शादी में क्यों लिए जाते हैं सात फेरे? ये है रहस्य


Nikki Rai
2023-02-08,14:17 IST
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    हिंदू धर्म में 16 संस्कार किए जाते हैं। इन्हीं में से एक विवाह संस्कार है। इसका हिंदू धर्म में बहुत महत्व है। इसी तरह विवाह के दौरान सात फेरे लेने का भी अपना एक खास महत्व है। आइए आपको बताते हैं कि क्यों शादी में सात फेरे लिए जाते हैं-

सात फेरे क्यों?

    केवल सात फेरे ही इसलिए क्योंकि 7 की संख्या मनुष्य जीवन में एक अहम स्थान रखती है। वर-वधु इन फेरों और वचनों के साथ एक-दूसरे को सात जन्मों तक साथ निभाने का वादा भी देते हैं।

विवाह का मुख्य स्तंभ

    शादी में लिए गए सात फेरों को हिंदू विवाह की स्थिरता का मुख्य स्तंभ माना गया है। भारतीय संस्कृति में 7 ऋषि, 7 ग्रह, संगीत के 7 सुर, मंदिर या मूर्ति की 7 परिक्रमा आदि का उल्लेख किया गया है।

बायीं ओर बैठती है वधु

    सवाल आता है कि आखिर पत्नी को पति के बायीं ओर ही क्यों बैठाया जाता है? दरअलस वधु को वामांगी भी कहा जाता है। वामांगी का अर्थ पति का बायां भाग होता है।

वचन के मायने

    सात फेरों को सप्तपदी भी कहा जाता है। हर फेरे के साथ दिए गए वचन को वर-वधु ताउम्र निभाते हैं। हर फेरे के साथ वर-वधु जीवन की हर स्थिति में एक दूसरे का साथ निभाने का वजन देते हैं।

दिल से है रिश्ता

    फेरों के दौरान लिए गए वचनों में वधु यही कहती है कि मैं आपके वामांग में आना स्वीकार करती हूं। इसका अर्थ है दिल से। पत्नी को पति के दिल में जगह देने का वचन लिया जाता है।

सात जन्मों का रिश्ता

    हिंदू धर्म में सात अंक को बहुत ही शुभ माना गया है। ऐसे में सात फेरों का अर्थ है अगले सात जन्मों तक दुल्हा-दुल्हन की ये जोड़ी बनी रहेगी।

विवाह संस्कार अधूरा

    शादी में अगर सात फेरे ना लिए जाएं, तो इसके बिना विवाह संस्कार अधूरा माना जाता है। हर फेरे के साथ वर और वधु एक वचन लेते हैं। यह सभी वचन अपने आप में खास हैं। चूंकि, शादी जन्म-जन्मांतर का संबंध है।

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