शादी या प्रेगनेंसी के समय कई महिलाएं जॉब छोड़ देती हैं। इसकी कई वजहें होती हैं मसलन शादी के बाद महिलाएं अपने पति के साथ दूसरे शहर में शिफ्ट हो जाती हैं, जहां उनके लिए पिछले वर्कएक्सीरियंस के हिसाब से जॉब नहीं मिल पाती या फिर उनकी काम करने की इच्छा नहीं होती। प्रेगनेंसी के समय में महिलाएं अपने बच्चे के बारे में पूरी तरह फोकस्ड होती हैं। ऐसे में कई महिलाएं नौकरी के बारे में बहुत गंभीरता से नहीं सोचतीं या यह उनकी प्रायोरिटी में नहीं होता। लेकिन जैसे-जैसे महिलाएं सेटल हो जाती हैं, उनके घर-परिवार की स्थितियां उनकी जॉब करने के हिसाब से बेहतर हो जाती हैं, उनके बच्चे स्कूल जाने लगते हैं तो वे फिर से अपने करियर में वापस लौटने की सोचती हैं। लेकिन यह समय महिलाओं के लिए आसान नहीं होता। इस बारे में हमने बात की करियर काउंसलर रीता बालचंद्रन से, जिन्होंने खुद भी अपने करियर में 10 साल का ब्रेक लिया।
रीता बालचंद्रन शादी के बाद दिल्ली से बॉम्बे शिफ्ट हुईं, फिर उनकी बेटी हो गई, इतने में उनके पति को यूएस की जॉब के लिए ऑफर मिला, उसके बाद उनकी दूसरी बेटी हो गई। और इस बीच का पीरियड इतना लंबा खिंचा कि उनके करियर में 10 साल का ब्रेक लग गय। रीता सोच से क्रिएटिव थीं, इसीलिए घर पर रहते हुए भी वह कुछ ना कुछ सीखती रहती थीं। रीता बताती हैं, 'जॉब छोड़ने से पहले मैं ट्रेनिंग में थी, स्टूडेंट्स से इंटरेक्शन हमेशा से रहा, घर पर मैं ट्रेनिंग से जुड़े मॉड्यूल बनाती थी, ट्रेनिंग कॉन्टेंट लिखती थी, पार्ट टाइम एसाइनमेंटस लेती थी जैसे कि कॉलेज में लेक्चर्स लेना जैसी चीजें चलती रहीं। मैं सेलिंग भी करती थी, मैंने एकदम से काम नहीं छोड़ा, साथ ही मैं अपने सीनियर्स के साथ भी टच में थी। 10 साल बाद जब मैंने वापस काम काम शुरू करना चाहा, तो मेरे वर्क एक्सपीरियंस के हिसाब से मुझे अपनी पसंद का प्रोफाइल और टाइमिंग मिल गए। मेरे लिए चीजें आसान रहीं, लेकिन ऐसे हालात सबके लिए नहीं होते। फ्रेश रेज्यूमे बनाने पड़ते हैं, अपने आप को मोटिवेट रखना होता है, महिलाओं को अपने आपको अपस्किल करते रहना बहुत जरूरी है।' रीता ने हमसे महिलाओं के सेकेंड करियर से जुड़े अहम पक्षों के बारे में बातचीत की।
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महिलाओं के लिए करियर में ब्रेक का पीरियड उनकी स्थितियों के हिसाब से अलग-अलग हो सकता है। इस समय में महिलाओं को यह सोचना जरूरी है कि वे वापस आएं तो क्या ऑप्शन लेना चाहेंगी। ब्रेक अगर एक-दो साल से लंबा हुआ तो महिलाओं के मन में कई तरह के सवाल उठने लगते हैं, जैसे कि 'कोई हमें लेना चाहेगा या नहीं', 'क्या हमारे पास वर्तमान जॉब ऑफर्स के हिसाब से जरूरी स्किल्स हैं या नहीं', जिस सैलरी पर पहले काम कर रहे थे, उसी पर क्या काम करना संभव होगा', जिस पेशे में अभी हैं, उसी में संभावनाएं तलाशें या किसी नए पेशे से फ्रेश शुरुआत करें। एचआर में ही लेना चाहते हैं, वही सैलरी मिलती है या उससे कम पर जॉइन करें। ये बहुत सारे सवाल दिमाग में आते हैं। जैसे-जैसे बढ़ता जाता है, वैसे-वैसे मुश्किल बढ़ जाती है।
