
हार्मोन शरीर के छोटे-छोटे मैनेजर की तरह होते हैं, जो मूड से लेकर एनर्जी, नींद, पाचन, पीरियड्स और वजन तक सबकुछ कंट्रोल करते हैं। लेकिन जब शरीर में हार्मोन संतुलन बिगड़ जाता है तो ऐसे में शरीर की पूरी कार्यप्रणाली गड़बड़ा जाती है। कभी नींद नहीं आती तो कभी मूड स्विंग्स या थकान की शिकायत होती है। अमूमन यह समझ नहीं आता है कि हार्मोन को नेचुरली बैलेंस करने के लिए क्या किया जाए।
आपको शायद पता ना हो, लेकिन हार्मोन बैलेंस करने का एक आसान व असरदार तरीका है नाइट टाइम ड्रिंक्स। जी हां, आप जिन ड्रिंक्स का सेवन सोने से पहले करती हैं, वो आपके शरीर को रीसेट करने, स्ट्रेस हार्मोन को कम करने और बेहतर नींद लाने में मदद करते हैं। अगर आप हार्मोनल इम्बैलेंस की वजह से थायराइड, पीसीओडी या मूड स्विंग्स जैसी समस्याओं का सामना कर रही हैं तो ऐसे में आप कुछ नाइट टाइम ड्रिंक्स को अपने डेली रूटीन में शामिल कर सकती हैं। तो चलिए आज इस लेख में मुदितम आयुर्वेद की क्लिनिकल न्यूट्रिशनिस्ट नेहल जोशी आपको कुछ ऐसी ही नाइट टाइम ड्रिंक्स के बारे में बता रही हैं, जो हार्मोन बैलेंस करने में मददगार साबित हो सकती हैं-

रात में सोने से पहले आप कैमोमाइल और सौंफ की चाय बनाकर पी सकती हैं। इसके लिए आप एक चम्मच कैमोमाइल की फूलों को पानी में उबालें और उसमें आधा चम्मच क्रश की हुई सौंफ डालें। हर रात सोने से पहले गुनगुना पिएं। दरअसल, कैमोमाइल दिमाग और शरीर को आराम देती है, जिससे नींद बेहतर आती है। जब आप अच्छी नींद लेते हैं तो इससे हार्मोन बैलेंस करने में मदद मिलती है। साथ ही, सौंफ में ऐसे तत्व होते हैं जो इस्ट्रोजन बैलेंस में मदद करते हैं और पीरियड्स को रेग्युलेट करने में भी सहायक होते हैं।
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रात को सोने से पहले आप दालचीनी वाली दूध की चाय बनाकर सेवन कर सकती हैं। इसके लिए आप एक कप दूध गर्म करें, उसमें आधा चम्मच दालचीनी और एक चुटकी जायफल डालें। अब इसका सेवन करें। जहां दालचीनी ब्लड शुगर को कंट्रोल करने में मदद करती है, जिससे आपके एड्रिनल और रिप्रोडक्टिव हार्मोन्स बैलेंस रहते हैं। वहीं, जायफल आपको रिलैक्स करके अच्छी नींद दिलाने में मदद करता है।


हल्दी के दूध को गोल्डन मिल्क यूं ही नहीं कहा जाता। यह सेहत के लिए बेहद ही फायदेमंद होता है। आप इसे बनाने के लिए एक कप दूध गरम करें। अब इसमें हल्दी, एक चुटकी काली मिर्च डालें। आप चाहें तो इसमें थोड़ी दालचीनी या शहद भी डाल सकती हैं। दरअसल, हल्दी में करक्यूमिन होता है जो इंफ्लेमेशन को कम करने के साथ-साथ इंसुलिन और एस्ट्रोजन के बैलेंस को सपोर्ट करता है। वहीं, काली मिर्च करक्यूमिन को शरीर में अच्छे से अवशोषित होने में मदद करती है।
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