग इस तरह के गहनों की सुंदरता और सरल लेकिन असाधारण डिजाइनों से आकर्षित होते हैं। आप देख सकते हैं कि दुनिया के कोने-कोने से जुड़े लोग अपने दैनिक जीवन में आदिवासी आभूषणों का प्रयोग कर रहे हैं।
आज, आपके पास चुनने के लिए विभिन्न प्रकार के आदिवासी आभूषण चॉइसेस हैं। आप ट्राइबल नेकलेस को हर दिन पहन सकती हैं और इसे अपने वॉर्डरोब में हल्के रंगों के साथ पेयर कर सकती हैं। जनजातीय आभूषणों की सिंपलिस्टिक अपील ही इसे इतना आकर्षक बनाती है।
इसी तरह आप कलरफुल, पारंपरिक, बीड वाले ब्रेसलेट या चूड़ियों को किसी भी साधारण साड़ी या सूट के साथ पहन सकती हैं। इसे थोड़ा और ट्राइबल लुक देने के लिए एक लाइट ट्राइबल बीड वाला नेकलेस भी कैरी किया जा सकता है। मॉर्डन-कंटेम्पररी स्टाइल को इस तरह के सुंदर ट्रेडिशनल ट्राइबल डिजाइन के साथ पहना जा सकता है।
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ट्राइबल ज्वेलरी पहले जरूर सिर्फ एक साधारण कला रूप था, जो सिर्फ उन्हीं समुदायों तक सीमित था, लेकिन आज यह दुनिया के सभी हिस्सों के सभी समुदायों, सभी प्रकार के लोगों की पसंद बना है और लोगों ने इसका स्वागत किया है।
आपको ट्राइबल ज्वेलरी के बारे में जानकर कैसा लगा, हमें जरूर बताएं। आगे किस ज्वेलरी के इतिहास को आप जानना चाहेंगी, वो भी शेयर करें। ऐसे ही आर्टिकल पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी के साथ।
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