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ब्रेक लेने के दौरान महिलाओं को अपनी स्थितियां रिव्यू करनी चाहिए कि उन्हें अपनी पुराना पेशा फिर से जॉइन करना चाहिए या फिर वे कुछ नया आजमाना चाहती हैं। अगर आपका वर्किंग एक्सपीरियंस रहा है तो आप उसी को पार्ट टाइम के तौर पर जारी रख सकती हैं। अगर अपनी जॉब में रहते हुए आपको बहुत सेटिसफेक्शन नहीं मिला तो आप कुछ नया ट्राई कर सकती हैं या अपनी हॉबी वाली चीजों से जुड़े काम कर सकती हैं। बहुत सारे ऐसे ऑप्शन्स हैं, जिसमें आप खुद को इन्वॉल्व कर सकती हैं जैसे कि क्रिएटिव राइटिंग, इंटीरियर डिजाइनिंग, हॉबी कोर्सेस, क्राफ्ट आइटम सेलिंग आदि। आजकल को-वर्किंग स्पेस की सुविधा उपलब्ध हो गई है। वर्किंग वाले माहौल में जाने से आप अपने काम पर पूरी तरह से फोकस कर सकती हैं। 2 घंटे के लिए आप वहीं से ऑपरेट कर सकती हैं। होम फ्रंट पर स्थितियां बेहतर होने से आप अपने वर्किंग के घंटे बढ़ा सकती हैं। इसके अलावा आप फ्रीलांसिंग साइट्स पर आप काम कर सकती हैं।
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ऑप्शन्स की कमी नहीं
महिलाओं में डेडिकेशन और रेसपॉन्सिबिटी का भाव होता है, लीडरशिप क्वालिटी भी होती हैं, ऐसे में महिलाएं एंट्रेप्रिन्योरशिप की तरफ भी जा सकती हैं। इसके साथ अच्छी बात ये है कि इसमें उन्हें अपने लिए फ्लेक्सिबिलिटी मिलती है, साथ ही अपने पोटेंशियल को वे सही तरीके से एक्सप्लोर कर पाती हैं। आजकल बहुत सारे सपोर्टिंग वॉट्सएप ग्रुप है, जिसमें आप अपनी क्षमताओं के बारे में बता सकती हैं या अपने प्रॉडक्ट्स सेल कर सकती हैं। सेकेंड करियर शुरू करने वाली महिलाएं टाटा के इनीशिएटिव टाटा स्किप के जरिए संभावनाएं तलाश सकती हैं। इसमें वे अपना रेज्यूमे डाल सकती हैं और अगर पोस्ट उन्हें सूट करता है तो वे जॉइन कर सकती हैं। इसी तरह पिंक स्ट्राइप भी महिलाओं को सेकेंड करियर में सपोर्ट करती है। अगर महिलाएं असमंजस में हैं कि वे क्या करें तो वे करियर काउंसलर या अपने सीनियर्स से इस बारे में सलाह ले सकती हैं।
घर के लिए सपोर्ट वाले ऑप्शन करें एक्सप्लोर
अक्सर घर में बच्चों या बुजुर्गों को देखभाल की जरूरत होती है और इस कारण से भी महिलाओं को करियर के लिए संभावनाएं तलाशने में मुश्किल होती है। मुंबई में आजकल इस तरह की सर्विसेस उपलब्ध हैं, जहां से घर के बुजुर्गों या बच्चों की देखभाल के लिए सर्विस मुहैया की जाती हैं, इस तरह की सर्विस एक्सप्लोर करते रहना बेहद जरूरी है।