कान में मंगलसूत्र क्यों पहनती हैं शादीशुदा कश्‍मीरी महिलाएं?


Yashasvi Yadav
2023-02-17,17:52 IST
www.herzindagi.com

    कोई हाथ में तो कोई उंगली में पहनता है मंगलसूत्र, मगर कश्‍मीरी महिलाएं क्यों इसे कान में पहनती हैं? इसके बारे में आज हम आपको बताएंगे।

डेजहूर पहनती हैं कश्‍मीरी महिलाएं

    कश्मीरी पंडित परिवार की विवाहित महिलाओं को डेजहूर पहने देखा जा सकता है। इसे अथ भी बोला जाता है और यह महीन सी गोल्ड की चेन होती है और इसमें एक लौकेट भी लटक रहा होता है। शादी के दौरान कश्मीरी महिलाओं को अथूर पहनाया जाता है, जो लाल रंग का धागा होता है। इसे शादी के बाद बदल दिया जाता है और इसकी जगह सोने की चेन पहनाई जाती है। इस डेजहूर भी कहते हैं।

डेजहूर से जुड़े रिवाज

    डेजहूर में लगा लॉकेट हमेशा षटकोण के आकार का होता है। इसमें शिव और पार्वती बने होते हैं, जो शुभ विवाह का प्रतीक होते हैं। आमतौर पर कशमीरी महिलाएं कान के अंदर छेद कराकर डेजहूर पहनती हैं, मगर अब बहुत सारी महिलाएं इसे इयररिंग्‍स की तरह ही कैरी कर लेती हैं। ऐसा कहा जाता है कि इसे कभी भी विवाहित महिलाएं कान से नहीं उतारती हैं। यहां तक कि यदि पति की मृत्यु भी हो जाए, तब उन्‍हें ये पहनना होता है।

कौन पहनाता है डेजहूर?

    हमेशा लड़की ससुराल की तरफ से ही उसे अथूर दिया जाता है और फिर पति के द्वारा उसे पहनाया जाता है। बाद में यह दुल्हन की पसंद है कि वह अथूर को कब सोने की चेन में पड़वाएं। हालांकि, शादी के एक साल तक महिलाएं अथहूर ही कैरी करती हैं और फिर वे डेजहूर पहनती हैं।

डेजहूर पहनने का तरीका

    स्त्री चाहे तो किसी भी शुभ अवसर पर अपने डेजहूर को दूसरे डेजहूर में बदल सकती है। हालाँकि, अब कई कश्मीरी महिलाएं अपने गले में काले मोती के साथ मंगलसूत्र पहनना पसंद करती हैं, फिर भी कुछ महिलाएं  इस परंपरा का पालन करती हैं।

डेजहूर होता है खास

    डेजहूर में बहुत सारे डिजाइंस आ चुके हैं। आपको बाजार में डेजहूर की एक से बढ़कर एक फैंसी डिजाइंस मिल जाएंगी। आप इन्‍हें इयररिंग्‍स के साथ और अलग दोनों तरह से कैरी कर सकते हैं। यह बेहद खास होते हैं और दिखने में भी बहुत सुंदर लगते हैं।

मंगलसूत्र की मान्यता

    हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता कि है कि शादी के बाद पति की लंबी उम्र के लिए महिलाएं सोहल श्रृंगार करती हैं। इसमें मंगलसूत्र का सबसे ज्यादा महत्व है। मंगलसूत्र आपके सुहाग को बुरी नजर से बचाता है। मंगलसूत्र का खोना, टूटना अपशकुन भी माना जाता है क्योंकि मंगलसूत्र सदा सुहागन होने की निशानी भी होता है।

बुरी नजर से बचाता है मंगलसूत्र

    मंगल सूत्र कई जगहों पर पीले धागे से बनता है। मंगलसूत्र में पीले रंग का होना भी जरूरी है। पीले धागे में काले रंग के मोती पिरोए जाते हैं और कहा जाता है कि काला रंग शनि देवता का प्रतीक होता है। ऐसे में काले मोती महिलाओं और उनके सुहाग को बुरी नजर से बचाते हैं।

    तो यह थी कशमीरी महिलाओं के रीति-रिवाज से जुड़ी हुई जानकारी । अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे शेयर जरूर करें व अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ।