हिंदू धर्म में मुंडन संस्कार करना क्यों है जरूरी?


Megha Jain
2023-01-29,09:42 IST
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    हिंदू धर्म में मुंडन करवाने की प्रक्रिया बहुत ही लंबे समय से चली आ रही है। मुंडन संस्कार के समय बच्चे के जन्म के बाद आए हुए बालों को सिर से हटाया जाता है। इस संस्कार के पीछे कई धार्मिक और वैज्ञानिक कारण भी जुड़े हुए हैं। चलिए, हमारे एक्सपर्ट एस्ट्रोलॉजर शिफाली गर्ग और आचार्य संतोष तिवारी जी से मुंडन संस्कार के पीछे छिपी मान्यताओं को जानते हैं -

मुंडन की महत्ता

    मुंडन संस्कार कराने से बल, आयु, आरोग्य और तेज की वृद्धि होती है जो बच्चे के लिए जरूरी होती है। इससे बच्चे का मानसिक और शारीरिक विकास तेजी से होता है।

मुंडन क्यों किया जाता है?

    सनातन धर्म में 16 संस्कार होते हैं जिसमें मुंडन संस्कार सबसे महत्वपूर्ण संस्कारों में से एक माना जाता है।

कैसे करवाया जाता है मुंडन?

    कुछ लोग शक्ति पीठ या तीर्थ स्थलों पर मुंडन करवाते हैं। यहां मुंडन करवाने से पॉजिटिव वाइब्स मिलती हैं जो बच्चे के दिमाग पर अच्छा असर डालती हैं।

पापों से मिलती है मुक्ति

    मनुष्य का जीवन 84 लाख योनियों के बाद मिलता है। ऐसे में पिछले सभी जन्मों के ऋण और पाप उतारने के लिए शिशु के बाल भेंट स्वरूप काट दिए जाते हैं।

मुंडन के लिए शुभ समय

    मुंडन करवाने के लिए द्वितीया, तृतीया, पंचमी, सप्तमी, दशमी, एकादशी और द्वादशी तिथि शुभ मानी जाती है। दिनों में सोमवार, बुधवार, गुरुवार और शुक्रवार शुभ माने जाते हैं।

जन्म के कितने समय बाद करवाएं मुंडन

    कुछ लोग 1 से 3 साल की उम्र में ही मुंडन संस्कार करा लेते हैं। तो, कुछ 5 से 7 साल की उम्र में करवाते हैं। आजकल लोग 3 महीने में ही बच्चे का मुंडन संस्कार करा देते हैं।

मां की गोद में कराया जाता है मुंडन

    मां की गोद में बिठाकर ही बच्चे का मुंडन कराया जाता है। मुंडन के समय बच्चे का चेहरा पश्चिम दिशा में रखें जिसे अग्नि दिशा भी कहा जाता है।

    अगर आप भी हिंदू धर्म से जुड़े हुए हैं और बच्चे का मुंडन कराने की सोच रहे हैं तो, शुभ तिथि, दिन आदि सब जान लें। स्टोरी अच्छी लगी हो तो लाइक और शेयर करें। इससे जुड़ी अन्य जानकारी के लिए यहां क्लिक करें herzindagi.com