लिव-इन रिलेशनशिप की अजीबो-गरीब परंपराएं
Yashasvi Yadav
2023-02-13,18:48 IST
www.herzindagi.com
हमारे देश में कई राज्यों में कई जनजातीय हैं जो लिव-इन में रहती है और इन जनजातियों की लिव-इन रिलेशनशिप से जुड़ी हुई अजीबो-गरीब परंपरा है।
मुरिया जनजाति
छत्तीसगढ़ में बस्तर क्षेत्र के पास मुरिया जनजाति रहती है। इस जनजाति के लोग दिलचस्प संस्कृति के साथ अपना जीवन जीते हैं। यहां महिलाओं को अपना पार्टनर चुनने और लिव-इन में रहने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। मुरिया समुदाय में पुरुषों और महिलाओं के बीच भौतिक सीमाएं न के बराबर है।
घोटुल से शुरुआत
घोटुल मुरिया लोगों की ही एक परंपरा है। इसमें बांस या मिट्टी की झोपड़ी बनी होती है। जहां रात को लड़कियां और लड़के नाच-गाना करके मनोरंजन करते हैं। यहां पर लड़का और लड़की अपने लिए पार्टनर की तलाश भी करते हैं। उनके चयन का तरीका भी बहुत अलग है। लड़की को जब कोई लड़का पसंद आता है तो वह उसकी कंघी चुरा लेती है।
घोटुल को सजाना
लड़का और लड़की एक जोड़ी बनकर घोटुल को सजाते हैं। इसके बाद दोनों एक ही झोपड़ी में साथ रहने लगते हैं। इस दौरान वह पति-पत्नी की तरह रहते हैं। एक दूसरे की भावनाओं और शारीरिक जरूरतों को पूरा करते हैं। इसके बाद लड़का और लड़की दोनों के परिवार उनकी शादी तय करते हैं।
गरासिया जनजाति
राजस्थान के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र में गरासिया जनजाति रहती है। ये जनजाति लिव-इन-रिलेशनशिप को एक परंपरा के तौर पर निभाते हैं। यह परंपरा हजार साल पुरानी है। यहां शादी करने का कोई दबाव नहीं होता है। लिव-इन के दौरान अगर बच्चे हो जाते हैं तो इसकी जिम्मेदारी दोनों की ही रहती है।
लिव-इन के लिए लगता है मेला
गरासिया जनजाति में पार्टनर चुनने के लिए मेले का आयोजन किया जाता है। इस मेले में लड़के और लड़कियां अपना मनचाहा पार्टनर चुन सकती हैं। इसके बाद वह लिव-इन पार्टनर बनकर समुदाय में वापस लौटते हैं। लेकिन इस दौरान लड़के के घर वाले लड़की के घर वालों को तय राशि देते है जिसके बाद ही लड़का-लड़की लिव-इन में रह सकते हैं।
मुंडा और कोरवा जनजाति
झारखंड की मुंडा और कोरवा जनजाति के कपल लिव-इन रिलेशनशिप में रहते हैं। बिना शादी के साथ रहने वाले कपल को ढुकुनी और ढुकुआ कहा जाता है। ढुकुनी का अर्थ है जब महिला बिना शादी किए पुरुष के घर में घुस जाती है और रहने लगती है। वहीं उनके रिलेशन को ढुकु विवाह के नाम से जाना जाता है।
ढुकु की शुरुआत
झारखंड के आदिवासी में हजारों जोड़े लिव-इन रिलेशनशिप में रहते हैं। इसका एक सबसे बड़ा कारण है कि वह शादी का आयोजन नहीं कर पाते हैं। जिनके पास गांव के लोगों को दावत देने के लिए पैसे नहीं होते थे। वह लिव-इन में रहने लगते थे। आदिवासी गांव में एक परिवार की दो या तीन पीढ़ियां बिना शादी किए साथ रहते हैं।
भले ही हमारे समाज में लिव-इन रिलेशनशिप को सही नहीं माना जाता है। लेकिन कई जनजातियां है जो लिव-इन को एक परंपरा के तौर पर निभाते हैं। इसी तरह के अन्य आर्टिकल पढ़ने के लिए जुड़े रहें हमारी वेबसाइट हरजिंदगी के साथ।