दुल्हन को क्यों लगाया जाता है नारंगी सिंदूर?
Hema Pant
2023-02-08,18:00 IST
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सिंदूर कई रंग के होते हैं। इसमें लाल, नारंगी और गुलाबी रंग शामिल है। शादीशुदा महिलाएं लाल रंग का सिंदूर लगाती हैं, लेकिन भारत के कुछ ऐसे राज्य भी हैं जहां लाल के बजाय नारंगी रंग के सिंदूर से दुल्हन की मांग भरी जाती है। क्या आप जानती हैं नारंगी सिंदूर लगाने के पीछे का कारण? अगर नहीं तो यह जानने के लिए अंत तक पढ़ें यह आर्टिकल।
कहां है नारंगी सिंदूर लगाने का चलन?
नारंगी सिंदूर को भखरा नाम से भी जाना जाता है। बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में दुल्हन को लाल के बजाय नारंगी सिंदूर लगाया जाता है।
पौराणिक कथा में है वर्णन
रामायण में जब सीता माता राम जी को सिंदूर लगाती है तो वह बेहद खुश हो जाते थे। जब यह बात हनुमान जी को पता चली तो उन्होनें राम जी के प्रति अपना समर्पण जाहिर करने के लिए अपने पूरे शरीर को नारंगी सिंदूर से रंग लिया था।
सूर्य देव से है संबंध
दुल्हन को सुबह के समय सिंदूर लगाया जाता है। नारंगी सिंदूर की तुलना सुबह होने के समय सूर्य की लालिमा से की जाती है, जिसका रंग नांरगी होता है।
खुशहाली का है प्रतीक
जिस तरह सूरज लोगों की जिंदगी में नया सवेरा , खुशहाली और उमंग लाता है, उसी तरह माना जाता है कि नारंगी सिंदूर भी दुल्हन की जिंदगी में खुशहाली लाता है।
सोलह श्रृंगार का हिस्सा
सिंदूर महिला के सोलह श्रृंगार का हिस्सा है। इसलिए विवाहित महिलाओं के लिए सिंदूर लगाना जरूरी होता है। सिंदूर को शादीशुदा होने का प्रतीक माना जाता है।
नाक तक सिंदूर क्यों लगाया जाता है?
झारखंड और बिहार की महिलाएं नाक तक सिंदूर लगाती हैं। मान्यता है कि नाक तक सिंदूर लगाने से पति की उम्र लंबी होती है।
मां पार्वती
पौराणिक कथाओं के अनुसार जब मां पार्वती ने रक्तबीज राक्षस को मारा था तब उनका सिंदूर नाक तक फैल गया था। इसी वजह से हिंदू धर्म में महिलाएं नाक तक लंबा सिंदूर लगाती हैं।
अब आपको पता चल गया होगा कि नारंगी सिंदूर का महत्व क्या है? स्टोरी अच्छी लगी हो तो कमेंट और शेयर करें। ऐसे ही अन्य आर्टिकल पढ़ने के लिए जुड़े रहें herzindagi.com से।