हरम में दासियों की कितनी सैलरी थी?
Shadma Muskan
2023-02-23,11:31 IST
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आपने यकीनन कई मुगल रानियों के बारे में सुना होगा लेकिन आज हम आपको मुगल महिला को मिलने वाले वेतन से जुड़े रोचक तथ्यों के बारे में बताएंगे।
क्या था मुगल हरम?
मुगल काल में जिस कमरे में खास महिलाएं या फिर बेगम रहा करती थीं, उसे हरम कहा जाता था। यानि आसान शब्दों में महल में शाही महिलाओं के लिए रहने की अलग से व्यवस्था या फिर कमरों को हरम के नाम से जाना जाता था।
कैसे शुरू हुई हरम बनवाने की परंपरा
अबुल फजल की किताब के मुताबिक मुगल साम्राज्य का हर बादशाह अपने महल में महिलाओं के लिए हरम बनवाया करते थे। जिसकी शुरुआत बादशाह बाबर ने की थी, लेकिन सही मायने में इसकी शुरुआत बादशाह अकबर ने की थी।
किन्नरों की होती थी नियुक्ति
हम आपको बता चुके हैं कि हरम के अंदर किसी पुरुष को जाने की अनुमति नहीं थीं। इसलिए हरम की रखवाली करने के लिए किन्नरों की नियुक्ति की जाती थी। क्योंकि किन्नर न सिर्फ शाही महिलाओं की देखरेख करते थे बल्कि सारा काम भी देखते थे।
आखिर क्यों दिया जाता था वेतन
इतिहास के अनुसार महिलाओं को वेतन देने की शुरुआत बाबर ने की थी। हालांकि, वेतन देने के पीछे कोई ठोस वजह स्पष्ट नहीं है लेकिन कहा जाता है कि महिलाओं को वेतन उनकी आजीविका भत्ता के अनुसार दिया जाता था ताकि वो अपनी जरूरतों को पूरा कर सकें।
रानियों को मिलती थी शाही रकम
मुगल साम्राज्य में रानियों को वेतन देने की वजह इस्लाम से जुड़ी है क्योंकि इस्लाम में उल्लेख मिलता है कि पति अपनी सैलरी का कुछ हिस्सा अपनी बीवी, बेटी को खर्च करने के लिए दें।
दासी से लेकर किन्नरों को दिया जाता था आजीविका भत्ता
महल में रहने वाली बेगमों के अलावा हरम में प्रवेश करने वाली हर महिला, दासी या फिर किन्नरों को भी आजीविका भत्ता दिया जाता था। कहा जाता है कि हुमायूं काल में भी महिलाओं को शाही अनुदान दिया जाता था
हरम के अंदर गैर लोग या फिर किसी बाहर के लोगों को जाने की अनुमति नहीं थी। क्योंकि महिलाओं की सुरक्षा का खास ध्यान रखा जाता था और महिलाएं पर्दे में भी करती थीं।
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